Monday, February 26, 2024

क्रिकेट की एक स्‍कूल है आर. अश्विन





इग्‍लैण्‍ड जिस बैजबॉल की रणनीति के साथ भारत आया था उस बैजबॉल पर आर अश्विन की बॉल भारी पडी । अश्विन ने दूसरे टेस्‍ट में अपना बहुप्रतिक्षित ५००वां विकेट भी ले लिया। अश्‍विन मुरलीधरन के बाद दूसरे सबसे तेज ५०० टेस्‍ट विकेट लेने वाले खिलाडी है। ५०० वां विकेट लेने केवल एक विकेट भर लेना नही है बल्कि  सालो तक अंतराष्‍ट्रीय क्रिकेट में अपने आपको बनाये रखना कोई आसान काम नही है। क्रिकेट इस सुनहरे पल को पाने के लिए उसने कई अनमोल क्षणो को अपने क्रिकेट कैरियर में जीया है। ५००वां टेस्‍ट विकेट किसी भी गेंदबाज को क्रिकेट की एक स्‍कूल बनाता है जो कई युवाओ के लिए मिसाल बनता है।

क्रिकेट के इस महान गेंदबाज की उपलब्धि पर क्रिकेट लीजेण्‍ड सुनील गावस्‍कर ने लिखा कि यह एक महान पल है। ऐसा बिरले खिलाडी ही कर सकते है और अश्विन उन चुनींदा गेंदबाजो में शामिल है जिन्‍होने यह कारनामा किया है। सबसे बडी बात है कि उसने स्पिन गेंदबाज होकर यह मुकाम हासिल किया है। यह मुकाम हासिल करके उसने दुनिया में भारत के नाम को और उंचा किया है परन्‍तु उसे ५०० वां टेस्‍ट विकेट हासिल करने के बाद वो सम्‍मान नहीं मिल पाया जिसका वो हकदार है। अश्विन भारतीय टीम के कप्‍तान बनने के हकदार थे परन्‍तु वो यह सम्‍मान हासिल नही कर पाये। गावस्‍कार ने यह भी कहा जिस समय भारत की एक से ज्‍यादा टीमे खेल रही थी उस समय अश्विन को कप्‍तान बनने का सम्‍मान दिया जा सकता था। इससे पहले कपिल देव ने ४०० विकेट लेने का मुकाम हासिल किया था उन्‍हे कप्‍तान बनने का सौभाग्‍य मिला था।  अनिल कुंबले भी भारत की कमान संभाल चुके है परन्‍तु आर अश्विन यह सम्‍मान हासिल नही कर पाये। सुनील गावस्‍कर ने कहा कि अश्विन की इस उपलब्धि पर हमें नाच कूद कर खुशी मनानी चाहिए।

अश्‍विन ने भी इस मुकाम को हासिल करने के लिए सावधानी से कदम रखे। उसकी पत्नि लिखती है कि हमने इस पल का बहुत लंबा इंतजार किया। इससे पहले हमने मिठाईयां और आतिशबाजी मंगाकर रखी थी परन्‍तु अश्विन ४९९ विकेट पर ही रूक गये। इस कारण मिठाईयां वैसे ही बांटनी पडी। आर अश्विन ने भी एक अखबार में लिखा कि उसे अपने कैरियर में बहुत उतार चढाव देखे है। कोरोना  से पहले वह अपने कैरियर के सबसे बुरे दौर से गुजरा था। उस समय वो अपने प्रदर्शन को दोहरा नही पा रहा था। उसे टीम से बाहर कर दिया गया था। उसे वापसी की कोई राह नही मिल रही थी। ऐसा लग रहा था कि उसका कैरियर खत्‍म हो जायेगा। आईपीलएल में उसका प्रदर्शन गिर रहा था। यह उसके कैरियर का सबसे बुरा दौर था। उसने लिखा किे वो खेल से बहुत प्‍यार करता था परन्‍तु वो खेल को खोना नही च‍ाहता था। इस बुरे दौर में वो लगातार चोटिल भी हो रहे थे। वो एक अंधरे गुफा में था। उसने खेल को नये नजरिये से देखा। उसने दूसरे मैचो के वीडियो देखे और वीडियो देखकर अपने आप में सुधार किया और २०२० के बाद फिर मैदान में वापसी की। भारतीय कप्‍तान रोहित शर्मा कहते है कि आप आर अश्‍विन को हर मैच में अलग प्रकार से गेंद फेकते देखते है। आपको हर मैच में नया अश्विन मिलता है। यही अश्‍विन की विशेषता है कि वो हर बार नये तरीके से गेंद फेकता है। अपने इसी प्रयोग के कारण उसने कैरम बॉल का ईजाद किया। कैरम बॉल से कई बललेबाज  गच्‍चा खा जाते है।  

