Wednesday, August 30, 2023

एशिया कप में भारत पाक मुकाबले पर निगाह



एशिया कप किकेट की बात होती है तो निश्चित रूप से हमारे दिमाग में भारत और पाकिस्‍तान आते है। पूरी दुनिया में क्रिकेट पर बादशाहत करने वाले ये दो देश एशिया में क्रिकेट के पर्याय माने जाते है परन्‍तु आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एशिया कप के फाईनल में एक बार भी भारत और पाकिस्‍तान का मुकाबला नही हुआ है जबकि अब तक इसके पन्‍द्रह संस्‍करण खेले जा चुके है। एशिया कप दुनिया के पूराने टुर्नामेंटो में से एक है और इसकी शुरूआत १९८४ में यूएई से हुई थी। यह भी सही है कि पूरी दुनिया में एशिया में क्रिकेट की भारत और पाकिस्‍तान के मुकाबले मशहूर है परन्‍तु एशिया कप में भारत पाक मुकाबले बहुत कम हुए और फाइ्र्नल में तो आपस में भिडे ही नही है। पाकिस्‍तान तो मात्र दो बार इसे हासिल कर पाया है। उन दिनो में भी पाकिस्‍तान इसे हासिल नहीं कर पाया था जब श्रीलंका कमजोर टीम मानी जाती थी और टुर्नामेंट तीन टीमो के बीच ही होता था। इस बार खेला जा रहा एशिया कप भारत और पाकिस्‍तान मुकाबले के कारण उत्‍सुकता का केन्‍द्र बना गया हे। इस बार फाईनल भारत और पाकिस्‍तान के बीच होने की संभावनाऐ भी व्‍यक्त की जा रही है। चार दशक बाद भी एशिया कप क्रिकेट दुनिया ए क्रिकेट में आकर्षण का केन्‍द्र बना हुआ है।

बदलते वक्‍त के साथ एशिया कप में प्रतिस्‍पर्धा बढ गयी है। १९८४ में शुरू हुई प्रतियोगिता में पहले केवल तीन देश ही भाग लेते थे। उनमें भी श्रीलंका दुनिया की सबसे कमजोर टीम होती थी। इसके बावजूद उस समय भी एशिया कप को देखने वालो की संख्‍या ज्‍यादा थी। उस समय भी इस प्रतियोगिता को भारत और पाकिस्‍तान के मुकाबले के लिए पसंद किया जाता था। यह टुर्नामेंट भारत और पाकिस्‍तान के खराब राजनैतिक संबधो की भेंट भी चढता रहा है। १९९०-९१ के टुर्नामेंट  में भारत और पाकिस्‍तान के खराब संबधो के चलते पाकिस्‍तान ने इस टुर्नामेंट में भाग नहीं लिया। १९९३ का टुर्नामेंट  भारत और पाकिस्‍तान के खराब संबधो के कारण रदद ही कर दिया गया। पिछले पांच वर्षो से भारत और पाकिस्‍तान के खराब संबधो के चलते टुर्नामेंट यूएई में आयोजित हुआ। इस बार के टुर्नामेंटपर भी इन संबधो का साया है। भारत और पाकिस्‍तान का लीग मैच भी श्रीलंका के कैण्‍डी में खेला जायेगा। टुर्नामेंट शुरू होने से पहले तक पाकिस्‍तान खेलने से इनकार कर रहा था परन्‍तु आईसीसी के नियामो के चलते वो खेलने को राजी हुआ । इसके बाद से इस मुकाबले को भारत-पाकिस्‍तान के महामुकाबले को लेकर माहौल बनाया जा रहा है। जब हम भारत – पाकिस्‍तान के महामुकाबले की बात करते है तो यह भूल जाते है कि वो एशिया कप के टुर्नामेंट में खेल रहे है जहां दूसरी और टीमे भी खेल रही है। यह भी उल्‍लेखनीय है कि इस टुर्नामेंट को भारत ७ बार श्रीलकां ६ बार और पाकिस्‍तान सिर्फ दो बार जीता है। भारत और पाकिस्‍तान के बीच एक बार भी फाईनल नहीं हुआ है परन्‍तु १७ लीग मैच हुए है जिसमें ९ में भारत जीता है और ६ में पाकिस्‍तान जीता है। पिछले वर्ष २०२२ में दोनो टीमो में एक एक मैच जीता है। इसके बावजूद एशिया कप क्रिकेट को भारत पाकिस्‍तान महामुकाबले के तौर पर देखा जा रहा है।

