Wednesday, August 2, 2023

भारत का स्‍टार शटलर है लक्ष्‍य सेन

 

सुनील गावस्‍कर को हमने क्रिकेट कोमेण्‍ट्री करते देखा व सुना है। यह हम जानते है‍ कि वो क्रिकेट की प्रतिभा को दूर से ही पहचान लेते है परन्‍तु वो क्रिकेट के अलावा बैडमिंटन से भी बहुत लगाव रखते है। उन्‍होने जब अपने इंस्‍टाग्राम पर एक युवा शटलर के साथ तस्‍वीर पोस्‍ट करते हुए लिखा कि प्रकाश पादुकोन के बाद मेरे नये एकमात्र बैडमिंटन हीरो। उनकी इस पोस्‍ट के बाद सोशल मीडिया पर लाखो युवा इस युवा शटलर के बारे में जानने के लिए सर्च करने लगे। यह और कोई नही भारत का युवा और दुनिया का 13वे नंबर का शटलर लक्ष्‍य सेन है। लक्ष्‍य सेन ने अपनी युवावस्‍था में ही अनेको उपलब्धियां हासिल कर ली है। हाल ही में जापान ओपन के सेमिफाईनल में जगह बनायी थी जहां वो दुनिया के ९वे नंबर के खिलाडी इंडोनेशिया के जॉनाथन क्रिस्‍टी से संघर्षपूर्ण मुकाबले में पराजित हो गये। पहला सैट हारने के बाद लक्ष्‍य ने वापसी की परन्‍तु अंतिम सैट में वो क्रिस्‍टी को पकड नहीं पाये और मैच हार गये। इस हार के बाद भी उसने दुनिया भर के खेल प्रेमियो का ध्‍यान अपनी ओर खींचा है। प्रतिष्ठित आल ईग्‍लैण्‍ड ओपन बैडमिंटन ओपन में उपविजेता रहे लक्ष्‍य सेन भारतीय शटलरो की दुनिया में नयी सनसनी है।

लक्ष्‍यसेन उत्‍तराखंड के अल्‍मोडा से आते है। लक्ष्‍य सेन का परिवार शुरू से ही बैडमिंटन से जुडा रहा है। उनके पिता डी.के. सेन राष्‍ट्रीय बैडमिंटन कोच है और भाई चिराग सेन अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर के शटलर है। लक्ष्‍य को बचपन से बैडमिंटन से लगाव था। उसके पिता व भाई जब टुर्नामेंट के लिए बाहर जाते तो वो भी साथ जाने की जिद करता। भाई चिराग को बैडमिंटन खेलते देख लक्ष्‍य ने भी शटल को कैरियर के रूप में चुना। उसने अंडर 13, अंडर -15 और अंडरा -१९ में अच्‍छा प्रदर्शन किया और राष्‍ट्रीय स्‍तर पर छा गया। लक्ष्‍य ने अंडर -१५ में पहला नेशनल मेडल जीता था। वर्ष २०१६ में पहली बार एशियाई जूनियर प्रतियोगिता में भारत की ओर खेला और पहली बार में ही कास्‍यं पदक जीत लिया। इस मैच में उन्‍होने जूनियर नंबर वन को हराया था। इसके बाद शिखर छुने वाले वो गौतम ठक्‍कर और पी वी संधु के बाद तीसरे शटलर बने। वर्ष २०१८ में युवा ओलम्पिक में भारत के लिए पदक जीता। इसके बाद लक्ष्‍य के कदम नहीं रूके । वो एक के बाद एक लक्ष्‍यो को साधता गया। जैसे सफल होता गया उससे उम्‍मीदे बढती गयी। वर्ष २०१८ में एशियाई जूनियर में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को ५३ साल बाद गोल्‍ड दिलाया।

