Tuesday, May 30, 2023

लोगो के शहर होते है माही का देश है

आईपीएल २०२३ के फाईनल में महेन्‍द्रसिंह धोनी की कप्‍तानी में चैन्‍नई सुपर किंग्‍स ने गुजरात टाईटंस को पराजित कर पांचवी बार खिताब पर कब्‍जा किया है। जब चैन्‍नई सुपर किंग्‍स के खिलाडी आईपीएल ट्राफी के साथ झूम रहे थे तो प्रसिद्ध कोमेण्‍टेटर आकाश चौपडा ने कहा कि लोगो के शहर होते है माही का देश है। वास्‍तव में महेन्‍द्रसिंह धोनी यानि माही के लिए पूरा देश दीवाना है। चैन्‍नई के जीतने पर केवल चैन्‍नई नहीं पूरा देश झूम उठा। लोगो जश्‍न मनाने के लिए घरो से बाहर निकल आये। यह लोगो की क्रिकेट की उस शख्‍सियत के प्रति दीवानगी है जिसने देश को क्रिकेट में दो बार विश्‍व चैम्पियन बनाया। ऐसा खिलाडी जिसने क्रिकेट में जीत की परिभाषा बदल दी । एक ऐसा कप्‍तान जिसने क्रिकेट की दुनिया में आक्रमकता की परिभाषा बदल दी । उसने क्रिकेट को इतना कुछ दिया कि क्रिकेट के सारे विशेषण माही आगे छोटे पड गये

इस आईपीएल में जिस शहर में भी चैन्‍न्‍ई का मैच हुआ उस शहर में ऐसा लगा कि यह चैन्‍नई का होमग्राउण्‍ड है। फाईनल मैच गुजरात में था परन्‍तु पूरा स्‍टेडियम पीला नजर आया। चैन्‍नई के हर मैच में लगभग यह स्थिति रही। हर एक स्‍टेडियम में धोनी धोनी की गूंज सुनाई दे रही थी। ऐसा क्‍यूं है। इसका जवाब आईपीएल के फाईनल में ही दिखाई दे गया। जब अंतिम गेंद पर रविन्‍द्र जदेजा चौका लगाकर झूमते हुए आ रहे थे धोनी पवेलियन में निर्विकार भाव से बैठे थे। उनके चेहरे पर कोई भाव नही थे। वो बता रहा थे कि आक्रमकता चेहरे पर नहीं मैदान में बतायी जाती है।  चैम्पियन कोई पहली बार बने या पांचवी बार एक उल्‍लास तो होता ही है जो चैम्पियन के चेहरे पर नजर आता है परन्‍तु धोनी के चेहरे पर नहीं था। माही के चेहरे पर संतुष्टि थी। वो जानता था कि चैम्पियन उसकी टीम को ही बनना है। टीम चैम्पियन बनने पर मुस्‍कुराता हुआ मैदान में आ गया। जदेजा भाग कर माही पर चढ गया फिर भी वो मुस्‍कुराता रहा । यही परिपक्‍वता सालो में दिखाई देती हे। वो एक मेन्‍टर, कोच, कप्‍तान और साथी की तरह टीम के साथ था। यही क्रिकेट प्रति उनका समर्पण है जो उन्‍हे औरो से अलन करता है।


धोनी के कूल स्‍वभाव से क्रिकेट भी नतमस्‍तक हो गया । क्रिकेट किसी को नहीं बख्‍शता है। महान बल्‍लेबाज डॉन ब्रैडमैन को अपनी अंतिम पारी में एक चौके की जरूरत थी परन्‍तु वे शून्‍य पर आउट होकर पवेलियन लौटे। यह मैच धोनी का संभवत आखिरी मैच था। आखिरी मैच की पारी भी चौके- छक्‍के वाली होनी चाहिए। धोनी आते ही पहली गेंद पर आउट हो गये। धोनी को भौचक्‍का रह जाना चाहिए। वो कूल रहे । उनके रणबांकुरे रण में थे। जदेजा ने चौका व छक्‍का लगाकर यह हसरत पूरी कर दी। कोई अपने अंतिम मैच में चैम्पियन बन जाये उससे बडा तोहफा उसके लिए क्‍या हो सकता है। यही चीज है जो प्‍यार लुटाती है। इसी प्‍यार के कारण माही कह नहीं पाये कि वो अब नहीं खेलेंगे। यही कारण है कि वीरेन्‍द्र सहवाग ने टवीट किया नोट बदले जा सकते है धोनी नहीं । धोनी वाकई नहीं बदले जा सकते है।