इस बार एशिया कप वनडे फॉर्मेट में खेला जायेगा। पिछले साल यह टी-20 के फॉर्मेट में खेला गया था। इस बार ग्रुप ए में भारत और पाकिस्‍तान के अलावा नेपाल भी शामिल है वहीं ग्रुप बी में श्रीलंका बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान है। ग्रुप बी अपेक्षाकत कठिन ग्रुप है। इसमें किसी भी टीम को कम नहीं आंका जा सकता है। वहीं ग्रुप ए आसान है। नेपाल नया क्‍वालिफायर है। नेपाल के लिए यह देखना महत्‍वपूर्ण होगा कि वो भारत और पाकिस्‍तान का मुकाबला किसी तरह से करता है। मुख्‍य मुकाबला भारत और पाकिस्‍तान के बीच ही रहेगा। इस बार भारत और पाकिस्‍तान के बीच फाईनल होने की प्रबल संभावना है। पाकिस्‍तान की टीम इस समय बेहद मजबूत स्थिति में है वहीं भारत की टीम भी बुमराह की वापसी के बाद संगठित आक्रमण के लिए तैयार है। भारत की शुरूआती बैटिंग लाइन किसी भी आक्रमण की बधिया उधेडने में सक्षम है। भारतीय टीम की सलामी जोडी यदि सफल होती है तो भारत के लिए मैच काफी आसान हो जायेगे। शुभग गिल अपनी लय कैसे बरकरार रख पाते है,उसी पर बहुत कुछ निर्भर करेगा। गेंदबाजी में भारत के लिए बेहतर विकल्‍प उपलब्‍ध है। देखना यह है कि प्रबंधन इन विकल्‍पो का कैसे उपयोग कर पाते है। भारत के दिमाग में पाकिस्‍तान की टीम ही केन्‍द्र में रहेगी क्‍योंकि लीग मैचो में पाकिस्‍तान को हराना महत्‍वपूर्ण होगा ताकि ग्रुप टॉप कर सके। दूसरे दौर में भी उसे टॉप टु में रहने के लिए पाकिस्‍तान को हराना ही होगा। टुर्नामेंट का फॉमेंट इस प्रकार का है कि दर्शको को टुर्नामेंट में कम से कम दो बार भारत पाकिस्‍तान का मुकाबला देखने को मिले। यह मुकाबला उस समय और महत्‍वपूर्ण हो जाता है जब दोनो देशो के बीच द्विपक्षीय सीरीज २०१३ में बाद खेली नहीं गयी है।

इन सब के बावजूद एशिया कप को भारत और पाकिस्‍तान से ईतर बडे फलक पर देखा जाना चाहिए। यह भी देखा जाना चाहिए कि क्‍वालिफाई टुर्नामेंट खेलकर नेपाल जैसी टीम मुख्‍य मुकाबला खेलने के लिए आयी है। अफगानिस्‍तान जैसी टीम किसी भी टीम को पटकनी दे सकती है। अब्‍दुल राशिद की गेंदबाजी टुर्नामेंट में चार चांद लगायेगी।बांग्‍लादेश एक बार भी प्रतियोगिता नहीं जीत पाया परन्‍तु बांग्‍लादेश टीम भी एक दावेदार है और वो टीम इतनी सक्षम है कि टुर्नामेंट जीत सकती है। हमे इन टीमो के मुकाबलो को भी देखना चाहिए। इन टीमो के मैचो में भी रोमांच चरम पर होता है। खासकर बाग्‍लादेशी क्रिकेट जो क्रिकेट को लेकर बहुत जुनूनी है। भारत और पाकिस्‍तान की असली परीक्षा इन टीमो के विरूद्धद मुकाबलो में होगी । इसलिए एशिया कप को भारत – पाकिस्‍तान के महामुकाबले के नजरयिे न देखकर इसे वहद स्‍तर पर 6 टीमो के मुकाबले के तौर पर देखा जाना चाहिए। इस बार टीमो के संयोजन को देखते हुए यह संभावना नजर आ रही है कि टीमो के बीच मुकाबला कांटे का रहेगा और बल्‍ले और बॉल का रोमांच चरम पर रहेगा।

