Wednesday, January 31, 2024

खेलो इंडिया से कितना खेला इंडिया

 


देश में सालो तक खेलो के राष्‍ट्रीय स्‍तर के बडे आयोजनो में राष्‍ट्रीय खेल सबसे उपर रहे है। राष्‍ट्रीय खेल के आयोजन में अंतराल आता रहा है परन्‍तु इस समय देश में खेलो इंडिया की धूम है। भारत सरकार का यह कार्यक्रम युवाओ में खासा लोकप्रिय हो रहा है। इसी के तहत तमिलनाडु की मेजबानी में खेलो इंडिया यूथ गेम्‍स का छठा संस्‍करण आयोजित किया गया जिसमे देश भर के ५६०० से भी ज्‍यादा खिलाडियो ने हिस्‍सा लिया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि खेलो इंडिया देश में खेलो के प्रति युवाओ में विश्‍वास जगाने में कितना बडा काम कर रहा है। युवा इसे अपनी उम्‍मीदो से जोडकर देख रहे है। खेलो इंडिया ने युवाओ को न केवल अवसर प्रदान किये है बल्कि मिलने वाली सुविधाओ में भी ईजाफा किया है।

तमिलनाडु में खेला इंडिया यूथ गेम्‍स का छठा संस्‍करण आयोजित किया गया। इन खेलो मे महाराष्‍ट्र, हरियाणा और तमिलनाडु के एथलीट छाये रहे । खेलो इंडिया यूथ गेम्‍स २०२३ में महाराष्‍ट्र चैम्पियन बना था। इस बार केआईवाईजी २०२४ में कुल २६ खेलो में ९३३ पदक दांव पर थे जिसमें २७८ स्‍वर्ण पदक, २७८ रजत और ३७७ कास्‍यं पदक शामिल है। स्‍क्‍वेश को पहली बार केआईवाईजी में शामिल किया गया। इसमें ३६ राज्‍यो और केन्‍द्र शासित प्रदेशो की टीमें भाग लेती है। इसमें सबसे बडा दल मेजबान तमिलनाडु का रहा जिसमें ५५९ एथलीट शामिल थे जबकि तीन बार के चैम्पियन महाराष्‍ट्र के दल में ४१५ और दो बार के चैम्पियन हरियाणा के दल में ४९१ एथलीट शामिल थे। हरियाणा छोटा राज्‍य होने के बावजूद दो बार चैम्पियन है जो यह बताता है कि इस राज्‍य में खेलो का इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर कितना मजबूत है। केआईवाईजी टीम चैम्पियशिप प्रारूप में खेला जाता है जिसमें एथलीटो द्वारा जीते गये पदक उनसे सम्‍बन्धित राज्‍य या केन्‍द्र शासित प्रदेश की समग्र पदक तालिका में जोडे जाते है और जो टीम सबसे ज्‍यादा पदक जीतती है, उसे प्रतियोगिता का चैम्पियन घोषित किया जाता है।

खेलो इंडिया वर्ष २०१७-१८ में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने एथलीटो को जमीनी स्‍तर पर सुविधाऐ और अवसर उपलब्‍ध करान के उद्धेश्‍य से शुरू किया गया। खेलो इंडिया भारत सरकार की युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय की केन्‍द्रीय प्रवर्तित योजना है। इसके अन्‍तर्गत खेलो इंडिया यूथ गेम्‍स, खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्‍स और खेलो इंडिया विंटर गेम्‍स आयोजित किये जाते है। इससे जुडे खिलाडियो को खेला इंडिया एथलीट के रूप में पहचान मिली है। इससे निकले ३००० से ज्‍यादा एथलीट भारतीय खेल प्राधिकरण के विभिन्‍न केन्‍द्रो पर प्रशिक्षण प्राप्‍त कर रहे है। इस प्रशिक्षण  में उपकरण , आहार और शिक्षा हेतु सहायता के अतिरिक्‍त १०,००० रूपये भत्‍ता दिया जाता है। खेलो इंडिया भारत में खेलो के विकास के लिए महत्‍ती भूमिका निभाता हुआ दिख रहा है। एशियाई खेलो में भारत की पदक तालिका तीन अंको में पहुंचाने में कहीं न कहीं खेलो इंडिया का योगदान है। भारतीय एथलीटो ने एशियाई खेलो में जिस प्रकार का खेल और जज्‍बा दिखाया वो खेलो इंडिया के कारण ही संभव हो सका है। भारतीय एथलीटो को दिया गया प्रशिक्षण मैदान में उनके प्रदर्शन से दिख रहा है। राष्‍ट्रकुल खेलो और ओलम्पिक  में भी भारतीय एथलीटो का प्रदर्शन पूर्व के प्रदर्शनो से काफी बेहतर रहा है। इसके लिए भारतीस एथलीटो ने मिली सुविधाओ का खूब लाभ उठाया जो उनकी सफलता में दिखाई दिया।