भारत को वनडे और टी-२० में विश्‍वचैम्पियन बनाने वाले माही उस समय भी कूल थे जब पहली बार वनडे में जयुपर में शानदार पारी खेली थी। इस पारी से उनका बल्‍ला दुनिया में सबसे उुंचा हो गया था परन्‍तु मस्‍तक हमेंशा विनम्र ही रहा परन्‍त गर्व से उंचा भी रहा । पाकिस्‍तान के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति को भी उनकी तारीफ करनी पड गयी। आज भी उन्‍हे कूल कैप्‍टन कहा जाता है। भारतीय क्रिकेट इतिहास में हमेंशा बल्‍लेबाज ही लोकप्रियता के पायदान छुते रहे । गावस्‍कर से लेकर तेंदुलकर और विराट कोहली तक लंबी फेहरिस्‍त है। गैर बल्‍लेबाज के रूप में कपिल देव के बाद धोनी सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय है। विकेटकीपर के रूप में वे दुनिया के सबसे लोकप्रिय खिलाडी है। उन्‍होने सारे रेकार्ड तोड कर नयी चुन्‍नौतियां पेश कर दी है। आंकडो के रेकार्ड  तो आने वाली पीढी तोड ही देगी परन्‍तु उन्‍होने भावनाओ के जो रेकार्ड बनाये है उन्‍हे तोडने के लिए तो दूसरे धोनी को ही जन्‍म लेना पडेगा। धोनी की कप्‍तानी एक खिलाडी के लिए धूप में छाया की तरह होती है। माही मैदान में सर्वव्‍यापी है। एक खिलाडी में हे, एक गेंदबाज मे है, एक बल्‍लेबाज मे है और एक क्षेत्ररक्षक के रूप में मौजूद है। धोनी अब क्रिकेट का दूसरा नाम है। क्रिकेट यदि गणित का कोई समीकरण होता तो उसका जवाब धोनी होता।

 

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Wednesday, May 24, 2023

बारिशे



किसी दिन मै गहरी नींद से जागूंगा 

और तुम चली जाओगी। 

बारिशो में हम भीग जायेंगे

हमारे घरो में छत्‍ते नहीं है

तुम बाढ से बच रही होगी 

हम नदी में डूब रहे होंगे। 


 

मैने मेरे चेहरे की चमक को बहुत ढुंढा

जाते हुए तुमने बताया नहीं कहां रखी है 

मेरी हंसी, अल्‍हडपन कुछ भी तो नहीं मिला 

सारी चाबियां तुम साथ लेकर गयी है। 

पानी में मैने सारे रंग घोल दिये है 

सफेदी फिर भी जाती नहीं है 

मै पहाडो से कूद गया 

हवाओ में रवानी फिर भी नहीं मिली है। 

उसे किसी की जरूरत नहीं है 

वो अकेले ही आसामन को खोज लेगा 

चांद भले ही ना हो 

वो सितारो को मुटठी में कर लेगा। 


पानी बहुत बह गया है 

रात को शायद कोई जी भरकर रोया है। 

दूर तक परछाईयां दिखाई देती है 

परन्‍तु तुम नहीं दिखाई देती हो

उदासियो से मैने अपना मुंह धोया है 

नींदे किसी कबाडी को बेच दी है

यादो को मोडकर किसी डिब्‍बी में बंद कर दिया है 

सपने

अब सफेद नजर आयेगे

क्‍योंकि रंगीनीया सारी तुम ले गयी हो। 

सोचता हूं 

मै फिर से सो जाउं

तुम वापिस चली आओगी। 


Monday, May 22, 2023

आत्मा

 