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Tuesday, August 15, 2023

दी हेयर एण्‍ड दी टॉरटाईज




 

मै दसवीं मे था तो मेरे मास्‍टरजी हमेंशा मुझे हेयर एण्‍ड टॉरटाईज की कहानी रटने को कहते थे। मास्‍टरजी का कहना था कि अंग्रेजी में यह कहानी याद कर ली तो पन्‍द्रह नंबर तो पक्‍के हो जायेंगे। हम लोगो उन दिनो हिन्‍दी मीडियम स्‍कूलो में पढते थे। पढाने वाले भी हिन्‍दी मीडियम के ही होते थे। कहने का मतलब उनकी भी अंग्रेजी कोई ज्‍यादा स्‍ट्रांग नहीं हुआ करती थी। हम बच्‍चो को रटा रटा करके तैंतीस नंबर लायक तैयारी करवा देते थे। मैने हैयर एण्‍ड टारटाईज कहानी का मतलब समझा तब से मै इसे झूठ मानता था। मेरा मानना था कि कछुआ कभी भी खरगोश से जीत नहीं सकता है। मेरा नाना हमेंशा कहते कि जीवन का अनुभव आयेगा तो समझ आयेगा। नाना घर के अहाते मे बैठे धनजी से बाते करते रहते । धन जी लकडी पर रन्‍दा चलाते हुए किस्‍से बताते रहते । दरअसल अहाता धन जी को किराये पर दे रखा था वहां लकडी का काम करते थे। नजदीक ही उनके लडके की लटठ बेचने की दुकान थी। उसकी दुकान में बहुत सारे लटठ पडे रहते। रस्‍सीयां और फावडे भी उनकी दुकान में थे। उनकी दुकान पर गांव वाले ही आते थे। गरमियों की छुटिटयों में सुबह मै तैयार होकर छत्‍त पर खड होता तो मेरे माथे पर पसीने की बूंदे चमकने लगती थी। मेरी नानी मेरे चेहरे पर तेल लगाती थी। इसलिए पसीने की बूंद माथे पर चमकती थी। मै छत्‍त पर खडा नीचे सडक पर देखता था। सुबह फटफटियों की आवाज कानो में गूंजती थी। ग्‍यारह बजे तक सभी दुकाने खुल जाती थी। दूर से श्‍यामजी को साईकिल पर आते मै देख लेता था। श्‍यामजी साईकिल पर आगे अपने बेटे को बैठाकर लाते थे। धूप से आंखो को अंदर धंसाते हुए वो साइकिल के हैडिल को कसकर पकडे रखता । श्‍यामजी को दुकान खोलने में आधा घंटा लगता था। दुकान खोलने के बाद सामान लगाने में उन्‍हे समय लगता था। वो अपने बेटे बाबू को सामने गददी पर बैठा देते थे। बाबू दिनभर गददी पर बैठा रहता। दरअसल बाबू मंदबुद्धि था और गूंगा था। मै दुकान खुलने के थोडी देर बाद दुकान पर चला जाता । बाबू से खेलता रहता। बाबू कुछ बोलता नही था। पर वो समझता था। बाबूलाल जी दुकान के अंदर बैठे उपन्‍यास पढते रहते । उन्‍हे वेदप्रकाश के उपन्‍यास पसंद थे। वे वर्दी वाला गुण्‍डा, सलाखो का बदला, बिना मांग सिंदूर जैसे उपन्‍यास पढते थे। मै कभी समझ नहीं पाया कि बिना चित्रो की किताब पढने में उन्‍हे क्‍या मजा आता है।

