Monday, December 25, 2023

इस साल की सिमटी हुई ये घड़ियां


 

इस दिसम्‍बर में जाडे इतने ठिठुराने वाले नहीं है जितने कि पिछले सालो में हुआ करते थे। पांच साल पहले दिसम्‍बर में इतनी ठंड थी कि भोर में बाहर निकलने पर पूरा शरीर ढक कर निकलते थे। केवल और केवल हमारी आंखे ही बिना ढके रहती थी। आंखो पर भी चश्‍मा लगा लेते या हेलमेट के कांच से ढक लेते थे। इन जाडो में अभी तक ऐसी ठंड का अहसास नही हुआ है। आज सुबह अपने कमरे से निकला तो कमरे के बाहर पीली चमकती हुयी धूप बिछी हुई थी। दीवार पर बने घोसेले से कबूतर के बच्‍चे निकल कर धूप में आ गये थे। वे अपने पंख फैला कर पूरे बदन को धूप में सेक रहे थे। वे उड नही पा रहे थे। अभी उडने में थोडा समय है। साल का भी ऐसा ही है। पहले लगता है कि धीरे बहुत जा रहा है फिर एकदम से उड जाता है। साल २०२३ ऐसा ही था। अभी तो हम २०२३ लिखना सीखे थे कि वो हमारे हाथो से फिसल गया। लेकिन फिसलते हुए भी बहुत सारी मीठी यादे दे गया। इस साल आप लोगो कार भरपूर प्‍यार और स्‍नेह मिला। मेरे काम को आपने सराहा। इस साल वो भी मिला जो अब तक अधुरा था। वो पूरा नही मिला है। मन यही कहता है कि

अजीब है दिल के दर्द

यारो न हो तो  मुश्किल है जीना इसका

जो हो तो हर दर्द एक हीरा एक गम नगीना इसका।

इस साल के शुरू मे ही मेरी किताब मोळियो आयी। राजस्‍थानी भाषा की यह किताब आलोचको द्वारा एक तरह से रौंद दी गयी परन्‍तु पाठको का भरपूर प्‍यार मिला। एक शादी समारोह में एक युवा पिता अपने बच्‍चे को मेरी तरफ अंगुली कर बता रहा था कि ये मोळियो के लेखक है। इससे ही मुझे मेरी किताब का अवार्ड मिल गया। ऐसे ही सैकडो बच्‍चो को मेरी किताब पसंद आयी। एक पिता ने बताया कि उसकी बेटी चाहती है कि मोळियो के लेखक उसकी स्‍कूल में आये। इस प्‍यार से मुझे और ज्‍यादा लिखने की उर्जा मिली। साल के अंत में मेरी डिजीटल ई बुक बी के स्‍कूल की कचौरी आयी। जिसे पूरे देश के पाठको ने भरपूर प्‍यार दिया। ऑन लाईन बिक्री मे लॉंचिग के पहिले दिन ही किताब ने धूम मचा दी थी। जयपुर के एक पाठक ने मुझे फोन कर बधाई दी। सात समंदर पार बसे बीकानेरियो को भी यह किताब बहुत पसंद आयी। कुछ एक ने मेरे ई मेल पर अपना आर्शीवाद भेजा। मेरा दिल आल्‍हादित था। इस किताब ने एक बार फिर मुझे लेखक के रूप में स्‍थापित किया। आकाशवाणी ने इस किताब के लिए मेरा विशेष इंटरव्‍यू प्रसारित किया। इस प्‍यार के बावजूद कुछ लोगो के लिए चाहता था कि मेरी किताब पढे पर उन्‍होने नहीं पढी। उम्‍मीद है नये साल में वो मेरी किताबो केा पढेंगे।


इस साल भी जनसत्‍ता में मेरा कालम प्रकाशन जारी रहा। हर महीने में मेरा एक लेख जनसत्‍ता में प्रकाशित हुआ। कुछ एक लेख और कहानी दूसरे समाचार पत्रो में भी प्रकाशित हुए।

इस साल के शुरू में प्रोग्रेसिव सोसायटी ने मेरे लेखन के लिए मुझे सम्‍मानित किया। वरिष्‍ठ साहित्‍यकार मधु आचार्य ने मुझे सम्‍मानित करते हुए सकारात्‍मकता के साथ नये स्रजन के लिए बधाई दी। श्री लाल मोहता स्म्रति ट्रस्‍ट ने भी इस साल के मध्‍य में मुझे लघु कथा वाचन के लिए आमंत्रित किया। गिरीराज जी भाई साहब और ब्रजरतनजी जोशी ने मुझे सम्‍मान देते हुए मंच पर आसीन किया। मेरी लघुकथाओ को सराहा गया और लेखन के लिए मेरा सम्‍मान भी किया गया। इस साल कई साहित्‍यक कार्यक्रमो में जाना हुआा यह साहित्‍य स्‍वजनो को प्‍यार ही था जिससे कई कार्यक्रमो में भागीदारी भी निभाई। 