भारत में महिला शटलरो का बोलबाला था। साईना नेहवाल और पी वी संधु ने ओलम्पिक में भारत के लिए पदक जीतकर शटल की दुनिया में भारत को नाम दिया। भारत की बैडमिंटन में पहचान महिला शटलरो से होने लगी। इनके साथ ही भारत के श्रीकांत कदांबी ने कुछ उपलब्धियां हासिल कर पुरूष वर्ग में भी भारत को सम्‍मान दिलाया परन्‍तु पुरूष वर्ग में अभी और मेहनत की जरूरत थी। श्रीकांत की काम्‍याबी से देश को उम्‍मीदे बढ गयी थी। देश अब पुरूष वर्ग में चमत्‍कारी शटलर को देखना चाहता था। लक्ष्‍य जिस पर अपने लक्ष्‍यो केा भेदते हुए आगे बढ रहे थे उससे लगा कि भारत की उम्‍मीदे पूरी होने वाली है। वर्ष २०२१ में स्‍पेन में आयोजित विश्‍व चैम्पियनशिप में लक्ष्‍य ने भारत के लिए कास्‍य पदक जीता वहीं किदाम्‍बी ने रजत पदक जीता। यहीं तय हो गया कि भारत के लिए अब आने वाले समय लक्ष्‍य का होगा। वो एक साल से बेहतरीन फॉर्म में चल रहे है। उनके जीवन का सबसे बडा टुर्नामेट आल ईग्‍लैड बैडमिंटन था। य‍ह प्रतिष्ठित र्दुनामेंट अब तक केवल दो भारतीय प्रकाश पादुकोन और पुलेला गोपीचंद जीत चुके है। इनके अलावा कोई यह टुर्नामेंट नहीं जीत पाया है। इस बार लक्ष्‍य के अलावा किदांबी श्रीकांत और पी वी संधु भी भाग ले रहे थे। आल ईग्‍लैण्‍ड बैडमिंटन के फाईनल में पहंचने से देशवासियों की उम्‍मीदे काफी बढ गयी थी। फाईनल में उसका मुकाबला दुनिया के नंबर एक खिलाडी विक्‍टर एक्‍सलसेन से था जहां वो सीधे सेटो मे पराजित हो गया परन्‍तु इस प्रतिष्ठित टुर्नामेंट के फाईनल में पहुंचना भी बडी उपलब्‍धी है। इस उपलब्‍धी के बाद लक्ष्‍य ने दनिया भर के खेल प्रेमियों का ध्‍यान अपनी ओर खींचा है। वर्ष २०२२ में ही लक्ष्‍य ने कॉमन वेल्थ गेम्‍स में मलेशिया के जी योंग को पराजित कर गोल्‍ड मेडल जीता। इस जीत के बाद लक्ष्‍य स्‍टार शटलर बन चुके थे। इसी साल लक्ष्‍य ने चीन के स्‍टार खिलाडी शी ली फेंग को पराजित कर कनाडा ओपन का खिताब जीता । ऐसा करने वाले महज वह दूसरे भारतीय है। वे २०२२ मे थॉमस कप जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्‍य भी रहे। भारत ने पहली बार थॉमस कप जीता था। हाल ही में जापान ओपन के सेमिफाईनल में वे पराजित हो गये थे परन्‍तु वो सबसे सफल भारतीय रहे थे। इस उपलब्धि पर भारत के प्रधानमंत्री ने उनकी सराहना की थी।

लक्ष्‍य को खेल के प्रति समर्पित रहने की सीख अपने दादा से मिली जिन्‍हे अल्‍मोडा में बैडमिंटन का भीष्‍म पितामह कहा जाता है। लक्ष्‍य ने प्रकाश पादुकोन अकादमी में प्रशिक्षण लिया है। यहां वो साईना नेहवाल के साथ अभ्‍यास करते थे। उनके कोच विमल कुमार का कहना है कि वो अकादमी में अकेले ऐसे खिलाडी थे जो साईना नेहवाल को पराजित कर देते थे। यहीं से उनके कोच ने उनकी प्रतिभा को पहचान लिया था। आज वो दुनिया के सामने है। आज वो भारत के स्‍टार शटलर है। उनकी तुलना श्रीकांत कदाम्‍बी से की जाती है। विश्‍व चैम्पियन शिप के सेमिफाईनल में लक्ष्‍य का मुकाबला श्रीकांत से हुआ था जहां वो श्रीकांत से हार गये थे। उनकी तुलना श्रीकांत से नहीं की जानी चाहिए। दोनो के खेलने का तरीका अलग अलग है। श्रीकांत के पास अनुभव है और लक्ष्‍य अनुभव प्राप्‍त कर रहा है। लक्ष्‍य युवाओ  की पहली पसंद है क्‍योंकि वो अपने खेल में शानदार स्‍मेशिंग करता है। स्‍मेशिंग उसके खेल की विशेषता है।

लक्ष्‍य सेन महत्‍वपूर्ण मुकाबलो में अंतिम समय पर चूक जाता है। अभी हाल ही में जापान ओपन के सेमिफाईनल में पूरे समय गेम मे रहने के बाद भी अंतिम समय पर चूक गये। कई बडे टुर्नामेंटस में वो फाईनल में पराजित हुआ है।उसे एकाग्रता पर काम करना होगा। बडे मुकाबलो से पहले अपने प्रतिद्न्‍द्वी के खेल पर रिसर्च करनी चाहिए। उसके कोच इस बात पर जरूर ध्‍यान देते होगे। यदि वो महत्‍वपूर्ण मुकाबलो में सफल हो जाये तो आज वो दुनिया का नंबर एक खिलाडी हो सकता है। इस बात में कोई शक नहीं है कि वो भारत को अभी सबसे बडा खिलाडी है जिसके बारे में सुनील गावस्‍कर की टिप्‍पणी निश्चित रूप से उत्‍साह बढाने वाली है। सुनील गावस्‍कर खुद भी खाली समय में बैडमिंटन खेलते रहे है। जब उन्‍होने लक्ष्‍य को अपना हीरो बताया है तो निश्चित रूप से वो आज युवाओ का हीरो है। लक्ष्‍य के लिए एक ही चुन्‍नौत्‍ती है कि वो महत्‍वपूर्ण मुकाबलो में अति उत्‍साह न दिखाकर संयम का खेल दिखाये । आने वाले समय में ओलम्पिक जैसे टुनामेंट में भारत को सफलता हासिल करनी है ऐसे में लक्ष्‍य सेन जैसे खिलाडी भारत के लिए गोल्‍डन हीरो साबित हो सकते है।

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सीताराम गेट के सामने, बीकानेर ९४१३७६९०५३

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