धन जी श्‍याम जी के पिता थे। धन जी हमारे अहाते में लकडी का काम करते । तैयार काम दुकान भिजवा देते । श्‍यामजी कई बार अहाते में आते और बाउजी को बताते कि क्‍या सामान तैयार करना है और ग्राहक कैसा सामान चाहते है। धन जी लकडियो पर रन्‍दा फेरते हो और फिर एक आंख बंद करके उस लकडी को जांचते। नानी चाय लाती तो धनजी लकडी को एक आंख से जांचते हुए बोलते मांजी सा भूखे पेट चाय भी नहीं निगली जाती। चाय भी कुछ पेट में हो तो अच्‍छी लगती है। नानी भी धन जी को कहती – खाली पेट है। इसलिए कहती हूं पी लो। आधार रहेगा। इतना कहने के बाद धनजी चाय पीने बैठ जाते। धन जी चाय पीते हुए अपने दुकान पर बैठे अपने पोते को देखते रहते । पोते के चेहरे पर धूप आती तो वो ऐं ---- ऐं------ ऐं --- करता तो श्‍यामजी उसके उठाकर छाया में बिठा देते । धन जी कभी अपने पोते के बारे में बात नहीं करते । ना ही श्‍याम जी कभी अपने बेटे के बारे में बात करते । श्‍याम जी दिन भी दुकान में काम करते तो बाबू चुपचाव उसे देखता रहता। शाम को मै कभी गली में फुटबाल से खेलता तो वो मुझे देखकर खुश होता। धन जी ने एक बार नाना जी से कहा था कि डाक्‍टर को दिखाया था । डाक्‍टर ने कहा एक आपरेशन के बाद यह बोलने लगेगा। तीन लाख का खर्व आयेगा। श्‍यामू मेहनत कर रहा है। पैसे इकक्टठे होते ही इसका इलाज करायेंगे। श्‍यामू ने पैस काफी इकटठे कर लिये है। जल्‍दी ही इलाज करायेगा। ये बोलने लगेगा। श्‍याम जी कम बात करते थे। त्रिशूल फिल्‍म के अमिताभ की तरह मुस्‍कुराहट उनके चेहरे के आस पास भी नहीं फटकती थी। धनजी की नजर अपने बेटै की दकान पर बराबर बनी रहती थी। उनका व्‍यवहार एक खामोशी का था। खामोशी श्‍याम जी की दुकान में तैरती रहती थी। अपने बेटे के साथ उन्‍होने भी खामोशी को ओढ लिया था।

एक दोपहर मै श्‍यामजी की दुकान पर बैठा था। एक युवा अमिताभ जैसे जूते पहने हुए और काला चश्‍मा लगाये हुए आया। उसने बाबू के गाल छेडे और श्‍याम जी को एक पर्ची दी । श्‍याम जी ने उसे पैसे दे दिये। उसने मेरी तरफ देखा और बोला – मुकरी । मुकरी दरअसल एक फिल्‍मी कलाकार का नाम था। उसने बताया कि वो बाबू का चाचा है। बाहर पढकर आया है। अमिताभ का बडा फैन था। बाते भी अमिताभ की तरह ही करता था। लंबाई भी उसकी थी। आज पहली बार आया था परन्‍तु अब वो रोज आने लगा। कभी धनजी के पास चला जाता । कभी मेरी नानी से बाते करता। वो कहता मां सा मुंबई पैसेा की फैक्‍ट्री है। वहां पैसा डालो दुगुना पैसा निकलता है। हर्षद मेहता को देखो करोडो कमा लिये। मेरे पास पैसे हो तो मै सबके वारे न्‍यारे कर दूं। नानी उसे कहती कि मेहनत का कमाया हुआ पैसा बरकत करता है। पर वो अपने उलटे सीधे तर्क देता। फिर चाय पीकर चला जाता। फिर हमारे लिये रह जाती वही श्‍याम जी की दुकान जिसमें वो उपन्‍यास पढते रहते। बाबू बाहर दौड रहे फटफटयिो को देखता रहता। कभी दिक्‍कत होती तो ऐं -----ऐं-------ऐं-----------करता तो श्‍याम जी उसे ठीक कर देते।उसका चाचा भगवान आता तो पैसा की बाते करता या फिर फिल्‍मो की। कभी बताता कि धीरूभाई कैसे धनवान बना। बडे बडे सपने दिखाता। मै तो उसकी बाते सुनकर विस्मित रह जाता । कभी कभी धन जी भगवान को डांट लगा देते परन्‍तु भगवान की बाते साईकिल की तरह दौडती रहती। हम लोग भगवान कही बाते बडे चाव से सुनते। मुझे लगता था कि ये एक दिन बहुत पैसे वाला आदमी बनेगा। कभी कोई पेन लाकर दिखाता कि यह मेड इन जापान है। कभी कैमरा लाता और कहता कि यह मेड इन रसिया है। हम इन चीजो को देखकर दांतो तले अंगुली दबा लेते।