 

आर अश्विन ने ५०० विकेट का मुकाम हासिल करने के साथ ही ईग्‍लैण्‍ड के विरूद्ध १००० से अधिक रन और १०० विकेट हासिल किये। वो यह मुकाम हासिल करने वाला अकेला भारतीय खिलाडी है और ५०० विकेट हासिल करने वाला  मात्र दूसरा भारतीय खिलाडी है। इतनी बडी उपलब्धि हासिल करने के बाद गावस्‍कर की बात में दम लगता है कि ऐसे खिलाडी को कप्‍तानी का सम्‍मान भी मिलना चाहिए। हांलाकि दुनिया में इतनी बडी उपलब्धि हासिल करने वाले खिलाडियो को कप्‍तानी का सम्‍मान बहुत कम हासिल हुआ है। मुरलीधर और शेन वार्ने जो दुनिया के सबसे महानतम गेंदबाज है जो ८०० और ७००विकेट ले चुके है परन्‍तु कभी भी अपने देश की टीम के कप्‍तान नही बन पाये परन्‍तु इस आधार पर अश्विन के दावे को खारिज नहीं किया जा सकता है। आर अश्विन भी भारतीय टीम का कप्‍तान बनने का सम्‍मान हासिल करने के हकदार थे। यह अलग बात है कि उन्‍होने टीम में बने रहने के लिए भी संघर्ष किया। बदलते दौर में भी अपनी प्रासंगिकता बनाये रखने के लिए अश्विन की प्रशंषा होनी चाहिए और जिस प्रकार वो हर बार अपनी गेंदबाजी में प्रयोग करते है वह युवाओ के लिए सीखने की जरूरत है। भारत को इस महान गेंदबाज पर गर्व करना चाहिए जिसने देश को दूसरी बार ५०० का आंकडा छुने का गर्व दिलाया है।

सीताराम गेट के सामने, बीकानेर ९४१३७६९०५३

Tuesday, February 20, 2024

ये मुलाकात तो इक बहाना हैै.............




इन दिनो हवाऐं चलने लगी है। फागण नही आया है परन्‍तु यह फागण की आहट है। छत्‍त पर बने कमरो के आगे मिटटी जमा होने लगी है। हवाओ के साथ मिटटी भी उडकर आने लगती है। सर्दीया अबकी बार कब आयी और कब गयी पता ही नहीं चला। सर्दियो में छुटटी वाले दिन छत्‍त पर बैठ कर एक दो किताबे पढ लेता हुं। इस बार रक्सिन बाण्‍ड की आत्‍मकथा की ई बुक मंगवायी थी परन्‍तु पढ नही पाया। उसकी रीडिंग जारी है। इन सर्दियो मे आफिस में इतना काम रहा कि किताबे पढने के लिए समय ही नहीं निकाल पाया। शनिवार हो या रविवार मेरे को आफिस जाना ही पडता था। धूप कमरे की देहरी पार कर मेरे पलंग तक आ जाती थी। ऐसा लगता था कि वो मुझे ढुंढ रही है। एक दो बार धूप में बैठने का मौका मिला तो आफिस से कॉल आने के कारण जाना पडा। कमरे की देहरी पार कर आयी हुयी धूप को देखकर लगता था कि वो कह रही है –

