Wednesday, April 21, 2021

कल रात की बारिश





रात को बारिश हुई थी. मौसम गरमी का है और इस समय बारिश होना  प्रकृति का सरप्राईज है. रात की बारिश के बाद सुबह भी धुली हुई है. सब कुछ धुला हुआ लग रहा है. सुबह छत्त पर गया और धुली हुई सुबह मे दोनो हाथ फैलाकर अंगड़ाई ली. चारो और सब कुछ ताजगी भरा लग रहा था. घर पर अभी कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है. छत्त पर दो कमरे बनवाये है  तो नयी छत्त पर ताजी हवा का आनंद लिया. ऐसी सुबह पौधे भी नयी उर्जा मे दिखाई देते है. मुझे हमेशा से ही पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने का शौक है. बचपन का एक किस्सा मेरे को याद है

मै जब प्राथमिक कक्षाओं का विध्यार्थी था. ऐसा ही मौसम था. मै स्कूल नही गया था. बादलो भरे आकाश के नीचे मै दिन भर घुमता रहा. घर के सामने खुले मैदान की तरह  खाली जमीन थी. अभी की तरह उस समय सड़के नही हुआ करती थी. मै घर के आगे मैदान मे अकेला घुमता रहा क्योकि सभी स्कूल गये हुए थे. दीदी भी स्कूल गयी हुई थी
मेरे पड़ोस मे दीदी रहा करती थी. वो मेरे से दो क्लास आगे  थी. मुझे वो पढ़ाती थी. मै दुनिया भर के सवाल दीदी से पूछता था. वो बता भी देती थी. वो मेरे सवालो पर कभी परेशान नही होती थी बल्कि मेरे अटपटे सवालो मे मुस्कुरा देती थी. मै हर बात उसे बताता था. मेरे को बचपन से ही बागवानी का शौक था. मैने घर के पास ही टमाटर के बीज डाल दिये थे मै उसमे रोज पानी देता परन्तु उसमे कोंपले नही निकल नही रही थी. मै दीदी से पूछता तो दीदी कहती तुम पानी डालते रहो. एक दिन जरूर कोंपले निकलेगी. तुम अपना काम करते रहो. मैने कोपले निकलने की उम्मीद छोड़ दी थी परन्तु दीदी ने कहा था पानी डालते रहना इसलिए मै पानी डालता रहा.  ठंडे मौसम मे घर के आगे घूमते हुए मैने देखा कि मेरे टमाटर के बीजो मे कोंपले निकल गयी है. मै आल्हादित हो गया. मुझे इतनी खुशी मिली कि उसका कोई ठिकाना नही रहा. मैने सबसे पहले पौधे को सुरक्षित किया. उसके चारो ओर पत्थर लगा दिये और ऊपर जाली लगा दी. फिर घर की देहरी पर बैठ गया और दीदी का इंतजार करने लगा. सबसे पहले यह खुशी मुझे दीदी से साझा करनी थी

मैने किसी को नही बताया था. इतनी बड़ी खुशी मै सबसे पहले दीदी को ही बताना चाहता था. स्कूल की छुट्टी होने मे अभी समय था. मेरे मन मे इतनी उत्सुकता थी कि मैने खाना ही नही खाया था. मुझे सबसे पहले दीदी से यह बात शेयर करनी थी. घड़ी मे एक बज रहा था. स्कूल की छुट्टी का समय हो गया था मै देहरी से उठकर रास्ते मे थोड़ा आगे तक चला गया. दूर से दीदी आती दिखायी दी
मै दौड़ता हुआ दीदी के पास गया. दीदी अपनी सहेली से बात कर रही थी. मेरी बात पर गौर नहीं कर नहीं रही थी. मै दीदी के साथ साथ चलता रहा. फिर मै दीदी को खींच कर मेरे घर के पास ले गया. मैने दीदी को कहा कि दीदी  तुमने कहा था कि कोंपल जरूर आयेगी देखो ये आ गयी. दीदी ने दो कोंपले देखी और मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा दी. मुझे दीदी की मुस्कुराहट कोंपले फुटने जैसी लगी. आज भी मुझे दीदी की वो मुस्कुराहट याद है.


आज छत्त पर पौधो के गहरे हरे रंग से मुझे यह किस्सा याद आ गया. मैने छत्त पर हरी मिर्च, टमाटर, गिलोय, केला, पालक, तुलसी, गेंदा के पौधे लगे है. मिर्च के पौधे मे फल निकलने लगे है. मेरा बच्चा उस मे से उत्सुकता से मिर्च निकलते हुए देखना चाहता है. टमाटर के पौधे मे अभी फल आये नही है. गिलोय पिछले साल तो बढ़ी नही थी. इस बार तेजी से बढ़ रही है. अब तक एक हाथ लंबी हो चुकी है. गेंदे के पौधे मे फूल आ गये है. आज ठंडी सुबह मे हरे पौधो के बीच फूल मेरे बगीचे की शोभा बढ़ा रहे है. अब कारीगरों के आने का समय आ रहा है. मै नीचे चलता हुं.