श्‍याम जी ने कहा था कि दो दिन या तो भगवान बैठ जायेगा दुकान में या फिर बंद रखनी पडेगी। बाबू का ओपरेशन कराना है। सब बाते तय हो गयी है। दो दिन बाद आपरेशन था। अगले दिन सुबह दुकान बंद थी। कोई नहीं आया था। नाना ने कहा ओपरेशन तो दो दिन बाद था आज दुकान बंद कैसे है। उन दिनो फोन भी नहीं थे। नाना ने कुछ देर इंतजार किया। फिर अखबार पढने लग गये। मै बैचेन हो गया । क्‍या हो गया । वे आये क्‍यों नहीं। पास की दुकान के अग्रवाला साहब आ गये थे। मैने उनसे श्‍याम जी के बारे मे पूछा तो उन्‍होने बताया कि कल रात उनका भाई भगवान घर से तीन लाख रूपये लेकर भाग गया। नाना खबर सुनकर बाहर आये और बोले थाने में रपट लिखवाई है क्‍या। अग्रवाल साहब नहीं नहीं में सिर हिलाया। नाना अंदर आ गये। हाथ टुठी पर रखकर बैठ गये। तीन बजे के करीब श्‍याम जी साईकिल पर बाबू को बिठाकर आये। दुकान खोलकर जंचाई और सामान बेचना शुरू कर दिया। अग्रवाल साहब श्‍याम जी से पूछने गये कि भगवान कैसे पैसे लेकर भाग गया तो श्‍याम जी ने कहा – आपसे किसने कहा। वो भाग कर नहीं गया है। वो पढने गया है। सुनकर अग्रवाल साहब अपनी दुकान पर चले गये। श्‍याम जी ग्राहक को सामान देने के बाद वापिस एक उपन्‍यास जिस पर बंद दरवाजे लिखा था पढने बैठ गये। बाबू बाहर फटफटिये की आवाजे सुनकर ऐ ऐ कर रहा था।

Wednesday, August 2, 2023

भारत का स्‍टार शटलर है लक्ष्‍य सेन

 

सुनील गावस्‍कर को हमने क्रिकेट कोमेण्‍ट्री करते देखा व सुना है। यह हम जानते है‍ कि वो क्रिकेट की प्रतिभा को दूर से ही पहचान लेते है परन्‍तु वो क्रिकेट के अलावा बैडमिंटन से भी बहुत लगाव रखते है। उन्‍होने जब अपने इंस्‍टाग्राम पर एक युवा शटलर के साथ तस्‍वीर पोस्‍ट करते हुए लिखा कि प्रकाश पादुकोन के बाद मेरे नये एकमात्र बैडमिंटन हीरो। उनकी इस पोस्‍ट के बाद सोशल मीडिया पर लाखो युवा इस युवा शटलर के बारे में जानने के लिए सर्च करने लगे। यह और कोई नही भारत का युवा और दुनिया का 13वे नंबर का शटलर लक्ष्‍य सेन है। लक्ष्‍य सेन ने अपनी युवावस्‍था में ही अनेको उपलब्धियां हासिल कर ली है। हाल ही में जापान ओपन के सेमिफाईनल में जगह बनायी थी जहां वो दुनिया के ९वे नंबर के खिलाडी इंडोनेशिया के जॉनाथन क्रिस्‍टी से संघर्षपूर्ण मुकाबले में पराजित हो गये। पहला सैट हारने के बाद लक्ष्‍य ने वापसी की परन्‍तु अंतिम सैट में वो क्रिस्‍टी को पकड नहीं पाये और मैच हार गये। इस हार के बाद भी उसने दुनिया भर के खेल प्रेमियो का ध्‍यान अपनी ओर खींचा है। प्रतिष्ठित आल ईग्‍लैण्‍ड ओपन बैडमिंटन ओपन में उपविजेता रहे लक्ष्‍य सेन भारतीय शटलरो की दुनिया में नयी सनसनी है।