खेलो इंडिया योजना युवाओ के बीच लोकप्रिय होती दिख रही है। युवाओ को निश्चित रूप से इससे अवसर प्राप्‍त हुए है। खेलो इंडिया यूथ गेम्‍स और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्‍स के अलग अलग आयोजन होने से युवाओ के लिए अवसर बढे है। खेलो का इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर पहले से बेहतर हुआ है परन्‍तु अभी भी इस क्षेत्र में काम की जरूरत है। ठेठ ग्रामीण स्‍तर तक खेलो के इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर को बेहतर बनाने की आवश्‍यकता है। कई गांवो में खेल प्रतिभाऐं है परन्‍तु इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर के अभाव में ये प्रतिभाऐ उभरने से पहले ही खत्‍म हो जाती है। सोशल मिडिया के जरिये कई बार गांव की लडकियो को अपने गांव मे खेलो में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन में करते हुए देखा जा सकता है। किसी भी बडे प्रतिभा खोज तलाश कार्यक्रम में प्रतिभाऐं गांव में ही मिलती है। तीरंदाज लिम्‍बाराम ठेठ गांव की ही प्रतिभा थी। देश की कई यूनिवर्सिटीज में भी खेल सुविधाओ और साधनो का अभाव है इस कारण प्रतिभाशाली खिलाडी आगे बढने का सपना वहीं खत्‍म कर देते है। खेलो इंडिया के माध्‍यम से अंतिम छोर तक खेल सुविधाओ का विस्‍तार करने की आवश्‍यकता है।

खेलो इंडिया योजना के तहत स्‍थानीय खेलो को भी महत्‍व दिया जा रहा है जिसमें गतका, कलारीपयटु और मलखम्‍ब शामिल है। खेलो इंडिया से निश्चित रूप से इंडिया खेला है और काम्‍याबी के सा खेला है। अभी खेलो इंडिया को पांच से सात साल ही हुए है। अभी जो परिणाम मिले हुए उसे शुरूआती माने जा सकते है परन्‍तु अगले पांच वर्षो में बडे परिणामो की दरकार रहेगी। हाल के परिणामो से माना जा सकता है कि खेलो इंडिया अपने उद्धेश्‍यो में सफल हो रहा है। खेलो इंडिया यूथ गेम्‍स की लोकप्रियता जिस प्रकार से बढी है उससे युवाओ खेलो की तरफ आकर्षित हुए है। तमिलनाडु में इन खेलो का जारेदार आयोजन हुआ और सबसे बडी बात इसमें लगभग सभी राज्‍यो और केन्‍द्र शासित प्रदेशो की टीमो ने भाग लिया। 

खेलो इंडिया की सफलता और बडी हो जायेगी तब अंतिम छोर तक खेल सुविधाऐं पहुंच जायेगी। फिलहाल खेलो इंडिया यूथ गेम्‍स अपने छठे संस्‍करण में ही सफल है परन्‍तु यह भी सच है कि पहले पांच प्रदेशो की टीमो के स्‍वर्ण पदको की संख्‍या दहाई तक पहुंच सकी है। इस पदक तालिका से पता लगाया जा सकता है कि खेलो में कहां पर और अधिक ध्‍यान देने की जरूरत है। खिलाडियो का जोश और खूमार खेलो इंडिया के ध्‍वज वाहक है।

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सीताराम गेट के सामने, बीकानेर ९४१३७६९०५३

Wednesday, January 3, 2024

नये अवसरो का साल है २०२४


 