बार बार देह पाती है 

आत्‍मा 

हर एक देह में 

नये दुखो का करती है सामना 

उन दुखो से लडती है 

पर जीत नहीं पाती है 

देहो की यात्राओ में उसने 

इतने दुख इक्‍टठे कर लिये है 

कष्‍ट पाने के लिए देहे छोटी पडने लगी है। 

समन्‍दर की अनंत गहराईयों में

डुबो दी थी आत्‍मा 

फिर भी उसने वहां 

कोई देह पा ली । 

उसने टूटी हुई चप्‍पले 

फेंकी थी बाहर 

कोई टांका लगाकर 

वापिस लौटा गया । 

दुख भी लौटाये जाते है 

इसी तरह । 

बिना देह के तडपती है 

आत्‍मा 

ज्‍यों बिन पानी के मछली। 

देह की अनंत यात्राओ के साथ 

खत्‍म होना चाहती है आत्‍मा 

अमर नहीं होना चाहती है आत्‍मा 


Saturday, May 20, 2023

तुम्हारा नाम

 


उन्‍होने मुझे 

दुनिया के सबसे सुंदर फूल का नाम पूछा

मैने तुम्‍हारा नाम लिख दिया । 

उन्‍होने मुझे बहुत सारे सवाल पूछे

मेरे पास हर सवाल के जवाब मे तुम थी । 

मैने इम्हितान के दिनो में देर रात तक पढा था 

हर एक किताब में था 

तुम्‍हारा नाम 

मेरे सवाल उन सवालो से ज्‍यादा जटिल नहीं थे 

जितने कि उस मजदूर के 

उसे कल काम मिलेगा या नहीं । 

मेरे किताबो की भाषा भी उतनी जटिल नहीं थी 

जितनी जटिल एक मां के लिए 

बिना आटे रोटी बनाना । 

उनके सवालो ने मेरे दिल में 

एक सुराख कर दिया था 

उस सुराख में उन्‍होने 

उलटे झांककर देखा 

उसमें तुम्‍हारे सिवा कुछ नहीं था । 

मेरे किताबो में कोई पृथ्‍वीराज युद्ध जीत रहा था 

कोई सलीम अकबर से हार रहा था 

सिकन्‍दर पोरस से संधि कर रहा था 

उन सब के निचोड में 

मैने तुम्‍हारा ही नाम पढा। 

मैने याद तो बहुत किया 

लेकिन बिना याद किये 

मुझे याद रहा सिर्फ तुम्‍हारा नाम


कल मिला था आज



कल मिला था मुझे आज 

दो चार बाते की 

और बीत गया। 

भारी हो गया है 

मैने बहुत सारे सपने भरे थे उसमें

पिता के मना करने के बाद भी 

मै सपने भरता गया । 

बहुत सारे उसमें कबाड में फेंकने लायक थे

मै पक्षियो की तरह उडना चाहता था 

तारे तोड कर अपने सितारे लगाना चाहता था ।

बहुत सारे बीज बोये थे

सारे हवा में उड गये 

खरपतवार उग आयी । 

कुछ सपने उसमें मां ने जोड दिये 

कोई देवदूत आयेगा

सपनो को हकीकत में बदल देगा। 

भारी बोझ से अब व‍ह आज तक नही चल पाता है

आज आने से पहले ही बीत जाता है कल

उसकी शिकायते मुझ से है 

मै उसका बोझ खाली नहीं कर पाया 

सारे सपने उसके झोल में ही रह गये 

मै उसमें से एक भी निकाल नहीं पाया। 

Thursday, May 18, 2023

उंघते हुए घर

 