लक्ष्‍यसेन उत्‍तराखंड के अल्‍मोडा से आते है। लक्ष्‍य सेन का परिवार शुरू से ही बैडमिंटन से जुडा रहा है। उनके पिता डी.के. सेन राष्‍ट्रीय बैडमिंटन कोच है और भाई चिराग सेन अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर के शटलर है। लक्ष्‍य को बचपन से बैडमिंटन से लगाव था। उसके पिता व भाई जब टुर्नामेंट के लिए बाहर जाते तो वो भी साथ जाने की जिद करता। भाई चिराग को बैडमिंटन खेलते देख लक्ष्‍य ने भी शटल को कैरियर के रूप में चुना। उसने अंडर 13, अंडर -15 और अंडरा -१९ में अच्‍छा प्रदर्शन किया और राष्‍ट्रीय स्‍तर पर छा गया। लक्ष्‍य ने अंडर -१५ में पहला नेशनल मेडल जीता था। वर्ष २०१६ में पहली बार एशियाई जूनियर प्रतियोगिता में भारत की ओर खेला और पहली बार में ही कास्‍यं पदक जीत लिया। इस मैच में उन्‍होने जूनियर नंबर वन को हराया था। इसके बाद शिखर छुने वाले वो गौतम ठक्‍कर और पी वी संधु के बाद तीसरे शटलर बने। वर्ष २०१८ में युवा ओलम्पिक में भारत के लिए पदक जीता। इसके बाद लक्ष्‍य के कदम नहीं रूके । वो एक के बाद एक लक्ष्‍यो को साधता गया। जैसे सफल होता गया उससे उम्‍मीदे बढती गयी। वर्ष २०१८ में एशियाई जूनियर में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को ५३ साल बाद गोल्‍ड दिलाया।

भारत में महिला शटलरो का बोलबाला था। साईना नेहवाल और पी वी संधु ने ओलम्पिक में भारत के लिए पदक जीतकर शटल की दुनिया में भारत को नाम दिया। भारत की बैडमिंटन में पहचान महिला शटलरो से होने लगी। इनके साथ ही भारत के श्रीकांत कदांबी ने कुछ उपलब्धियां हासिल कर पुरूष वर्ग में भी भारत को सम्‍मान दिलाया परन्‍तु पुरूष वर्ग में अभी और मेहनत की जरूरत थी। श्रीकांत की काम्‍याबी से देश को उम्‍मीदे बढ गयी थी। देश अब पुरूष वर्ग में चमत्‍कारी शटलर को देखना चाहता था। लक्ष्‍य जिस पर अपने लक्ष्‍यो केा भेदते हुए आगे बढ रहे थे उससे लगा कि भारत की उम्‍मीदे पूरी होने वाली है। वर्ष २०२१ में स्‍पेन में आयोजित विश्‍व चैम्पियनशिप में लक्ष्‍य ने भारत के लिए कास्‍य पदक जीता वहीं किदाम्‍बी ने रजत पदक जीता। यहीं तय हो गया कि भारत के लिए अब आने वाले समय लक्ष्‍य का होगा। वो एक साल से बेहतरीन फॉर्म में चल रहे है। उनके जीवन का सबसे बडा टुर्नामेट आल ईग्‍लैड बैडमिंटन था। य‍ह प्रतिष्ठित र्दुनामेंट अब तक केवल दो भारतीय प्रकाश पादुकोन और पुलेला गोपीचंद जीत चुके है। इनके अलावा कोई यह टुर्नामेंट नहीं जीत पाया है। इस बार लक्ष्‍य के अलावा किदांबी श्रीकांत और पी वी संधु भी भाग ले रहे थे। आल ईग्‍लैण्‍ड बैडमिंटन के फाईनल में पहंचने से देशवासियों की उम्‍मीदे काफी बढ गयी थी। फाईनल में उसका मुकाबला दुनिया के नंबर एक खिलाडी विक्‍टर एक्‍सलसेन से था जहां वो सीधे सेटो मे पराजित हो गया परन्‍तु इस प्रतिष्ठित टुर्नामेंट के फाईनल में पहुंचना भी बडी उपलब्‍धी है। इस उपलब्‍धी के बाद लक्ष्‍य ने दनिया भर के खेल प्रेमियों का ध्‍यान अपनी ओर खींचा है। वर्ष २०२२ में ही लक्ष्‍य ने कॉमन वेल्थ गेम्‍स में मलेशिया के जी योंग को पराजित कर गोल्‍ड मेडल जीता। इस जीत के बाद लक्ष्‍य स्‍टार शटलर बन चुके थे। इसी साल लक्ष्‍य ने चीन के स्‍टार खिलाडी शी ली फेंग को पराजित कर कनाडा ओपन का खिताब जीता । ऐसा करने वाले महज वह दूसरे भारतीय है। वे २०२२ मे थॉमस कप जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्‍य भी रहे। भारत ने पहली बार थॉमस कप जीता था। हाल ही में जापान ओपन के सेमिफाईनल में वे पराजित हो गये थे परन्‍तु वो सबसे सफल भारतीय रहे थे। इस उपलब्धि पर भारत के प्रधानमंत्री ने उनकी सराहना की थी।

