टी 20 विश्वकप अमेरीका और वेस्टइंडीज में संयुक्त रूप से हो रहा है। टी 20 विश्कप में अमेरिका को इसलिए जोडा गया ताकि क्रिकेट का दायरा बढाया जा सके। जब खेल मे दुनिया का सबसे ताकतवर देश भी जुडेगा तो खेल की ताकत बढेगी। इस लिहाज से टी 20 का प्लेटफार्म सबसे उपयुक्त है। टी 20 क्रिकेट में चौको छक्को की बौछार देखकर लोग सहज ही इस खेल की ओर आकर्षित होंगे, यह मंशा आईसीसी की रही होगी। इस कारण विश्व कप में १६ मैच अमेंरीका में रखे गये परन्तु शुरूआती कुछ मैचो के बाद ही पिच को लेकर विवाद हो गया। ड्राप इन पिचो के कारण मैचो में कोई भी टीम १४० का स्कोर भी पार नही कर पायी। पाकिस्तान, न्यूजीलैण्ड ओर श्रीलंका जैसी टीमे पहले ही दौर में बाहर हो गयी। ड्राप इन पिचो को लेकर पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है। शुरूआती दौर के बाद कुछ मैचो को दूसरी जगह स्थानान्तरित करने की भी चर्चा चली थी और खबरो के अनुसार बकायादा आईसीसी ने इस पर विचार भी कियाा बाद में इससे इनकार किया।
टी 20 को चौको छक्को की क्रिकेट कहा जाता है और लोग इसे देखने के लिए मैदान में आते भी इसीलिए है परन्तु इस विश्वकप में अमेरीका में खेले गये मैच निम्न स्कोर वाले रहे और बल्लेबाजो की बजाय गेंदबाज हावी रहे । पहले दो चार मैचो के बाद भारत पाक मैच दूसरी जगह शिफट करने की चर्चाऐं होने लगी। भारत ने पाक के विरूद्ध निर्धारित ओवरो में ११९ रन बनाये और टी 20 के लिहाज से यह जीतने लायक स्कोर नही था। पाक ने अपनी पारी शुरू की तब यह लग रहा था कि यह एक आसान मैच है परन्तु ९०रन तक आते आते पाकिस्तान के हाथ पांव फूलने लगे और मैच धीरे धीरे भारत के पक्ष में आने लगा। भारत ने यह मैच ६ रनो से जीत लिया। पाकिस्तान अमेंरिका के विरूद्ध भी एक निम्न स्कोर वाला मैच हार गयी। इस तरह से विश्वकप खिताब की प्रबल दावेदार टीम टुर्नामेंट से बाहर हो गयी। यह कहीं न कहीं आयोजको की असफलता है क्योंकि केवल पाकिस्तान ही बाहर नही हुई बल्कि श्रीलंका और न्यूजीलैण्ड में भी बाहर हो गये। इन उलटफेरो का कारण ड्राप इन पिचो को बताया जा रहा हे। खबरो के अनुसार इस विश्कप के लिए १० ड्राप इन पिचे एडिलेड से लायी गयी थी जिसे तैयार कर न्यूयॉक के नसाऊ स्टेडियम में बिछायी गयी जो गेंदबाजो के लिए स्वर्ग और बल्लेबाज के लिए कब्रगाह साबित हुई।
ड्राप इन पिचे मुख्यत उन मैदानो पर बिछायी जाती है जो मैदान मुख्य रूप से क्रिकेट के लिए नही बने होते है। ऐसी पिचो का प्रयोग मुख्य रूप से आस्ट्रेलिया में होता है। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउण्ड में २४ मीटर लंबाई और ३ मीटर चौडाई वाली पिच तैयार की जाती है। काली मिटी की परत के बाद ऊपर घास उगाई जाती है और यह सारी प्रक्रिया स्टील के फ्रेम में की जाती है। जब क्रिकेट मैच होता है तो ३० टनी वजनी इन पिचो को कस्टमाइड ट्रेलर से उठाकर २७ मीटर गहरे सीमेंट के स्लैब के ऊपर डाल दिया जाता है। चूंकि ये पिच स्टील के फ्रेम के भीतर बनती है ऐसे में यह सख्त होती है, परंपरागत पिचो की तरह यह टूटती नही हैा इस पर घास कम या ज्यादा रखी जा सकती है। मैच खत्म होने के बाद इन पिचो को वापिस हटा लिया जाता है और यहां पर क्रत्रिम घास लगाकर वापिस मैदान अन्य खेल के लिए तैयार हो जाता है। विश्कप में ड्राप इन पिचे बल्लेबाजो के लिए भयावह बन गयी।
इसको लेकर पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है। पूर्व क्रिकेटर और कोमेण्टेटर इरफान पठान ने इन पिचो को असुरक्षित बताया। आस्ट्रेलियाई क्रिकेटर माईकल वान ने कहा है कि अमेरीका में क्रिकेट का प्रचार प्रसार अच्छी बात है परन्तु इस प्रकार की पिचो पर खिलाडियो को खेलना अच्छी बात नही है। जिम्बाब्वे के पूर्व क्रिकेटर एंडी फलावर ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय मैचो के लिए इस प्रकार की पिच ठीक नही है। कोमेण्टेटर सुशील दोषी ने अपने एक लेख में कहा कि भारत में ऐसी पिचे होती तो पूरी दुनिया इसे बहुत तूल देती है और भारत की चारो तरफ से आलोचना की जाती है परन्तु अमेरीका में होने के कारण सभी लोग इसका बचाव कर रहे है।
अमेरीका में क्रिकेट का प्रचार प्रसार होना ही चाहिए परन्तु ऐसी पिचे क्रिकेट के लिए भी खतरा है। इन पिचो के कारण विश्वकप का मजा किरकिरा हो गया। क्रिकेट की असली जंग देखने को नही मिली। टी 20 क्रिकेट का असली रूप देखने को नहीं मिला। ड्राप इन पिचे इतने बडे टुर्नामेंट के लिए उपयुक्त नही हो सकती है। संजय मांजरेंकर ने सही कहा है कि पिचे तो पहले भी खराब होती रही है परन्तु इस बार लगता है आईसीसी की तैयारी में कहीं कोई कमी है। फिलहाल विश्वकप का पहला दौर समाप्त हो चुका है और अब सभी मैच में वेस्टइंडीज में होगे और वहां उम्मीद की जानी चाहिए कि पिच का बवाल नही होगा। क्रिकेट प्रेमियो को पसंदीदा टी 20 क्रिकेट देखने को मिलेगी।
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सीतराम गेट के सामने, बीकानेर ९४१३७६९०५३
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