उंघते हुए घर थे 

सभी इस गली में। 

कोई फूलवाला नहीं गया

इस गली से । 

कल रात चोरो ने दहाड लगायी थी 

कानो में पत्‍थर डालकर सोये थे सभी 

चोरो को कुछ नहीं मिला 

आंगन में लटक रही थी 

अनगिनत छेदो वाली बनियाने

अखबार में य‍ह खबर छपी थी

घुटनो के बल गये थे चोर 

स्‍कूटर की किश्‍त चढ आयी थी 

उसने चढना ही नहीं आया

उसे पता ही नहीं था 

यहां वहां वो बढेगी 

घटेगी नहीं । 

सारे सवाल कुओ में 

लटक रहे थे 

गली वाले सवालो को 

खींच रहे थे 

इसीलिए सवाल हर किसी के पीछे 

चिपके पढे थे

वो आसमान में छेद करना चाह रह थे

उनके पास स्‍क्रु नहीं था 

रोज अखबार में देखते थे 

सरकार कभी हमारा भी लोन माफ करेगी।

बहुत सारा पानी बह आया था गली में 

गली में सारे घरो की पटरीयां डूब गयी

हम छत्‍तो पर खडे थे

सडक पर जा रहे विद्रोह के जुलुस को देख रहे थे 

यह कौनसा विद्रोह था

मुझे कल के लिए चीनी भी पडोसी से लानी पडेगी

सारी उबासियां, थकावटे और सुस्‍ताई को 

एक ताले में बंद कर दूंगा 

और एक बार फिर निकलूंगा 

कुछ किश्‍तो का

मुछ मुस्‍कानो का

कुछ बदन ढकने का

कुछ धुंऐ का 

इंतजाम करूंगा । 

इस बार घर उंघेगे नहीं 

इस बार घर खडे रहेगे

पहले की तरह 

अपनी जगह । 

Wednesday, May 17, 2023

दण्‍डवत भी गावस्‍कर के लिए छोटा पड गया है



चैन्‍नई सुपर किंग्‍स १४ मई को इस सीजन का आखिरी होम लीग मैच चैपक स्‍टेडियम पर खेल रही थी। मैच खत्‍म होने के बाद धोनी लैप आफ आनॅर दे रहे थे तो गावस्‍कर दौडकर आये और धोनी से अपने शर्ट पर ऑटोग्राफ देने का आग्रह किया । धोनी ने आग्रह को ससम्‍मान स्‍वीकार करते हुए गावस्‍कर की शर्ट पर ऑटोग्राफ दे दिया। यह कोई साधारण पल नहीं था। क्रिकेट का महानतम शख्‍स धोनी से ऑटोग्राफ ले रहा था। यह क्रिकेट की दुनिया कर महानतम क्षण था। एक ऐसा व्‍यक्ति जिसने क्रिकेट की दुनिया में बेहतरीन रिकार्ड बनाये और अपने बल्‍ले से क्रिकेट के शिखर को छुआ वह व्‍यक्ति आज मैदान में ऑटोग्राफ लेकर अपना सीना चौडा कर रहा था। इस क्षण के लिए गावस्‍कर के आगे दण्‍डवत प्रणाम भी छोटा पड जाना चाहिए। हमारे रगो में सम्‍मान की सारी धाराऐं कम पड जानी चाहिए। एक व्‍यक्ति जिसने भारतीय क्रिकेट में अपने बल्‍ले से बेहतरीन पारीयां खेली । जिनकी पारियां आज भी यू टयूब पर क्रिकेटर बारीकी से देखते है। जिसने ब्रैडमैन के रिकार्ड को सहजता से तोड दिया था । क्रिकेट की दुनिया का वो पहला व्‍यक्ति था जिसने दस हजारवां रन दौडा था। उस समय गावस्‍कर के साथ सारा देश झूम गया था। जिसका नाम क्रिकेट की परिभाषा बन गया था। आज वो व्‍यक्ति जब धोनी के आगे अपनी शर्ट करके खडा था तो हमारे दिल में उनके लिए आदर के जो मकाम बनाये थे वो सभी मकाम छोटे पड गये थे।

एक समय में दुनिया के सबसे खतरनाक तेज गेदबाजो के समाने बिना हैलमेट जो शख्‍स गेंदो को बाउंड्री के पार पहुंचाया करता था उस शख्‍स के लिए दुनिया में रखे गये सारे अवार्ड कम पड गये थे। धोनी से ओटोग्राफ लेने के बाद सुनील गावस्‍कर ने जो कहा वो हमारी आंखो में पानी लाने के लिए काफी है। उन्‍होने कहा कि जिन्‍दगी के आखिरी लम्‍हो में मै दो मिनिट के लिए दो चीजे देखना चाहूंगा। जिसमें एक है कपिल देव को साल १९८३ का वर्ल्‍डकप उठाते हुए और दूसरा जब धोनी २०११ के वर्ल्‍ड कप फाईनल में विनिंग छक्‍का लगाते है। मारने के बाद उन्‍होने बल्‍ले को जिस तरह से घुमाया । अगर ये मेरी आखिरी लम्‍हे होंगे तो मै हंसकर चला जाउंगा। ये शब्‍द कहकर उन्‍होने उन सब को बौना कर दिया जो यह मानते है कि उन्‍होने क्रिकेट को सर्वस्‍व दे दिया। इससे लगता है कि गावस्‍कर और क्रिकेट एक ही है। क्रिकेट में गावस्‍कर समाहित है।


