Saturday, June 5, 2021

गौरेया






मेरे को बागवानी का शौक है. इस शौक को पूरा करने के लिए मै किसी बगीचे मे नही जाता. किसी बगीचे मे क्या मै कही नही जाता. मेरे घर के आगे भी खाली जमीन नही है जहां मै अपना यह शौक पूरा कर सकूँ. फिर भी शौक है और शौक है तो कहीं न कही पूरा होता ही है. मैने अपना शौक पूरा करने के लिए गमले मे पौधे लगा रखे है. अपनी छत्त पर मैने नर्सरी बना रखी है. नर्सरी का आप इसे पूरा बगीचा ही समझिए. मैने बहुत सारे पौधे गमलो मे लगा रखे है. मेरे पास तुलसी के तीन चार पौधे है. एक गमले मे तो तुलसी घनी लगी है बाकि दोनो पौधो मे घनी नही तो कम भी नही है. एक मीठे नीम का  पौधा है जो छोटा पेड़ लग रहा है. इसमे से हम सब्जी मे डालने के लिए पत्ते तोड़ भी लेते है. एक पौधा केले का भी है. यह केले लगने जितना बड़ा तो नही है परन्तु मेरे बगीचे की शोभा इसी पौधे से है. एक गुलाब का पौधा है परन्तु इस पर एक बार भी गुलाब नही लगे हालांकि इसके पत्ते हमेशा हरे रहते है. मेरे बगीचे मे फूल गेंदे मे लगते है. मेरे पास तीन चार गेंदे के पौधे है. उनमे अच्छे अच्छे फूल आते है. ये गेंदे के फूल ही मेरे बगीचे की शान है.

बागवानी का शौक कोई आसान शौक नही है. पौधो की देखभाल बच्चो की तरह करनी पड़ती है. रोज सुबह उठकर मै सभी पौधो मे पानी देता. तेज गर्मी मे तेज धूप आने पर उनको मै उठाकर छाया मे रखता. उनकी निराई गुड़ाई भी समय पर करता. मेरे पौधो पर पंछी नही आते थे पर एक तितली जरूर आती थी. सुनहरे रंग की तितली आकर गेंदे के फूलो पर बैठती तो बहुत मन भाति. यह तितली मेरे छोटे से बगीचे का गहना थी. वो एक फूल से दूसरे फूल पर घूमती रहती. मुझे अच्छे पंछीयों की भी आस थी परन्तु कोई पक्षी मेरे गमलो वाले बगीचे मे नही आता. एक बार सुबह की बात है कुछ गौरेया मेरे पौधो पर बैठी थी. मै तीन चार गौरया देखकर बहुत खुश हुआ. मै इनके नजदीक गया  तो वे उड़ गयी बस एक को छोड़कर. एक गौरया मीठे नीम के पौधे पर बैठी रही. ऐसे लगा जैसे वो मेरे कौ जानती है परन्तु ज्यादा नजदीक जाने पर वह उड़ गयी. अब वो रोज सूबह आकर नीम के पौधे पर बैठ जाती. उसकी मिठी चहचहाट मेरे बगीचे  की आवज बनती. मुझे उसकी चहचहाट बहुत पसंद आती. फिर मै उसके लिए दाने भी लाने लगा. वो दाने चुभती फिर उड़ जाती. धीरे धीरे वो मेरी मित्र बन गयी. सर्दियो मे जब सुबह मै धूप मे अखबार पढ़ता तो वह मेरे कंधे पर आकर बैठ जाती. मै अखबार पढ़ता रहता वो मेरे कंधे पर बैठी रहती. कंधे पर बैठे वो चहकती तो मुझे और अच्छा लगता. वो भी रोज नियम से आती. उसने एक दिन भी आने मे चूक नही की. एक दिन मै हमेशा की तरह धूप मे अखबार पढ़ रहा था और वो मेरे कंधे पर बैठी थी. वो मेरे कंधे पर बैठी जोर जोर से चहकने लगी. मुझे अजीब सा लगा मैने गर्दन घुमाकर गौरेया को देखा. वो मेरे कंधे पर आगे पीछे हो रही थी. फिर मैने सामने की दीवार पर देखा तो बिल्ली बैठी थी

