Saturday, January 7, 2023

साल के पहले दि‍न आफ रोडि‍गं

इस साल भी मै बहुत कम ब्‍लॉग लि‍ख पाया परन्‍तु पि‍छले साल की तरह इस साल भी साल की शुरूआत में ही ब्‍लॉग लि‍ख रहा हूं। नये साल की शुरूआत भी पि‍छले साल की तरह ही हुई। साल का पहला दि‍न कार्यालय के साथि‍यो के साथ बीता। इस साल ठीक वैसा ही हुआ जैसा पि‍छले साल हुआ था। इस साल एक साथी ने कोडमदेसर में सवामणी का प्रसाद रखा था। जाहि‍र हम सबको शामि‍ल होना था। साल का पहला दि‍न था और रवि‍वार भी था। सब कुछ संयोग भगवान के दर्शन और साल की अच्‍छी शुरूआत का बन गया था। हम चार पांच साथि‍यो ने कार्यक्रम बनाया। साल के पहले दि‍न सुबह कडाके की ठंड थी परन्‍तु फि‍र अच्‍छी धूप नि‍कली। मौसम का भी अच्‍छा संयोग बन गया था। हमने गि‍नती की पूरे छ: साथि‍यो की टीम बन गयी। तय हुआ कि‍ सभी गोकुल सर्किल पर मि‍लेंगे। मै तय समयानुसार सुबह ग्‍यारह बजे गोकुल सर्कि‍ल पर पहुंच गया जहां सभी साथी तैयार मि‍ले। वे सभी गाडी का इंतजार कर रहे थे। थोडी देर में टाटा सफारी गाडी आ खडी हुई और हम सब गाडी मे बैठ रवाना हुए।

पूरे रास्‍ते धूप खि‍ली हुई थी। सभी मस्‍ती करते हुए कोडमदेसर धाम की ओर जा रहे थे। रास्‍ते में राजनीति‍ की छींटाकसी से लेकर ऑफीस की मस्‍ति‍यो की बाते हो रही थी। आज साल का पहला दि‍न और रवि‍वार होने के कारण कोडमदेसर में भारी भीड थी। कोडमदेसर के द्वार से लेकर कोडमदेसर के कोरि‍डोर तक भीड लगी हुई थी। मंदि‍र में तो पैर रखने की जगह नहीं थी।

 सभी ने मंदि‍र में जाने के लि‍ए जैसे तैसे जगह बनायी और भैरवनाथ जी के दर्शन पा लि‍ये। रवि‍वार को भैरूजी के इतनी पूजा श्रंगार के साथ दर्शन हो जाना अदभूत था। मै फोटो का कोई अवसर नहीं छोडना चाहता। इसि‍लए भारी भीड के बावजूद फोटो शूट के लि‍ए मैने जगह बना ही ली। दर्शन कर मंदि‍र से बाहर आते वक्‍त अपने कार्यालय के और साथी मि‍ल गये। दूसरे साथी मि‍लने पर मन और प्रसन्नता से भर गया। हम सभी को जोरो की भूख लगी थी तो सभी ने प्रसाद स्‍थल ढुंढा और बैठ गये प्रसाद लेने । प्रसाद वैसे होता ही मन को भाने वाला परन्‍तु यहां हमारे साथी ने भगवान के लि‍ए रूचि‍ से और स्‍वादि‍ष्‍ट पकवान बनाये । भगवान का प्रसाद हो जाने के बाद तो वे और स्‍वादि‍ष्‍ट और लजीज लगने लगे। प्रसाद लेकर मेजबान साथी से वि‍दा ली। भैरवनाथ के फि‍र से दर्शन कर वापसी के लि‍ए रवाना हो गये।

.