यह महान क्रिकेटर जिसने १९८६-८७ में पाकिस्‍तान के विरूद्ध बंगलौर टेस्‍ट मैच में ९६ रनो की महानतम पारी खेली उस पारी में अकेले गावस्‍कर ने क्रीज पर संघर्ष किया। वह महान क्रिकेटर टी 20 वर्ल्‍डकप में भारत ने जब पाकिस्‍तान को हराया था तो नाचते हुए मैदान पर आ गया। वो मेलर्बन क्रिेकेट ग्राउण्‍ड में एक 17 वर्ष के बच्‍चे की तरह नाचते हुए कोमेण्‍ट्री बॉक्‍स से आ गये थे। उनके इस जश्‍न  पर क्रिकेट की हजारो जीते न्‍यौछावर की जा सकती है। एक महान क्रिकेटर जब इस तरह से डूब कर खुश होता है तो जीती हुई जीत भी छोटी दिखाई देने लग जाती है। इन पलो को भारतीय क्रिकेट ने अपने दिलो में कैद कर लिया क्‍योंकि ऐसी जीते तो फिर दोहरायी जा सकेगी परन्‍तु ऐसे पल फिर से नहीं दोहराये जायेगे। यह पल भारतीय क्रिकेट के इतिहास में स्‍टेडियमो में बहने वाली लाखो भावनाओ के सोने से लिखे जायेंगे।

गावस्‍कर के लिए यह उनके निजि पल हो सकते है परन्‍तु जो क्रिकेट को जानते हुए उनके लिए यह पल किसी शो केस में रखे नगीने से कम नही है। एक व्‍यक्ति जिसने क्रिकेट को वो पारियां और वो पल दिये है जिससे क्रिकेट ने अपने आपको मजबूत किया वो क्रिकेट के पलो के लिए अपनी आंखो में पानी ला रहा है। यह मात्र क्रिकेटर नहीं है बल्कि क्रिकेट और जीवन की एक स्‍कूल है। १९९२ में मुंबई में जब दंगे हुए थे तो इनकी मानवीय सहायता के चर्चे अभी तक लोग नहीं भूले है। उनके माथे पर अपने क्रिकेटर के असफल होने की एक भी शिकन नहीं है। उनके पास तो भारतीय क्रिकेट के पल्‍ल्‍वित होने के जश्‍न है। एक युवा इस महान क्रिकेटर से क्रिकेट के प्रति समर्पण को सीख सकता है। उम्र के इस पडाव पर भी क्रिकेट में जीत उनके लिए खुशी का पल है। इन पलो के हमे सहेज कर रख लेना चाहिए। ये पल उन युवा क्रिकेटरो केा देखने चाहिए जो यह जान सके कि क्रिकेट में गेंद और बल्‍ले के अलावा भी बहुत कुछ होता है जो हमारी क्रिकेट को बनाता है। हमारे जीवन मे ऐसा बहुत कुछ होता है जो भारत रत्‍न से भी ज्‍यादा होता है। ऐसे पल हम सब के लिए मैन आफ द मैच है जो हमे घर बैठे मिल गया है।

