Tuesday, May 30, 2023

लोगो के शहर होते है माही का देश है

आईपीएल २०२३ के फाईनल में महेन्‍द्रसिंह धोनी की कप्‍तानी में चैन्‍नई सुपर किंग्‍स ने गुजरात टाईटंस को पराजित कर पांचवी बार खिताब पर कब्‍जा किया है। जब चैन्‍नई सुपर किंग्‍स के खिलाडी आईपीएल ट्राफी के साथ झूम रहे थे तो प्रसिद्ध कोमेण्‍टेटर आकाश चौपडा ने कहा कि लोगो के शहर होते है माही का देश है। वास्‍तव में महेन्‍द्रसिंह धोनी यानि माही के लिए पूरा देश दीवाना है। चैन्‍नई के जीतने पर केवल चैन्‍नई नहीं पूरा देश झूम उठा। लोगो जश्‍न मनाने के लिए घरो से बाहर निकल आये। यह लोगो की क्रिकेट की उस शख्‍सियत के प्रति दीवानगी है जिसने देश को क्रिकेट में दो बार विश्‍व चैम्पियन बनाया। ऐसा खिलाडी जिसने क्रिकेट में जीत की परिभाषा बदल दी । एक ऐसा कप्‍तान जिसने क्रिकेट की दुनिया में आक्रमकता की परिभाषा बदल दी । उसने क्रिकेट को इतना कुछ दिया कि क्रिकेट के सारे विशेषण माही आगे छोटे पड गये

इस आईपीएल में जिस शहर में भी चैन्‍न्‍ई का मैच हुआ उस शहर में ऐसा लगा कि यह चैन्‍नई का होमग्राउण्‍ड है। फाईनल मैच गुजरात में था परन्‍तु पूरा स्‍टेडियम पीला नजर आया। चैन्‍नई के हर मैच में लगभग यह स्थिति रही। हर एक स्‍टेडियम में धोनी धोनी की गूंज सुनाई दे रही थी। ऐसा क्‍यूं है। इसका जवाब आईपीएल के फाईनल में ही दिखाई दे गया। जब अंतिम गेंद पर रविन्‍द्र जदेजा चौका लगाकर झूमते हुए आ रहे थे धोनी पवेलियन में निर्विकार भाव से बैठे थे। उनके चेहरे पर कोई भाव नही थे। वो बता रहा थे कि आक्रमकता चेहरे पर नहीं मैदान में बतायी जाती है।  चैम्पियन कोई पहली बार बने या पांचवी बार एक उल्‍लास तो होता ही है जो चैम्पियन के चेहरे पर नजर आता है परन्‍तु धोनी के चेहरे पर नहीं था। माही के चेहरे पर संतुष्टि थी। वो जानता था कि चैम्पियन उसकी टीम को ही बनना है। टीम चैम्पियन बनने पर मुस्‍कुराता हुआ मैदान में आ गया। जदेजा भाग कर माही पर चढ गया फिर भी वो मुस्‍कुराता रहा । यही परिपक्‍वता सालो में दिखाई देती हे। वो एक मेन्‍टर, कोच, कप्‍तान और साथी की तरह टीम के साथ था। यही क्रिकेट प्रति उनका समर्पण है जो उन्‍हे औरो से अलन करता है।


धोनी के कूल स्‍वभाव से क्रिकेट भी नतमस्‍तक हो गया । क्रिकेट किसी को नहीं बख्‍शता है। महान बल्‍लेबाज डॉन ब्रैडमैन को अपनी अंतिम पारी में एक चौके की जरूरत थी परन्‍तु वे शून्‍य पर आउट होकर पवेलियन लौटे। यह मैच धोनी का संभवत आखिरी मैच था। आखिरी मैच की पारी भी चौके- छक्‍के वाली होनी चाहिए। धोनी आते ही पहली गेंद पर आउट हो गये। धोनी को भौचक्‍का रह जाना चाहिए। वो कूल रहे । उनके रणबांकुरे रण में थे। जदेजा ने चौका व छक्‍का लगाकर यह हसरत पूरी कर दी। कोई अपने अंतिम मैच में चैम्पियन बन जाये उससे बडा तोहफा उसके लिए क्‍या हो सकता है। यही चीज है जो प्‍यार लुटाती है। इसी प्‍यार के कारण माही कह नहीं पाये कि वो अब नहीं खेलेंगे। यही कारण है कि वीरेन्‍द्र सहवाग ने टवीट किया नोट बदले जा सकते है धोनी नहीं । धोनी वाकई नहीं बदले जा सकते है।

भारत को वनडे और टी-२० में विश्‍वचैम्पियन बनाने वाले माही उस समय भी कूल थे जब पहली बार वनडे में जयुपर में शानदार पारी खेली थी। इस पारी से उनका बल्‍ला दुनिया में सबसे उुंचा हो गया था परन्‍तु मस्‍तक हमेंशा विनम्र ही रहा परन्‍त गर्व से उंचा भी रहा । पाकिस्‍तान के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति को भी उनकी तारीफ करनी पड गयी। आज भी उन्‍हे कूल कैप्‍टन कहा जाता है। भारतीय क्रिकेट इतिहास में हमेंशा बल्‍लेबाज ही लोकप्रियता के पायदान छुते रहे । गावस्‍कर से लेकर तेंदुलकर और विराट कोहली तक लंबी फेहरिस्‍त है। गैर बल्‍लेबाज के रूप में कपिल देव के बाद धोनी सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय है। विकेटकीपर के रूप में वे दुनिया के सबसे लोकप्रिय खिलाडी है। उन्‍होने सारे रेकार्ड तोड कर नयी चुन्‍नौतियां पेश कर दी है। आंकडो के रेकार्ड  तो आने वाली पीढी तोड ही देगी परन्‍तु उन्‍होने भावनाओ के जो रेकार्ड बनाये है उन्‍हे तोडने के लिए तो दूसरे धोनी को ही जन्‍म लेना पडेगा। धोनी की कप्‍तानी एक खिलाडी के लिए धूप में छाया की तरह होती है। माही मैदान में सर्वव्‍यापी है। एक खिलाडी में हे, एक गेंदबाज मे है, एक बल्‍लेबाज मे है और एक क्षेत्ररक्षक के रूप में मौजूद है। धोनी अब क्रिकेट का दूसरा नाम है। क्रिकेट यदि गणित का कोई समीकरण होता तो उसका जवाब धोनी होता।

 

---

 

---

No comments:

Post a Comment