चैन्नई सुपर किंग्स १४ मई को इस सीजन का आखिरी होम लीग मैच चैपक स्टेडियम
पर खेल रही थी। मैच खत्म होने के बाद धोनी लैप आफ आनॅर दे रहे थे तो गावस्कर
दौडकर आये और धोनी से अपने शर्ट पर ऑटोग्राफ देने का आग्रह किया । धोनी ने आग्रह
को ससम्मान स्वीकार करते हुए गावस्कर की शर्ट पर ऑटोग्राफ दे दिया। यह कोई
साधारण पल नहीं था। क्रिकेट का महानतम शख्स
धोनी से ऑटोग्राफ ले रहा था। यह क्रिकेट की दुनिया कर महानतम क्षण था। एक ऐसा व्यक्ति
जिसने क्रिकेट की दुनिया में बेहतरीन रिकार्ड बनाये और अपने बल्ले से क्रिकेट के
शिखर को छुआ वह व्यक्ति आज मैदान में ऑटोग्राफ लेकर अपना सीना चौडा कर रहा था। इस
क्षण के लिए गावस्कर के आगे दण्डवत प्रणाम भी छोटा पड जाना चाहिए। हमारे रगो में
सम्मान की सारी धाराऐं कम पड जानी चाहिए। एक व्यक्ति जिसने भारतीय क्रिकेट में
अपने बल्ले से बेहतरीन पारीयां खेली । जिनकी पारियां आज भी यू टयूब पर क्रिकेटर
बारीकी से देखते है। जिसने ब्रैडमैन के रिकार्ड को सहजता से तोड दिया था । क्रिकेट
की दुनिया का वो पहला व्यक्ति था जिसने दस हजारवां रन दौडा था। उस समय गावस्कर
के साथ सारा देश झूम गया था। जिसका नाम क्रिकेट की परिभाषा बन गया था। आज वो व्यक्ति
जब धोनी के आगे अपनी शर्ट करके खडा था तो हमारे दिल में उनके लिए आदर के जो मकाम बनाये
थे वो सभी मकाम छोटे पड गये थे।
एक समय में दुनिया के सबसे खतरनाक तेज गेदबाजो के समाने बिना हैलमेट जो शख्स गेंदो को बाउंड्री के पार पहुंचाया करता था उस शख्स के लिए दुनिया में रखे गये सारे अवार्ड कम पड गये थे। धोनी से ओटोग्राफ लेने के बाद सुनील गावस्कर ने जो कहा वो हमारी आंखो में पानी लाने के लिए काफी है। उन्होने कहा कि जिन्दगी के आखिरी लम्हो में मै दो मिनिट के लिए दो चीजे देखना चाहूंगा। जिसमें एक है कपिल देव को साल १९८३ का वर्ल्डकप उठाते हुए और दूसरा जब धोनी २०११ के वर्ल्ड कप फाईनल में विनिंग छक्का लगाते है। मारने के बाद उन्होने बल्ले को जिस तरह से घुमाया । अगर ये मेरी आखिरी लम्हे होंगे तो मै हंसकर चला जाउंगा। ‘ ये शब्द कहकर उन्होने उन सब को बौना कर दिया जो यह मानते है कि उन्होने क्रिकेट को सर्वस्व दे दिया। इससे लगता है कि गावस्कर और क्रिकेट एक ही है। क्रिकेट में गावस्कर समाहित है।
यह महान क्रिकेटर जिसने १९८६-८७ में पाकिस्तान के विरूद्ध बंगलौर
टेस्ट मैच में ९६ रनो की महानतम पारी खेली उस पारी में अकेले गावस्कर ने क्रीज
पर संघर्ष किया। वह महान क्रिकेटर टी 20 वर्ल्डकप में भारत ने जब पाकिस्तान को
हराया था तो नाचते हुए मैदान पर आ गया। वो मेलर्बन क्रिेकेट ग्राउण्ड में एक 17
वर्ष के बच्चे की तरह नाचते हुए कोमेण्ट्री बॉक्स से आ गये थे। उनके इस जश्न पर क्रिकेट की हजारो जीते न्यौछावर की जा सकती
है। एक महान क्रिकेटर जब इस तरह से डूब कर खुश होता है तो जीती हुई जीत भी छोटी
दिखाई देने लग जाती है। इन पलो को भारतीय क्रिकेट ने अपने दिलो में कैद कर लिया क्योंकि
ऐसी जीते तो फिर दोहरायी जा सकेगी परन्तु ऐसे पल फिर से नहीं दोहराये जायेगे। यह
पल भारतीय क्रिकेट के इतिहास में स्टेडियमो में बहने वाली लाखो भावनाओ के सोने से
लिखे जायेंगे।
गावस्कर के लिए यह उनके निजि पल हो सकते है परन्तु जो क्रिकेट
को जानते हुए उनके लिए यह पल किसी शो केस में रखे नगीने से कम नही है। एक व्यक्ति
जिसने क्रिकेट को वो पारियां और वो पल दिये है जिससे क्रिकेट ने अपने आपको मजबूत
किया वो क्रिकेट के पलो के लिए अपनी आंखो में पानी ला रहा है। यह मात्र क्रिकेटर
नहीं है बल्कि क्रिकेट और जीवन की एक स्कूल है। १९९२ में मुंबई में जब दंगे हुए
थे तो इनकी मानवीय सहायता के चर्चे अभी तक लोग नहीं भूले है। उनके माथे पर अपने
क्रिकेटर के असफल होने की एक भी शिकन नहीं है। उनके पास तो भारतीय क्रिकेट के पल्ल्वित
होने के जश्न है। एक युवा इस महान क्रिकेटर से क्रिकेट के प्रति समर्पण को सीख
सकता है। उम्र के इस पडाव पर भी क्रिकेट में जीत उनके लिए खुशी का पल है। इन पलो
के हमे सहेज कर रख लेना चाहिए। ये पल उन युवा क्रिकेटरो केा देखने चाहिए जो यह जान
सके कि क्रिकेट में गेंद और बल्ले के अलावा भी बहुत कुछ होता है जो हमारी क्रिकेट
को बनाता है। हमारे जीवन मे ऐसा बहुत कुछ होता है जो भारत रत्न से भी ज्यादा
होता है। ऐसे पल हम सब के लिए मैन आफ द मैच है जो हमे घर बैठे मिल गया है।
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बहुत शानदार लिखा है सच है ऐसे महान व्यक्तित्व से प्रेरणा मिलती है। आपकी लेखनी भी लाजबाब है
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा है 👍👍🌹🌹
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