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Tuesday, May 16, 2023

इंतज़ार



किताबो के ढेर से मै

एक किताब निकालता हूं 

जिसमें मैने पढी थी 

अपनी जम्‍हाईयां

और पढी थी अपनी बहुत सारी नींदे

जो जमा होती गयी किताब के पन्‍नो में 

इसी किताब के पन्‍नो में 

इकटठा हो गया है बहुत सारा इंतजार 

थोडा परिणमो का 

थोडा बडा होने का 

थोडा उससे मिलने का 

थोडा लौटने का 

किताब के दूसरे भाग में 

पडे है मेरे बहुत सारे सपने

एक के उपर एक पडे है 

सपने है बहुत सारे और जगह है कम 

एक दुसरे से दब रहे है। 

दूसरे पन्‍नो में पडे सिनेमाओ के टिकिट 

जो मै उसके साथ देखना चाहता था 

जो मैने खरीदे थे मिनर्वा में 

भीड की लंबी लाईनो में घंटो इंतजार करके । 

कुछ पन्‍नो पर सवाल मरे हुए पडे है 

जो मुझे डराकर मेरी नींदे चुराते थे 

अब एक कोने पडे रोग से कराह रहे है 

सवाल उन पर हंस रहे है। 

कुछ पन्‍नो पर पडी है हमारे हिस्‍से की बहुत सारी डांटे 

जो हमने खायी स्‍कूल खिडकी से कूद कर भागने पर   

और पांच पैसे वाली जीरा गोलियां खाने पर । 

कुछ पन्‍नो में जमा की हुई परांठो की खुशबू है 

जो रोज मां बनाकर टिफिन में देती थी । 

अंतिम दो पन्‍नो में है रंगीन पंखुडिया 

जो उसने देते हुए कहा था इंतजार करना 

मैं इंतजार कर रहा हूं।  

तुम्हे सोच रहा जैसे

 

मैं तुम्‍हे उसी तरह सोचता हूं 

जैसे कोई सोचता है 

किसी नारीयल के पेड पर चढ कर तोड लाये नारियल

और फिर उसे छिलकर उसकी सफेद धूप्‍प गिरी को देखता रहे। 

जैसे कोई सोचता है

बरतनो के बाजार में जाकर ढुढ लाये फूलो की दुकान 

और वहां से खरीदकर पीले गुलाब सलाहता रहे। 

या फिर कोई सोचता है जैसे 

नीले आसमान में पतंग बन कर उडते हुए 

रंग बिरंगे पक्षियो में से सबसे खूबसूरत पछी को चूमता रहे.

या फिर कोई सोचता है जैसे 

पूरानी चिटठीयो में से निकल आये पहली चिटठी 

जिसे देखकर पढता रहे । 

या फिर कोई सोचता है 

तुम्‍हे सोच रहा हो जैसे.

Monday, May 15, 2023

उलटे लटके हुए सवाल



पहली बार देखा था उसे 

जब वो लाया था बासी गुलदस्‍ते। 

गलियो में कुत्‍तो का शोर था 

वो एक लाईन में थे 

पर साथ नही थे। 

रसोईघरो में सोये हुए थे 

सारे चिमटे 

रोटियां साडी पहले खडी थी 

जिनके चेहरे पर सब्जियो के फेशियल थे । 


उलटे लटके हुए सवाल 

जवाबो के कोडे खा रहे थे। 

कराह रहे थे जवाबो की तरह । 


साईकिले तैरती हुए सडक पर जा रही थी 

जिनक चालक के हाथ में स्‍टेयरिंग नही था। 


मौसम बदल गया था 

बारिशे अब रात को नहीं आती है 

कुछ भी नहीं बदला है 

उसके आ जाने से 

बदल गयी है मेरी तबीयत 

चेहेर पर मुस्‍कुराहट आ गयी है। 

Sunday, May 14, 2023

नानी

 