लक्ष्‍य को खेल के प्रति समर्पित रहने की सीख अपने दादा से मिली जिन्‍हे अल्‍मोडा में बैडमिंटन का भीष्‍म पितामह कहा जाता है। लक्ष्‍य ने प्रकाश पादुकोन अकादमी में प्रशिक्षण लिया है। यहां वो साईना नेहवाल के साथ अभ्‍यास करते थे। उनके कोच विमल कुमार का कहना है कि वो अकादमी में अकेले ऐसे खिलाडी थे जो साईना नेहवाल को पराजित कर देते थे। यहीं से उनके कोच ने उनकी प्रतिभा को पहचान लिया था। आज वो दुनिया के सामने है। आज वो भारत के स्‍टार शटलर है। उनकी तुलना श्रीकांत कदाम्‍बी से की जाती है। विश्‍व चैम्पियन शिप के सेमिफाईनल में लक्ष्‍य का मुकाबला श्रीकांत से हुआ था जहां वो श्रीकांत से हार गये थे। उनकी तुलना श्रीकांत से नहीं की जानी चाहिए। दोनो के खेलने का तरीका अलग अलग है। श्रीकांत के पास अनुभव है और लक्ष्‍य अनुभव प्राप्‍त कर रहा है। लक्ष्‍य युवाओ  की पहली पसंद है क्‍योंकि वो अपने खेल में शानदार स्‍मेशिंग करता है। स्‍मेशिंग उसके खेल की विशेषता है।

लक्ष्‍य सेन महत्‍वपूर्ण मुकाबलो में अंतिम समय पर चूक जाता है। अभी हाल ही में जापान ओपन के सेमिफाईनल में पूरे समय गेम मे रहने के बाद भी अंतिम समय पर चूक गये। कई बडे टुर्नामेंटस में वो फाईनल में पराजित हुआ है।उसे एकाग्रता पर काम करना होगा। बडे मुकाबलो से पहले अपने प्रतिद्न्‍द्वी के खेल पर रिसर्च करनी चाहिए। उसके कोच इस बात पर जरूर ध्‍यान देते होगे। यदि वो महत्‍वपूर्ण मुकाबलो में सफल हो जाये तो आज वो दुनिया का नंबर एक खिलाडी हो सकता है। इस बात में कोई शक नहीं है कि वो भारत को अभी सबसे बडा खिलाडी है जिसके बारे में सुनील गावस्‍कर की टिप्‍पणी निश्चित रूप से उत्‍साह बढाने वाली है। सुनील गावस्‍कर खुद भी खाली समय में बैडमिंटन खेलते रहे है। जब उन्‍होने लक्ष्‍य को अपना हीरो बताया है तो निश्चित रूप से वो आज युवाओ का हीरो है। लक्ष्‍य के लिए एक ही चुन्‍नौत्‍ती है कि वो महत्‍वपूर्ण मुकाबलो में अति उत्‍साह न दिखाकर संयम का खेल दिखाये । आने वाले समय में ओलम्पिक जैसे टुनामेंट में भारत को सफलता हासिल करनी है ऐसे में लक्ष्‍य सेन जैसे खिलाडी भारत के लिए गोल्‍डन हीरो साबित हो सकते है।

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सीताराम गेट के सामने, बीकानेर ९४१३७६९०५३