यह साल घुमक्‍कडी का भी रहा । इस साल परिवार में साथ ऋषिकेश और देहरादून की घुमाई की। बच्‍चो के साथ दिन मे तीन तीन घंटे गंगा में पडे रहने का सुख जैसा कोई सुख नही। कभी बच्‍चो के साथ पहाडो पर पैदल ही निकल जाता तो कभी झरनो के नीचे घंटो नहाते हुए घुमक्‍कडी का आनंद लिया। इस बार दिल खोलकर फोटो खिंचवाई। इस टुर पर मेरे फोन का सारा स्‍टोरेज खत्‍म हो गया। हमने यात्रा का समापन गिरीराज जी की यात्रा से किया। मथुरा और व्रद्धवन के सुंदर मंदिरो में दर्शन किये।



 पूरे परिवार के साथ भजन गाते और नाचते हुए गिरीराज जी की पदयात्रा की। ऐसी घुमक्‍कडी का आंनद पहले कभी नहीं आया।


यह साल मेरे लिए उत्‍सवो का भी रहा। सारे उत्‍सव दिल खोलकर मनाये। इस बार गणेश उत्‍सव पहली बार मनाया। गणेश चतुर्थी को गणेश की प्रतिमा लाकर स्‍थापित की और अनंत चतुर्दशी के दिन गाजे बाजे के साथ विर्सजन किया। होली के दिन यार दोस्‍तो के साथ खूब रंग खेले। इस बार आफिस में जिला कलेक्‍टर के साथ मस्‍ती के साथ होली खेली। ढोल और चंग की थाप पर साथियो के साथ खूब कदम थिरकाये। इस साल होली से पहले बीकानेर में राष्‍ट्रीय महोत्‍सव हुआ जिसमें जम कर भागीदारी की। इंडियन आयडल विनर सलमान की गायकी का तो जमकर मजा लिया। बीकानेर ने दलेर मेंहदी के प्रोग्राम के बाद पहली बार किसी गायक के गानो पर झूमकर आनंद लिया। दीवाली पर तो रात भर पटाखे चलाये और यार दोस्‍तो के साथ खूब बाते की। दीवाली हमेशा की तरह उल्‍लासित रही।आखातीज को पतंगबाजी का भी खूब आनंद लिया। दिनभर छत्‍तर पर माईक पर बोल बोल अपनी बायड निकाली। पतंगो में भी तरह तरह की पतंगे उडाई और जोर से यह गाते रहे

चली चली रे पतंग मेरी चली रे

चली बादलो के पार होके डोर पे सवार चली रे।  


साल पूरा मस्‍ती भरा रहा और उत्‍सवो के उल्‍लास से सराबोर रहा परन्‍तु एक घटना दहला गयी। इस साल मेरे छोटे साले साहेब किसन कुमार पूरोहित अपने प्रेम तान मे बांधकर हम से बिछुड गया। किसनजी मेरे मित्रवत थे। इस साल के शुरू में तो उनसे मिला था। वो कितनी मुस्‍कुराकर बात कर रहे थे। अपनी बेटी के साथ मस्‍ती कर रहे थे लेकिन इस साल के बीच में ही खबर आयी तो मै स्‍तब्‍ध था।

साल जैसे धीमे पदचापो के साथ जा रहा है वैसे ही नये साल की पदचाप सुनाई देने लगी है। इस साल जिनको जीत नही पाये उनको नये साल में जीतेंगे। नये साल का सूरज क्षितिज पर अपना उजास फैला रहा है। आसमान में भोर की लालिमा छा रही है। झूमते हुए दोस्‍तो के चेहरे इस लालिमा के साथ दिख रहे है। इनमें वो दोस्‍त भी है जिनको जितना बाकि है। नये साल में और ज्‍यादा लिखूंगा और आपको पढाकर परेशान करता रहूंगा। आपका और ज्‍यादा प्‍यार पाने की कोशिश करूंगा। मन कह रहा है।

इस साल में सिमटी हुयी ये घडिया फिर से न बिखर जाये

इस रात में जी ले हम  इस रात मे मर जाये।

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