नया साल हमेंशा नयी उम्‍मीदें लेकर आता है। हर क्षेत्र में नये साल में लोग नयी उर्जा के साथ काम में लगते है। खेलो में तो हर एक नया दिन नयी उर्जा के साथ आता है। इस बार खेलो के लिए साल २०२४ पिछले साल की गल्तियो को सुधारने का अवसर लेकर आया है। जो मौके हम २०२३ में चूक गये थे उन मौको को सुधारने का अवसर लेकर आया है नया साल। पिछले साल भारत को बहुत सारे खेलो में पूरी दुनिया में छा जाने का अवसर था। भारत के पास इन खेलो में विश्‍व चैम्पियन बनने का अवसर था। भारत इन खेलो में दुनिया की सबसे बडी ट्रॉफी अपने नाम कर सकता था परन्‍तु हमारे खिलाडी अंतिम अवसर पर चूक गये थे। भारतीय उस समय अपने लक्ष्‍य से चूक गये जब तीर निशाने पर लगने वाला था। भारतीय अपने देशवासियो की उम्‍मीदो को संभाल नहीं पाये और देश की उम्‍मीदे धराशायी कर दी। अब नया साल उन चूके गये अवसरो को वापिस लेकर आया है। ऐसा बहुत कम होता है कि एक साल चूक जाने पर अगले ही साल आपको वापिस   अवसर मिलता है। साल २०२४ उम्‍मीदो को साल है। साल २०२४ हारी हुई बाजी जीतने का साल है।

बात करे क्रिकेट की तो पिछले साल हमने बहुत सारे मौके गंवाये है। पिछले साल वनडे विश्‍वकप में आस्‍ट्रेलिया के हाथो फाईनल की हार कई साल तक सालती रहेगी। वनडे विश्‍वकप भारत में हुआ था लिहाजा भारत के लिए उम्‍मीदे भी ज्‍यादा थी और अवसर भी। परन्‍तु भारतीय पूरे टुर्नामेंट में सिकन्‍दर की तरह खेलने वाले अंतिम क्षणो में उम्‍मीदे और अवसर दोनो गंवा बैठे। इससे पहले विश्‍व टेस्‍ट चैम्पियपनशिप में भारत लगातार दूयरी बार फाईनल में पहुंचा था और यहां भी भारत से उम्‍मीदे थी क्‍योंकि टेस्‍ट क्रिकेट में भारत शीर्ष पर था। लगभग हर टीम को हरा चुका था। यहां भी भारतीय अंतिम क्षणो में चूक गये और फाईनल में आस्‍ट्रेलिया से हार गये। टेस्‍ट चैम्पियपनशिप के फाईनल में हारना क्रिकेट की सबसे बडी हार थी। साल २०२३ में क्रिकेट में भारत के लिए दुनिया का सिरमौर बनने के दो अवसर थे और दोनो ही अवसर भारत ने आखिरी दौर में गंवा दिये। नया साल भारत के लिए अवसर वापिस लाया है। साल २०२४ में जून में अमेंरीका और वेस्‍टंडीज में टी २० विश्‍वकप होगा। भारत के लिए मौका है कि भारत इसे जीत कर पिछले साल गंवाये अवसरो को वापिस सफलता में बदल दे। टी २० विश्‍वकप से पहले भारत को बहुत सारे टी २० और आईपीएल खेलने का अवसर मिलेगा जो टी २० विश्‍वकप में भारत के लिए बुस्‍टर का काम करेगा। इसके अलावा विश्‍व टेस्‍ट चैम्पियनशिप का नया सीजन भी २०२४ मे शूरू होगा और भारत को साल के शुरू में ही ईग्‍लैण्‍ड के साथ ५ मैचो की सीरीज भी खेलनी है। भारत विश्‍व टेस्‍ट चै‍म्पियनशिप का शानदार आगाज कर फाईनल में स्‍थान बनाने के लिए शुरूआत में ही शीर्ष पर पहुंच सकता है। इस प्रकार क्रिकेट में भारत के लिए साल २०२३ में गंवाये अवसरो को वापिस भुनाने के मौके है। भारत के पास साल २०२४ में भी विश्‍व चैम्पियन बनने के मौके है।

बैडमिंटन में साल २०२३ में भारत को अवसर तो मिले परन्‍तु क्रिकेट की तरह अंतिम छोर तक नहीं पहुंच सके। साल २०२२ में गंवाये गये मौको को वो २०२३ में भुना नही सके परन्‍तु पुरूष बैडमिंटन में भारत की चुन्‍नौत्ति युवा शटलरो में मजबूत की। भारतीयो ने टुर्नामेट भी जीते है। साल २०२२ में भारत के लक्ष्‍य सेन आल ईग्‍लैण्‍ड बैडमिंटन में फाईनल तक पहुंचे थे परन्‍तु फाईनल जीत कर पूवर् भारतीयो की सफलता को दोहरा नही सके थे। २०२३ में लक्ष्‍य सेन और किदाम्‍बी श्रीकांत ने अच्‍छा प्रदर्शन किया। लक्ष्‍य सेन साल २०२२ के प्रदर्शन को २०२३ में दोहरा नही सके थे। क्रिकेट की तरह बैडमिंटन में भी खिलाडियो के पास २०२४ में पिछले अवसरो को वापिस भुनाने का अवसर है। इस साल आल ईग्‍लैण्‍ड बैडमिंटन चैम्पियनशिप में भारतीयो के पास फाईनल में पहुचने और जीतने के अवसर है। साल २०२२ में गंवाया अवसर अब वापिस मिल रहा है और इसे भुनाकर एक बार फिर बरसो बाद भारतीय बैडमिंटन को शीर्ष पर पहुंचा सकते है। ऐसा इसलिए है कि इस समय भारतीय शटलर पूरी तरह से फॉर्म में है और इसे जीतने की क्षमता भी रखते है। इसलिए भारतीय शटरलर से उम्‍मीदे की जा रही है।

