कल मिला था मुझे आज
दो चार बाते की
और बीत गया।
भारी हो गया है
मैने बहुत सारे सपने भरे थे उसमें
पिता के मना करने के बाद भी
मै सपने भरता गया ।
बहुत सारे उसमें कबाड में फेंकने लायक थे
मै पक्षियो की तरह उडना चाहता था
तारे तोड कर अपने सितारे लगाना चाहता था ।
बहुत सारे बीज बोये थे
सारे हवा में उड गये
खरपतवार उग आयी ।
कुछ सपने उसमें मां ने जोड दिये
कोई देवदूत आयेगा
सपनो को हकीकत में बदल देगा।
भारी बोझ से अब वह आज तक नही चल पाता है
आज आने से पहले ही बीत जाता है कल
उसकी शिकायते मुझ से है
मै उसका बोझ खाली नहीं कर पाया
सारे सपने उसके झोल में ही रह गये
मै उसमें से एक भी निकाल नहीं पाया।
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