नानी इस कमरे की कुर्सी पर बैठती थी

एक अंगुली से काला दंत मंजन अपने दांतो पर रगडते हुए । 

वो हमारे पहाड थी 

जहां से टक्‍कर कर गरम हवाऐं भी ठंडी होकर आती है 

वो एक नदी थी जो स्‍वयं चल कर आती थी 

जिसमें हम नहा भी सकते थे और प्‍यास भी बुझा सकते थे

और कपडे भी धो सकते थे। 

वो हमारे लिए स्‍कूल की  गरमी की छुटिटयां थी 

जिस पर हम खेला करते थे लुडो और कैरम 

और शाम को खाते थे बर्फ का छत्‍ता।

वो हमारे लिए कपंकपाती सरदी में कंबल थी 

जिसे ओढ कर सुनते थे परी देश की कहानियां 

जिसमें हमेंशा परी हमेशा लाती है बहुत सारे उपहार। 

वो हमारे लिए रैपर में लिपटी हुई कैडबरीज थी 

जिसको मुंह में रखकर मिठास का आनंद लेते है। 

अब वो नहीं है 

तो मिठा खाने से पहले जीभ सोचती है कि मुहं मीठा होगा या नहीं 

मैदान मे खेल मिलेगे या नहीं 

रसोई बनने वाली रोटी की महक आयेगी या नहीं 

अब वो नहीं है तो आसमान में चांद भी नहीं 

हवा भी नहीं है 

रोशनी की ठंडक भी नहीं है 

बादलो के खिलौने भी नहीं है 

नानी नहीं है तो 

कुछ भी नही है। 

Saturday, May 13, 2023

ख्वाहिशों की डकारे



वो आती है 

बिना कुछ कहे चली जाती है

सपने मुडे हुए है 

वो पाईप से सीधे भी नहीं होते है 

कल रात में सपनो की चटनी बनाकर 

रोटी के साथ खायी थी । 

पेट में भी वे हजम नहीं हुए

रात भर आती रही ख्‍वाहिशो की डकारे । 

वो बंद दरवाजो के पीछे देखना चाहता है 

उसकी दरारो में आंखे डालकर 

बहुत कुछ देख लेना चाहता है 

परन्‍तु उसे कुछ भी नजर नहीं आता है। 

कल अखबारवाला अखबार के साथ  

फेंक गया था मेरा सपना 

सारा अखबार पढ गया परन्‍तु 

सपना नहीं पढ पाया 

धुंधला छपा था । 

सीढियो से सपनो के उतरने 

की आवाजे आती है

कान भनभना उठते है 

बहुत तेज होती है सपनो के उतरने की आवाज । 

इंतजार करता रहता हूं

सपने बोलेगे जैसे बोलते है 

पहली क्‍लास में पढने वाले बच्‍चे 

सुनाई तो बहुत कुछ देता है 

परन्‍तु समझ कुछ भी नहीं आता है। 

रूके हुए सपनो के लिपट कर 

जान लेना चाहता हूं 

क्‍या है उनकी तासीर 

ठंडी या गरम ।

सपने ठहरते नहीं 

ख्‍वाहिशो को भी नहीं छोडते है 

कहीं किसी झाडी में 

अडते भी नहीं है 

इसलिए मै उसे केवल देखता हूं

जी भर कर देखता हूं

फिर जाने देता हूं। 

Friday, May 12, 2023

सवाल




पूरानी किताबो ढेर में अब वो किताब नही मिलती 

जिसके सवाल मुझे रात भर उलझाते रहते थे

मै सडक पर चला जाता था 

और सैण्‍डविच खाकर उलझनो को भुलाया करता था । 

वो दौड जाते है पूरा जोर लगाकर 

जैसे स्‍कूल की छुटटी होने पर दौडते है यूनिफार्म पहने बच्‍चे। 

 

उस घर की सभी दीवारो को सफेदी से पोता है मैने

दिन भर भरी दुपहरी में माथे पर रूमाल बांधे हुए उनके साथ । 

रात भर पैर दबाये है मैने उस शख्‍स के 

जिसके घर के सारे दरवाजे और खिडकियो को नीले रंग से रंगा है मैने। 


उसकी दी हुई अठन्नियों से 

कई बार सडक पार दौडकर ताजे चन्‍ने लाया हूं मै। 

जी चुराया है मैने कई बार 

जैसे गाये घास के ढेर से मुंह फेर लेती है। 

वो आकर छिप गये है उसी शख्‍स की पीठ के पीछे

जिसकी बेंत की मार से सिखा है दो का पहाडा। 


मै उसे याद करूं 

या याद करूं अपने सवालो को। 

पिता


पटरियों पर दौडती हुई रेलगाडियां

पहली बार दिखाई थी मेरे पिता ने 

मैने अब तक किताबो की तस्‍वीरो में देखी थी रेलगाडिया

अपने कोच के दरवाजे पर खडे होकर

पिता को पीठ दिखाकर रोते हुए देखा है 

उसी तरह जैसे मुझे पहली बार स्‍कूल छोडकर घर जाते हुए मैने देखा था अपने पिता को । 

रेल हजारो पिताओ के प्रेम को संवहन करती है 

जो बैठ जाते है उसके पंखो की ताडियो पर 

और चिपक जाते है शायिकाओ पर बिछी चददरो में 

या फिर चले आते है उन यात्रियो के थैलो में 

उनके मना करने के बावजूद ।  

पिता उस पानी में भी घुले हुए होते है 

जो रेल चलने पर अपनी बोतल से पीते है।  

वो चले आते है मेरी नींद में भी 

ओढने की चददर बन कर 

बात नहीं करते है 

केवल सहलाते है

बालो में हाथ फिराते है

आंखो में जमा हुए पानी को पिघलाते है। 

पिता हमेशा साथ रहते है। 

@ मनीष कुमार जोशी