साल २०२३ मे शतरंज में भारत के लिए चमत्‍क्रत होने का अवसर आया था ज‍ब भारत के प्रागनंदा विश्‍व चैम्पियन बनने के करीब थे परन्‍तु अंतिम क्षणो में भारत के युवा प्रागनंदा अनुभव मैग्‍नस कार्लसन से हार गये थे। इस विश्‍व चैम्पियनशिप के शुरू में तो भारतीयो का ध्‍यान इस ओर नहीं गया था जब प्रागनंदा ने चाले चलनी शुरू की तो इसकी धमक पूरी दुनिया में सुनायी देने लगी और फाईनल तक आते आते पूरा देश विश्‍व चैम्पियन बनने की दुआ करने लगा परन्‍तु युवा ग्राण्‍ड मास्‍टर कराडो उम्‍मीदो का बोझ सहन नहीं कर पाये और चैम्पियन बनने से चूक गये। परन्‍तु साल २०२४ में प्रागनंदा के पास एक और अवसर है। अप्रेल में फिर विश्‍व शतरंज चैम्पियनशिप हो रही है जिसमें प्रागनंदा साल २०२३ में गंवाये अवसरो को वापिस भुना सकता है। भारत के पास वैसे तो कई शातिर है परन्‍तु युवा ग्राण्‍ड मास्‍टर के पास अलग तरह की चाले है। उनकी इन चालो को देखकर दुनिया भर के विशेषज्ञ उन्‍हे भविष्‍य का चैम्पियन मानते है। साल २०२४ में उनके पास अवसर है कि वो दुनिया के सिरमौर शातिर बन सकते है। भोले भाले प्रागनंदा से पूरी भारत को नये साल में उम्मीदे है।

क्रिकेट, बैडमिंटन और शतरंज में ही नही दूसरे खेलो में भी भारत को नये साल में नये अवसर है। टेनिस में भारत को पाकिस्‍तान के साथ डेविस कप खेलना है। भारत डेविस कप में विश्‍वग्रुप में पहुंचने से काफी दूर हो गया है। भारत को इस साल पाकिस्‍तान में डेविस कप खेलने की अनुमति मिलती है तो भारत यहां जीत हासिल कर विश्‍वग्रुप के और करीब जा सकता है। एथलेटिक्‍स में नीरज चौपडा ने पिछले साल स्‍वर्णिम प्रदर्शन किया और नये साल में भी उनके पास अपना प्रदर्शन जारी रखने का अवसर है। पूरे भारत के लिए इस साल होने वाले ओलम्पिक्‍स में भारत को कई ज्‍यादा पदको की उम्‍मीदे है। भारत को इस बार पदको का आंकडा ऐतिहासिक रूप से बढने की उम्‍मीद है। सभी खेलो में २०२३ में चुके गये अवसरो के बाद साल २०२४ में ओलम्पिक के रूप में बहुत सारे अवसर मिल रहे है। भारतीय इन अवसरो केा जरूर भुनायेंगे ऐसी उम्‍मीद है।

साल २०२३ में अवसर कम थे और जो भी अवसर मिले उनमें भारतीयो ने शानदार प्रदर्शन किया परन्‍तु कुछ खेलो में अंतिम समय पर चूक गये थे। इस साल भारत के पास ओलम्पिक्‍स के रूप में बहुत सारे अवसर है। भारत २०२४ में खेलो में नयी ईबारत लिख सकता है। इसलिए भारत नये साल का स्‍वागत नयी उम्‍मीदो आैर उर्जा के साथ कर सकता है।

सीताराम गेट के सामने, बीकानेर ९४१३७६९०५३