Tuesday, May 16, 2023

तुम्हे सोच रहा जैसे

 

मैं तुम्‍हे उसी तरह सोचता हूं 

जैसे कोई सोचता है 

किसी नारीयल के पेड पर चढ कर तोड लाये नारियल

और फिर उसे छिलकर उसकी सफेद धूप्‍प गिरी को देखता रहे। 

जैसे कोई सोचता है

बरतनो के बाजार में जाकर ढुढ लाये फूलो की दुकान 

और वहां से खरीदकर पीले गुलाब सलाहता रहे। 

या फिर कोई सोचता है जैसे 

नीले आसमान में पतंग बन कर उडते हुए 

रंग बिरंगे पक्षियो में से सबसे खूबसूरत पछी को चूमता रहे.

या फिर कोई सोचता है जैसे 

पूरानी चिटठीयो में से निकल आये पहली चिटठी 

जिसे देखकर पढता रहे । 

या फिर कोई सोचता है 

तुम्‍हे सोच रहा हो जैसे.

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