ये मुलाकात तो ईक बहाना है,

यह सिलसिला पूराना है।

हमारे जिला कलेक्‍टर श्री भगवती प्रसाद कलाल सर का ट्रान्‍सफर हो गया तो आज मै समय निकाल कर यह ब्‍लॉग लिख रहा हूं। कलाल सर का मेरे लिए यह मैराथन कार्यकाल था। कलाल सर के कार्यकाल में मैने काम के प्रति नये द्रष्टिकोण को देखा या यूं कहे काम के ब्रह्म को जाना। कलाल सर के लिए सरकार द्वारा निर्धारित मानदण्‍ड काफी पीछे छुट जाते थे। वे काम को मानदण्‍ड की द्रष्टि से नही बल्कि उसके निस्‍तारण की दृष्टि से देखते थे। इसके लिए चाहे कितना ही समय देना पडे वो देते थे। सुबह साढे नौ से रात को साढे दस ग्‍यारह बजे तक लगातार वे आफिस चलाते थे। लक्ष्‍य एक ही था काम का निस्‍तारण और जनता को राहत। मै भी उनके निर्देशो की पालना में दिन रात लगता रहता था। सुबह शाम, सोमवार मंगलवार, शनिवार रविवार या होली डे किसी चीज का ख्‍याल नही रहता था। इसके साथ होने वाले तनाव को वो सहज ढंग से रिलिज कर देते थे। एक बार कोर्ट में एक महिला ने भरे कोर्ट में मेरी ओर ईशारा कर कह दिया कि मेरी फाईल का निस्‍तारण नही हुआ तो मै आपके घर चली आउंगी। ऐसी तनावपूर्ण स्थिति में भी उन्‍होने बिना किसी दबाव में आये न्‍याय किया।

मेरे ख्‍याल से  कलाल सर काम करने की एक किताब है जिसको पढकर काफी कुछ सीखा जा सकता है जो आपके जीवन में भी बहुत काम आ सकती है। कलाल सर के हार्ड बवर्क के दौरान भी मैने समय निकाल कर उनके कार्यकाल में तीन किताबे लिख दी । दो रिलिज हो चुकी है और एक नयी किताब यह ब्‍लाग आपके पास आने तक आ जायेगी। मेरी लेखन की प्रतिभा को पचानते हुए उन्‍होने मुझे गणतंत्र दिवस पर जिला स्‍तर पर सम्‍मानित किया। उन्‍होने मुझे लिखने के लिए हमेंशा प्रोत्‍साहित किया। कलाल सर के साथ अनमोल समय व्‍यतीत किया या यूं कहे क्‍वालिटी टाईम स्‍पेंड किया। अब नम्रता जी वृष्णि के साथ काम करना है। देखते है –


इन दिनो शहर मे ओलम्पिक सावे की धूम  है। मेरे ननिहाल में भी शादी थी तो तीन दिन शादी में व्‍यस्‍तता रही है। शादी में पूरा आनंद लिया। ऐसा लगता है कि इस समय जमकर आनंद ले लूं या यूं कहे आनंद को लूट लूं। जो संकोचवश नही कर पाया वो सब कर लूं। शादी में काफी लोगो से मिलना हुआ। कुछ और शादिया भी अटैण्‍ड की और उसमें भी कई पूराने दोस्‍त मिले। रमक झमक के प्रहलाद ओझा का निमंत्रण आया हुआ था परन्‍तु जा नही पाया। इस सावे में मित्रो के परिवारजनो की शादीयो में शामिल हुआ। हर शादी में उत्‍सव की तरह आनंद लिया।


अब मेरी किताब की बात। इस साल मेरी एक ओर बच्‍चो की किताब आ रही है। यह राजस्‍थानी भाषा में है। मुझे बच्‍चो के लिए लिखने में मजा आता है और बच्‍चे पढकर खुश भी होते है। काफी बच्‍चे मेरी किताबो के कारण मुझे प्‍यार करते है। मुझे अच्‍छा लगता है। राजस्‍थानी भाषा की किताब है। बच्‍चो के लिए सरल सहज भाषा की किताब। एक ऐसी किताब जिससे बच्‍चे अपने मन की दुनिया पाते है। 


अपने तरह की अनोखी किताब है। जल्‍द ही आपके सामने आयेगी – खेलरां रो खेल। यही टाईटल है मेरी नयी किताब का। आज बस इतना ही । फिर कभी नयी बात। आपके साथ।