उन्होने मुझे
दुनिया के सबसे सुंदर फूल का नाम पूछा
मैने तुम्हारा नाम लिख दिया ।
उन्होने मुझे बहुत सारे सवाल पूछे
मेरे पास हर सवाल के जवाब मे तुम थी ।
मैने इम्हितान के दिनो में देर रात तक पढा था
हर एक किताब में था
तुम्हारा नाम
मेरे सवाल उन सवालो से ज्यादा जटिल नहीं थे
जितने कि उस मजदूर के
उसे कल काम मिलेगा या नहीं ।
मेरे किताबो की भाषा भी उतनी जटिल नहीं थी
जितनी जटिल एक मां के लिए
बिना आटे रोटी बनाना ।
उनके सवालो ने मेरे दिल में
एक सुराख कर दिया था
उस सुराख में उन्होने
उलटे झांककर देखा
उसमें तुम्हारे सिवा कुछ नहीं था ।
मेरे किताबो में कोई पृथ्वीराज युद्ध जीत रहा था
कोई सलीम अकबर से हार रहा था
सिकन्दर पोरस से संधि कर रहा था
उन सब के निचोड में
मैने तुम्हारा ही नाम पढा।
मैने याद तो बहुत किया
लेकिन बिना याद किये
मुझे याद रहा सिर्फ तुम्हारा नाम
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