Saturday, November 30, 2019

कोहरा

                             कोहरा

मुझे याद है ठंड के दिनो मे उन दिनो 8 बजे तक गहरी धुंध रहती थी। घर से बाहर निकलते ही हमे बाहर खडी साईकिल के अलावा कुछ भी दिखाई नही देता था। हमारी मां हमे स्कूल के लिए तैयार करती । मै और मेरा छोटा भाई दोनो गहरे कोहरे मे स्कूल के लिए घर से निकलते। दोनो के  हाफ पेंट पहनी हुई होती थी। मुझे याद नही हम हाफ पेंट क्यो पहनते थे। उस समय चलन था या पैसो की तंगी। शर्ट पर एक स्वेटर डाला रहता था। पैरो मे रबड़ की चप्पल। कोहरे मे कुछ भी दिखाई नही देता था। ठंड मे हम दोनो भाईयो के पैरो और हथो पर लालासी छा जाती थी। मुंह से धुंध का धुआं निकलता था। छोटे जोर से मुंह से सांसे छोड़ता तो धुऐं की तरह तरह धुंध निकलती। कुछ देर हम दोनो मुंह से धुंध का धुआं छोड़ते और एक दूसरे को देखकर खिलखिलाकर हंसते। ठंड इतनी थी कि नाखूनो मे खून जमने लगता। हमे इससे कोई फर्क नही पड़ता। छोटे आगे भागकर कोहरे मे गायब हो जाता तो मै दौड़कर उसे पकड़ लेता। कभी मै भागकर कोहरे मे छिप जाता तो वो मुझे पकड़ लेता। ठंड से  पूरी टांगे लाल हो जाती। छोटे कहता ठंड लग रही हे तो मै बताता कि मम्मी ने कहा है कि जिस दिन कोहरा होता है उस दिन धूप जरूर निकलती है। हम स्कूल पहुंचते तब तक धूप नही निकलती थी। हमारा स्कूल खुले मे ही था। एक मैदान मे कमरे बने हुए थे। मेरे और छोटे कि क्लासे आमने सामने थी। हम आसमान मे दूखते फिर एक दूसरे को। धूप अभी भी नही निकली थी। कोहरा क्लासो के अंदर तक था। हाथ से पेंसिल भी पकड़ नही पा रहे थे। टांगो को ठंड से बचाने के लिए एक टांग को दूसरी टांग पर रख लेते थे। इतनी ठंड मे एक ही बात गरमी देती थी कि मां ने कहा है कि कोहरे वाले दिन धूप जरूर निकलती है।  आधी छुट्टी हो गयी। कोहरा अभी भी था। छोटा अपना टिफिन लेकर मेरे पास दौड़ता आया। ठंड से कंपकंपा रहा था। उसने कहा धूप तो निकली नही। मैने कहा मां ने कहा है कोहरे वाले दिन धूप जरूर निकलती है। हम टिफिन लिए कोई कोना खोज रहे थे कि मैदान मे धूप आ गयी। मेरे ओर छोटे के होठ फैल गये। मैने कहा था ना कि मां ने कहा है कोहरे के दिन धूप जरूर निकलती है।  हम दोनो धूप मे बैठकर दोपहरी करने लग गये। आज भी कोहरा होता है तो मां की बात जरूर आती है कि जिस दिन कोहरा होता है उस दिन धूप जरूर निकलती है।