 मैने बिली को भगा दिया.गौरेया की चहचहाट फिर रिदम मे आ गयी. बिल्ली  अब कहां पीछा छोड़ने वाली थी. वो रोज आती मै उसे भगा देता. इससे गौरेया का विश्वास बढ़ जाता. एक दो बार मैने उसे गमले के नजदीक से भगाया. अब गौरेया बिल्ली से बेफिक्र हो गयी. उसे विश्वास हो गया कि अब जब भी बिल्ली आयेगी मै उसे भगा दूंगा. एक दिन सुबह धूप मे बैठा मै अखबार पढ़ रहा था. गौरेया नीम के पौधे पर बैठी चहक रही थी. मै अखबार पढ़ता बीच मे उसे देख लेता. आज बिल्ली भी दिख नही रही थी इसीलिए आज गौरेया बेफिक्र से चहक रही थी. वो उड़कर मेरे कंधे की ओर आ रही थी. कही पीछे बिल्ली उछलते हुवे निकली. गौरेया को मेरे कंधे पर पहुंचने से पूर्व ही उसने गौरेया को अपने मुंह मे दबोच लिया और भाग गयी. मै अवाक सा देखता रहा. मै कुछ देर आंखे फाड़े हुए स्थिर रहा

 कुछ क्षण स्थिर रहने के बाद मैने गमलो की ओर देखा. तितली गेंदो के फूलो पर मंडरा रही थी. अब वो ही मेरी उम्मीद की किरण थी.

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Wednesday, April 21, 2021

कल रात की बारिश





रात को बारिश हुई थी. मौसम गरमी का है और इस समय बारिश होना  प्रकृति का सरप्राईज है. रात की बारिश के बाद सुबह भी धुली हुई है. सब कुछ धुला हुआ लग रहा है. सुबह छत्त पर गया और धुली हुई सुबह मे दोनो हाथ फैलाकर अंगड़ाई ली. चारो और सब कुछ ताजगी भरा लग रहा था. घर पर अभी कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है. छत्त पर दो कमरे बनवाये है  तो नयी छत्त पर ताजी हवा का आनंद लिया. ऐसी सुबह पौधे भी नयी उर्जा मे दिखाई देते है. मुझे हमेशा से ही पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने का शौक है. बचपन का एक किस्सा मेरे को याद है

मै जब प्राथमिक कक्षाओं का विध्यार्थी था. ऐसा ही मौसम था. मै स्कूल नही गया था. बादलो भरे आकाश के नीचे मै दिन भर घुमता रहा. घर के सामने खुले मैदान की तरह  खाली जमीन थी. अभी की तरह उस समय सड़के नही हुआ करती थी. मै घर के आगे मैदान मे अकेला घुमता रहा क्योकि सभी स्कूल गये हुए थे. दीदी भी स्कूल गयी हुई थी
मेरे पड़ोस मे दीदी रहा करती थी. वो मेरे से दो क्लास आगे  थी. मुझे वो पढ़ाती थी. मै दुनिया भर के सवाल दीदी से पूछता था. वो बता भी देती थी. वो मेरे सवालो पर कभी परेशान नही होती थी बल्कि मेरे अटपटे सवालो मे मुस्कुरा देती थी. मै हर बात उसे बताता था. मेरे को बचपन से ही बागवानी का शौक था. मैने घर के पास ही टमाटर के बीज डाल दिये थे मै उसमे रोज पानी देता परन्तु उसमे कोंपले नही निकल नही रही थी. मै दीदी से पूछता तो दीदी कहती तुम पानी डालते रहो. एक दिन जरूर कोंपले निकलेगी. तुम अपना काम करते रहो. मैने कोपले निकलने की उम्मीद छोड़ दी थी परन्तु दीदी ने कहा था पानी डालते रहना इसलिए मै पानी डालता रहा.  ठंडे मौसम मे घर के आगे घूमते हुए मैने देखा कि मेरे टमाटर के बीजो मे कोंपले निकल गयी है. मै आल्हादित हो गया. मुझे इतनी खुशी मिली कि उसका कोई ठिकाना नही रहा. मैने सबसे पहले पौधे को सुरक्षित किया. उसके चारो ओर पत्थर लगा दिये और ऊपर जाली लगा दी. फिर घर की देहरी पर बैठ गया और दीदी का इंतजार करने लगा. सबसे पहले यह खुशी मुझे दीदी से साझा करनी थी