वापसी में कोडमदेसर से नि‍कलनते ही एक ढाबे पर चाय पी। यह कभी प्रसिद्ध ढाबा रहा था परन्‍तु यहां पुल बन जाने के बाद यहां आने वाले ग्राहको की संख्‍या पर फर्क पडा है परन्‍तु हमे मेहमानो की तरह चाय पि‍लायी गयी। जाडे में धूप मे बैठकर चाय पीने का सूख दुनि‍या के सभी सूखो से अलाहयदा है। चाय पीने के बाद हम घर की ओर रवाना हुए। रवाना होकर थोडी दूर ही चले थे कि‍ हमारे डाईवर ने रोही में घूमने का सुझाव दि‍या। अभी समय काफी था तो हमने डाईवर की बात मान ली और हम रोही में घूमने को राजी हो गये थे। समय से ज्‍यादा डाईवर ने रोही की जो वि‍शेषताऐं बतायी थी उससे हम प्रभावि‍त हो गये थे। इसलि‍ए हम रोही में जाने के लि‍ए राजी हो गये थे। रोही का मतलब जंगल से होता है हमारे यहां ।
.
रोही में प्रवेश करते ही डाईवर ने गाइड की तरह काम करना शुरू कर दि‍या। रोही की अनोखी ि‍वशेषताओ के बारे में वह हमे बताता रहा। हमारे यहां पहाडो जैसे जंगल तो होते नहीं। इस कारण धोरो में गाडी टेडी मेढी हो रही थी जो रोमांच उत्‍पन्‍न कर रही थी। वो बता रहा था कि‍ यहां जंगली सुअर होते है तो आदमि‍यो पर हमला कर देते है। यह भी बताया कि‍ यहां मोर, खरगोश और कई तरह के पक्षी है। उसने बताया कि‍ शाम को मोर को ऩत्‍य


 करते देखा जा सकता है। रोही में वो सबसे पहले हमे लेकर गया सि‍द्धेश्‍वर महादेव मंदि‍र । जहां पर एक व्‍यक्‍ति‍ ध्‍यान में बैठा था। एक ओर छोटी झोंपडी बनी हुई थी जहां पर एक हवन कुण्‍ड भी बना था। हमारे वहां जाने से उस व्यक्‍ति‍ का ध्‍यान भंग हो गया और फि‍र हमने उनसे इस मंदि‍र के बारे में जानकारी ली। वो बताता है कि‍ वो जब भी समय मि‍लता है इस जंगल में आकर साधना करता है। यहां भी हम फोटोग्राफी का कोई मौका छोडना नहीं

 चाहते थे। हम सब ने मंदि‍र में और गाडी के इर्दगिर्‍द फोटो ग्राफी की। हम सब के बीच गोग्‍ल्‍स एक ही था तो सब ने उसी गोगल्‍स से फोटो खि‍चवाये । आप फोटो में देख सकते है। इसके बाद वो जंगल में बने करणी माता के मंदि‍र ले गया। जहां मंदि‍र में एक पूजारी था। वहां हमने पानी पीया और सुस्‍ताऐ । जंगल में हमे कोई जानवर नहीं दि‍खायी दि‍ये। कुछ तरह के कबूतर दाना चुग रहे थे। जंगल में पैदल घूमने वाले बुजुर्ग जरूर दि‍खायी दि‍ये। डार्इवर बता रहा था कि‍ इनमें अधि‍कांश बुजुर्ग 75 साल से उपर के है और वो रोज यहां आते है। पूरे जंगल में घूमते है। हम लोगो ने भी आश्‍चर्य कि‍या। वो जंगल में घूम रहे थे। अब संध्‍या हो रही थी। धूप में पेडो की परछाईयां छोटी हो रही थी। ठंड भी बढ रही थी। इसलि‍ए हमने वापि‍स लौटने का नि‍श्‍चय कि‍या। डाईवर ने गाडी वापि‍स बाहर की और चला दी। हम भैरवनाथ के भजन गाते हुए घर की तरफ चल दि‍ये। एक के बाद एक सभी को घर छोडते हुए मै भी अपने घर पर पहुचा। साल का पहला दि‍न एक बार फि‍र मेरे लि‍ए यादगार रहा। भगवान के दर्शन के साथ प्रसाद ग्रहण और जंगल में आफ रोडि‍ग यादगार रहा। अब उम्‍मीद करते है कि‍ सबके लि‍ए यह साल खुशनुमा और उपलब्‍धि‍यां देने वाला रहे।