पहली बार देखा था उसे
जब वो लाया था बासी गुलदस्ते।
गलियो में कुत्तो का शोर था
वो एक लाईन में थे
पर साथ नही थे।
रसोईघरो में सोये हुए थे
सारे चिमटे
रोटियां साडी पहले खडी थी
जिनके चेहरे पर सब्जियो के फेशियल थे ।
उलटे लटके हुए सवाल
जवाबो के कोडे खा रहे थे।
कराह रहे थे जवाबो की तरह ।
साईकिले तैरती हुए सडक पर जा रही थी
जिनक चालक के हाथ में स्टेयरिंग नही था।
मौसम बदल गया था
बारिशे अब रात को नहीं आती है
कुछ भी नहीं बदला है
उसके आ जाने से
बदल गयी है मेरी तबीयत
चेहेर पर मुस्कुराहट आ गयी है।
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