मैने किसी को नही बताया था. इतनी बड़ी खुशी मै सबसे पहले दीदी को ही बताना चाहता था. स्कूल की छुट्टी होने मे अभी समय था. मेरे मन मे इतनी उत्सुकता थी कि मैने खाना ही नही खाया था. मुझे सबसे पहले दीदी से यह बात शेयर करनी थी. घड़ी मे एक बज रहा था. स्कूल की छुट्टी का समय हो गया था मै देहरी से उठकर रास्ते मे थोड़ा आगे तक चला गया. दूर से दीदी आती दिखायी दी
मै दौड़ता हुआ दीदी के पास गया. दीदी अपनी सहेली से बात कर रही थी. मेरी बात पर गौर नहीं कर नहीं रही थी. मै दीदी के साथ साथ चलता रहा. फिर मै दीदी को खींच कर मेरे घर के पास ले गया. मैने दीदी को कहा कि दीदी  तुमने कहा था कि कोंपल जरूर आयेगी देखो ये आ गयी. दीदी ने दो कोंपले देखी और मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा दी. मुझे दीदी की मुस्कुराहट कोंपले फुटने जैसी लगी. आज भी मुझे दीदी की वो मुस्कुराहट याद है.


आज छत्त पर पौधो के गहरे हरे रंग से मुझे यह किस्सा याद आ गया. मैने छत्त पर हरी मिर्च, टमाटर, गिलोय, केला, पालक, तुलसी, गेंदा के पौधे लगे है. मिर्च के पौधे मे फल निकलने लगे है. मेरा बच्चा उस मे से उत्सुकता से मिर्च निकलते हुए देखना चाहता है. टमाटर के पौधे मे अभी फल आये नही है. गिलोय पिछले साल तो बढ़ी नही थी. इस बार तेजी से बढ़ रही है. अब तक एक हाथ लंबी हो चुकी है. गेंदे के पौधे मे फूल आ गये है. आज ठंडी सुबह मे हरे पौधो के बीच फूल मेरे बगीचे की शोभा बढ़ा रहे है. अब कारीगरों के आने का समय आ रहा है. मै नीचे चलता हुं.

Saturday, January 2, 2021

रस्किन बाण्ड की डायरी

जब मै छोटा था तो मेरी आया मुझ से कहा करती थी कि यदि तुम ज्यादा जोर से हंसोगे तो तुम्हारा सिर पीछे गिर जायेगा. इसका परिणाम यह हुआ कि मै हंसते हुए कभी भी मै अपना सिर ज्यादा पीछे नही करता.

हम पिछले नौ महीने से अपने मुंह पर जो मास्क पहन रहे है उसकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि यदि कोई मुस्कुरा रहा है, खीझ रहा है या दांत पीस रहा है तो हम पहचान नही पाते है. मुझे मेरे बैंक मेनेजर ने बुलवाया तो मैने उनका मास्क देखकर कहा आप बैंक लुटेरे लग रहे हो तो वे इतना जोर से हंसे कि मास्क लगभग निगल गये हो.

इन दिनो खुशी आगे होल्ड है क्योकि छोटे व्यापार संघर्ष कर रहे है. बहुत से लोगो की नौकरी चली गयी. विमान जमीन पर पड़े है. प्रवासी श्रमिक और उनके परिवार भूखे मर रहे है. यात्राएं स्थिर है.  हमे कहा जाता है चीजे जल्दी अच्छी होगी और हम आशा और विश्वास के साथ चलते रहते है.

लेखक के रूप मे मै भाग्यशाली हूं. सामाजिक कार्य और पार्टी के लिए नही. मै अपनी संचय की हुई पुस्तको के साथ खुश हुं.  मै उनको पढ़ना भी चाह रहा हुं और कुछ को मैने दोबारा पढ़ा और इन्होने नीचे मेरे बैठने के कमरे को साहित्य का सुंदर मंदिर बना दिया है. मै इस प्रिंट ऋण के पीछे आश्रय लेना चाहता हुं. मेरी लिखने की डेस्क पर समय बिताने से पूर्व दो तीन घंटे इनके साथ बताकर खुश होता हूं.

और क्या मै कुछ भी लिख लेता हुं? 

