Saturday, September 30, 2017

मै एक बार फिर

मैं एक बार फि‍र
देर तक सोना चाहता हूूं
सूरज माथे पर चढ आये
तब तक
मां आवाजे देती रहे
मैं करवटे बदलता रहूं
अधखुली आंखो से जागूं
बि‍स्‍तर पर ही चाय ले लूं
अखबार के सारे पन्‍ने पढ् लूं
वि‍ज्ञापन भी
फि‍र लेट जाऊं और
देर तक सोता रहूं
दोपहर को पलंग पर लेटे हुए
टीवी के सारे सीरि‍यल और
थोडी देर कोई मैच देख लूूं
शाम को चला जाऊं
कि‍सी ठेले पर और
जी भर कर गोल गप्‍पे खाऊं
फि‍र कि‍सी चाय की थडी पर
मि‍त्र मंडली के साथ
थोडी क्रि‍केट की और थोडी राजनीति‍ की
चर्चा करूं
देर रात तक मि‍त्र के घर पर
उसके पलंग पर लेटा रहूं
बहुत देर रात को घर लौटूं
जब घर के सारे लोग सो जायें
और मां धीरे कदमो से दरवाजा खोले
मैं धीमे कदमो से से अपने कमरे में जाकर
बि‍स्‍तर पर लेट जाऊं
और टीवी पर लेट नार्इट मूवी देखूं
फि‍र नींद ले लूं
और देर तक सोता रहूं
क्‍योंकि‍
मैं एक बार फि‍र
देर तक सोना चाहता हूूं । 

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