Tuesday, October 24, 2023

ये क्रिकेट है मेरी जान

 

 

मै आज दैनिक भास्‍कर में वरिष्‍ठ पत्रकार शेखर का एक लेख पढ रहा था जिसमें उन्‍होने क्रिकेट के दर्शको के सैकलुर होने की बात उठायी है। उनका ईशारा भारत पाक मैच के दौरान पाकिस्‍तान बल्‍लेबाज रिजवान के आउट होने पर दर्शको द्वारा जय श्रीराम का नारा लगाने की ओर था। उसी तरह मैने टिवटर पर एक पोस्‍ट देखी जिसमें क्रिकेट की समीक्षा जाति के माधयम से करने के पक्ष मे तर्क दिये गये थे। एक फेसबुक रील में मैने एक क्लिप देखी जिसमें कुछ दर्शक बांग्‍लादेशी दर्शको से उनके प्रतीक शेर के खिलौने को छिनकर उसका मजाक बना रहे थे। अब चाहे वरिष्‍ठ हो या साधारण आप क्रिकेट में क्‍या देख रहे है। इतना शानदार क्रिकेट विश्‍वकप चल रहा है। उसमें आपको चौक्‍के छक्‍के नही दिख रहे है। आपको इसमें ये सब कैसे दिख रहा है। एक क्रिकेट प्रेमी को मैदान पर क्रिकेट के अलावा कुछ नही दिखाई देता है। जो यह सब देखते है वो निश्चित रूप से क्रिकेट प्रेमी नही है। भारत पाक मैच में दर्शको दवारा वन्‍देमातरम भी गाया गया था। आपको वो दिखना चाहिए परन्‍तु जब क्रिकेट मैच मे मसाला नही मिला था इस प्रकार की चीजे दिखाई देने लग गयी।


वरिष्‍ठ पत्रकार शेखर ने अपने लेख में पाकिस्‍तान के कोच का हवाला देते हुए लिखा है कि उनके कोच को हार का एक कारण भारतीय दर्शक लगे। उनका कहना था कि पाकिस्‍तानी दर्शको को वीजा नही देने से एक भी पाकिस्‍तानी दर्शक मैदान में नही था। वरिष्‍ठ पत्रकार शेखर ने इस बात की वकालत की है कि बीसीसीआई और भारत को उदार दिल दिखाते हुए पाकिस्‍तानी दर्शको का भी वीजा दिया जाना चाहिए था। भारत पाक मैच के दौरान जब पाकिस्‍तानी बल्‍लेबाज रिजवान आउट होकर पवेलियन लौट रहे थे तो दर्शको ने जय श्रीराम के नारे लगाये। कई लोगो ने इसे मान लिया कि यह नारा दर्शको ने पाकिस्‍तानी बल्‍लेबाज को चिढाने के लिए बोला था। पत्रकार शेखर ने अपने लेख में यह भी लिखा है कि पाकिस्‍तानियो ने १९९९ की तरह अल्‍लाह हू अकबर के नारे नही लगाये। उनका यह भी मानना हे कि दर्शको को भी अब निष्‍पक्ष होना चाहिए। वो यह भी कहते है कि भारत के स्‍टेडियमो में माईक से दिल दिल पाकिस्‍तान का नारा लगने का सोचना भी एक सपने जैसा होगा। शेखर की तरह ही एक आस्ट्रेलियाई लेखक ने भारत पाक मैच के दौरान स्‍टेडियम में एक लाख से जयादा दर्शको के नीली जर्सी देखकर लिखा जैसे स्‍टेडियम में नीली जर्सी की बाढ आ गयी हो। उन्‍होने कहा स्‍टेडियम में मानो मैच नही कोई रैली हो रही हो। उन्‍होने इसकी तुलना नाजियो से भी की। ऐसे लेखको और पत्रकारो ने एक स्‍टेडियम में भारत पाक मैच के अलावा सबकुछ देख लिया। इन्‍होने मैदान में सिर्फ क्रिकेट नहीं देखा और इ्रन्‍हे सब कुछ दिखाई दे गया।

यहां एक टिवटर पोस्‍ट का जिक्र करना भी लाजिमी होगा। ए‍क सबक्राईबर की टिवटर पोस्‍ट में इस बात का समर्थन किया गया कि क्रिकेट को जातिवादी नजरिये से भी देखा जाना चाहिए। उन्‍होने इसे क्रिकेट की सामाजिक व्‍यवस्‍था का नाम दिया। आज तक किसी क्रिकेटर और समीक्षक ने क्रिकेट में जाति व्‍यवस्‍था की बात नही उठायी। यहां तक किसी क्रिकेटर और तबके ने भी क्रिकेट में जाति की समीक्षा नही की। लोग क्रिकेट को कहां ले जा रहे है। क्रिकेट में जाति कहां से आ गयी। क्रिकेट सिर्फ क्रिकेट है। उसकी आप जाति के आधार पर समीक्षा कैसे कर सकते हो। उनका कहना है कि वो इस प्रकार से क्रिकेट के सामाजिक प्रभाव का अध्‍ययन कर रहे है। क्रिकेट एक खेल है और खेल को खेल की नजर से देखा जाना चाहिए। इसमें कोई और चीज नही देखी जानी चाहिए।

भारत में विश्व कप चल रहा है और शानदार तरीके से चल रहा है परन्‍तु मसाला नहीं निकल रहा है। इसलिए लेखक और पत्रकार क्रिकेट से इस प्रकार मसाला निकाल रहे है। भारत पाक मैच में दोनो देशो के खिलाडियो के बीच सौहाद्रपूर्ण संबध रहे। पूर्व के मैचो की तरह दोनो देशो के खिलाडियो के बीच कुछ नहीं हुआ। इससे पहले के विश्‍वकपो के मैचो में भारत और पाक खिलाडियो के बीच छेडखानी और कहानी होती रही है। इस बार ऐसा कुछ नही हुआ तो पत्रकारो ने दर्शको मे से मसाला ढुंढ निकाला। कोई भी दर्शक अवांछनीय काम करता हे या नारा लगाता है तो उसके लिए कानून बने हुए है। यदि आप इस प्रकार से दर्शको और क्रिकेट को देखोगे तो फिर क्रिकेट क्रिकेट नही रह जायेगा। यह क्रिकेट है। इसमे आप मैच कैसे खेला गया , य‍ह देखिये। यह देखिये कि किसने रन बनाये और किसने नही बनाये। नही बनाये तो क्‍यो नही बनाये। उनका पूराना इतिहास क्‍या है। क्रिकेट में आप क्रिकेट देखिये। क्रिकेट में राजनैनिक चीजे देखने की अनावश्‍यक कोशिश नही करनी चाहिए। यह क्रिकेट है मेरी जान। इसका मजा लिजिए। इसमे आनंद के पल ढुंढये नफरत के लिए दूसरी बहुत सी जगहे है।

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