मैं तुम्हे उसी तरह सोचता हूं
जैसे कोई सोचता है
किसी नारीयल के पेड पर चढ कर तोड लाये नारियल
और फिर उसे छिलकर उसकी सफेद धूप्प गिरी को देखता रहे।
जैसे कोई सोचता है
बरतनो के बाजार में जाकर ढुढ लाये फूलो की दुकान
और वहां से खरीदकर पीले गुलाब सलाहता रहे।
या फिर कोई सोचता है जैसे
नीले आसमान में पतंग बन कर उडते हुए
रंग बिरंगे पक्षियो में से सबसे खूबसूरत पछी को चूमता रहे.
या फिर कोई सोचता है जैसे
पूरानी चिटठीयो में से निकल आये पहली चिटठी
जिसे देखकर पढता रहे ।
या फिर कोई सोचता है
तुम्हे सोच रहा हो जैसे.
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