प्रकाशक भले ही धीमे पड़ गये है लेकिन यह अधीर लेखक पूरी स्पीड मे है. आखिरकार यह लेखक 86 का हो गया है और कुछ नयी कहानियां, किस्से बड़े या छोटे लूटना चाहता हुंआसमान की सबसे बड़े पुस्तकालय को ज्वाईन करने से पहले.

ये कहानियां कहां से आती है? सपनो  से, कभी कभी. और मै महसूस करता हुं कि  इस एट होम पीरियड मे मैने सामान्य से ज्यादा सपने देखे. ताजे सपने जो कुछ समय मेरे साथ रहते है. इसलिए मै उन्हे अपनी सपनो की नोट बुक मे लिख लेता हुंहुं और कभी कभी कहानियों मे बदल जाते है. इस साल लिखी दो कहानियां मेरे सपनो पर आधारित है.  दूसरी कहानियां पक्षियो और जानवरो से मिलने का परिणाम है. एक उल्लू ने मेरे कमरे मे अपना निवास बना लिया हैऔर उसके पास कहने के लिए किस्से है. मेरे एक पौधे मे एक कीड़े ने शरण ली है. वह देर रात को आवाज करना शुरू करता है. मै गौर नही करता हुं परन्तु साथी के रूप मे अच्छा है.

परन्तु मै अकेला नही हुं.  मेरी और परवाह करने वाला परिवार है जो मेरे पर नजर रखता है परन्तु जब भी मै अकेला रहना चाहता हूं, मेरी किताबो और नैटपैड के साथ अकेला छोड़ देते है तथा मेरे कमरे के एकांत मे जहां से खिड़की से पहाड़ और घाटिया दिखाई देती है. 

यही वो चीजे है जिन्होने मुझे इन महीनो मे जाने से रोका है.

प्रत्येक व्यक्ति को खिड़की की जरूरत होती है. कोई भी बंद रहना पसंद नही करता हैहै और एक लेखक के लिए तो खिड़की पसंद है.  इस मे से रेल्वे यार्ड, बसे और व्यस्त गलियां दिखने के बाद भी. यह आपको बाकि दुनिया से जुड़ा रहने का अहसास देती है,  टुटी हुई दुनिया होने के बावजूद.


मेरी खिड़की बादलो और आसमान पर खुलती है और क ई बार तो बादल कमरे मे घुस आते है. मै छ: बजे उठ जाता हुं ,  पहाड़ो पर भोर को होते हुए देखने के लिए. सुदुर क्षितिज पर गुलाबी अनारी रंग फैला हुआ है, वह यही है. धीरे धीरे यह लुप्त होने लगता है और सूरज के आने से पहले एक अंतराल होता है. यह दिन का सबसे शानदार क्षण होता है जब अपनी पूरी चमक के साथ आता है, वास्तव मे मेमेरी खिड़की से आता है और पूरे कमरे को जगमग कर देता है.्, इस तरह से इन सर्दियो मे स्वागत करता है.


मेरी खिड़की से मै देखता हुं कि मेरे दांये घाटी से निकलती हुए छोटी नदियां गंगा मे मिलती है.् और मेरे बांये नदियां यमुना मे मिलती है. यह पूर्ण वाटरमैन है. इसमे कुछ महत्वपूर्ण होना चाहिए. यह मेरे लिए होता है. इसने मेरे जीवन के 50 वर्षो से अब तक बनाये रखा है.् और शायद मेरे लिए कुछ और सालो तक सूर्योदय देखने के बनाये रखेगा.

दरवाजे पर आहट हुई. फिनलैण्ड से एक आदमी मुझ से मिलने आया है. वह प्रकाशक है और मुझ से कुछ कहानियां चाहता है. जैसे कोई उन्हे मांग नही रह था वो मैने अपनी कहानियां और लिखे हुए सपने उसे दे दिये. उसने एडवांस के तौर मुझे एक चैक दिया. उसने मेरी कहानियां ली और उसे अपने बड़े बैग मे रखा,  मुझे क्रिसमिस और नये साल की बधाई दी और हु हु हु कहते हुए चला गया.


मैने चैक को देखा. यह सांता क्लॉज़ द्वारा साईन किया हुआ था. अच्छा ! मै सपना देख सकता हुं. क्या नही देख सकता? 

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