Saturday, April 15, 2023

स्‍मृृतियों से लौटते हुए




















 कमरे में पलंग पर किताबे बिखरी पडी थी। एक दो किताबे खुली थी जिनके पन्‍ने हवा से पलट रहे थे। पलंग पर चदर भी ईधर उधर होकर नीचे लटक रही थी। टेबिल पर अखबार पडे थे। हवा से उड रहे थे। कमरे में अंधेरा था। बाहर शाम हो चुकी थी और आसमान में बादल आ जाने से अंधेरा सा हो गया था। बॉलकोनी वाला गेट खुला था। कमरे में बॅालकोनी के गेट से जितनी रोशनी आ रही थी वही रोशनी थी। टेबिल पर लैपटॉप खुला था जिसकी कुछ रोशनी टेबिल पर पड रही थी। कमरे के बीच में ही आरामदायक कुर्सी पर वो बैठा था। गर्दन को कुर्सी के सहारे पर रखे हुए। उसने टांगे फैला रखी थी और आंखे उसकी बंद थी। पंखे की हवा से उसके बाल उड रहे थे। उसने अपने एक हाथ की अंगुली अपनी आंखो पर और बाकि हथेली गाल पर रखी हुयी थी। कुछ देर में उसने अपने दोनो हाथो की अंगुलियो को आपस में बांधकर पेट पर  रख लिया था। उसने एक लंबी सांस ली और फिर नाक से जोर से सांस छोडी। फिर वह उठ कर खडा हो गया। हल्‍के हल्‍के कदमो से चलते हुए बॉलकोनी में आया। बालकोनी से सडक पर हो रही आवाजाही को कई देर तक एक टक देखता रहा । बादलो की गर्जना रूक रूक कर हो रही थी। बारिश की बूंदे सडको पर गिरने लगी थी। थोडी देर में बारिश तेज हो गयी। बारिश तेज होने के बाद भी वो बॉलकोनी में खडा रहा । ऐसा लग रहा था कि उसे कोई मतलब नहीं है कि मौसम में क्‍या चल रहा है। बॉलकोनी में बारिश की बूंदे नहीं गिर रही थी। फुहार उसके कपडो तक जरूर आ रही थी। वो थोडी थोडी देर में अपने बालो में हाथ फेर रहा था और फिर अपनी हथेली से मुंह पोंछ रहा था। बिजली जोर से कडकने लगी थी। ऐसा लगने लगा कि बिजली आज तो गिर ही जायेगी। गर्जना जोर से होने लगी तो वो अंदर चला आया।

अंदर आकर वो एक बार फिर कुर्सी पर बैठ गया।  पंलग पर बिखरी किताबो को देखता रहा। पलंग पर परिंदे किताब भी पडी थी। इस किताब को देखकर याद आया। यही किताब उसको वह देकर गयी थी। उसे वो लौटा नहीं पाया। वो इस किताब को उसे लौटाना चाहता था। वो अकेला ही खुश था। कमरे में कब आता और कब जाता कोई पता नहीं था। देर रात तक और फिर देर तक सोते रहना। पास के किचन में खुद ही चाय बना लेता था। देर रात को वो किचन में बरतन साफ करता तो सिंक में पानी के गिरने की आवाज रात के सन्‍नाटे को चीरती हुइर् प्रतीत होती थी। वो ढेर सारी किताबे पढता था। उसे याद है कि वह कई दिनो तक दाडी नहीं बनाता था। एक दिन वो उसे सेविग किट गिफट कर गयी।

वो अपनी इस जिंदगी से बहुत खुश था। उसे पता ही नहीं चला अचानक वो पास के कमरे में किरायेदार के रूप में आयी। उसे कभी उससे बात नहीं की। वो लडकियो से बात नहीं करता था। एक दिन वो उसके कमरे आयी तो वह किचन में था। बिखरे को कमरे को उसने सैट कर दिया। कमरे में कई दिनो से झाडू भी नहीं लगाया था। उसने झाडू भी लगा दिया। अब वो कमरा दिखने लग गया। लडकी ने उसे इतना गंदा कमरा रखने के लिए डांट भी लगायी।

बारिश के धीमे होने पर वो वापिस बॉलकोनी में आ गया। बाहर शायद पावर आफ था। सडक पर अंधेरा पसरा हुआ था। सडक पर गुजरे रहे वाहनो की रोशनी थी। उसने अपने दोनो हाथ बालकोनी की जाली पर रख दिये थे। उसने कभी अपना जन्‍म दिन नहीं मनाया था। पता नहीं उसने कैसे मेरी इंस्‍टाआईडी देख ली और एक दिन शाम को केक ले आयी। किस प्रकार उसने जोर जोर से हैप्‍पी बर्थ्र डे बोला था। उसने कभी उस लडकी को सीरीयसली नहीं लिया था। पर उस लडकी ने उसकी जिंदगी को व्‍यवस्थित कर दिया था। बालकोनी में खडे खडे उसने चाय पीने की सोची। चाय बनाने के लिए कीचन में गया। कीचन में प्‍लेटफार्म के आगे कुछ देर खडा रहा और फिर निकल कर बाहर आ गया। कमरा बंद किया और नीचे बाहर आ गया। दो कदम की दूरी पर चाय की थडी है। यहीं पर वो कई बार चाय पीता है। वहां रखी हुई एक स्‍टुल लेकर किनारे बैठ गया। थडी के उपर लगे छप्‍पर से अभी भी बारिश की बूंदे गिर रही थी। उसके कानो में चाय बनाने की आवाज ही पहुंच रही थी। आस पास के लोग क्‍या बात रहे है। उस पर कोई असर नही हे। वो चाय से नफरत करती थी। उसकी चाय बंद कराने के लिए वो लडकी ग्रीन टी का पैकेट भी लायी और ग्रीन टी पीने के बहुत सारे फायदे बताये। लेकिन उसने कभी ग्रीन टी नही पी। ग्रीन टी का डिब्‍बा अभी उसके कीचन की शोभा बढा रहा है। कुछ ही देर में थडी वाला चाय का कप ले आया। उसने चाय का कप सामने की स्‍टूल पर रख दिया। वो चाय के कप को देखता रहा । उसे याद हो आया कि वो यहां रिसर्च करने आयी थी। उसका सबजेक्‍ट हैल्‍थ था परन्‍तु उसे लडकी के सबजेक्‍ट से कोई मतलब नहीं दिया। वो अपनी ही दुनिया में व्‍यस्‍त रहता था। लडकी उसको हेल्‍थ के बारे में बताती रहती थी। ये खाने से ये हो जाता है और यह खाने से यह हो जाता है। लेकिन उसने खाने पीने की कोई भी आदत नहीं छोडी। यहां तक कि चाय भी नहीं छोडी। उसके कहने से शाम का खाना जल्‍दी खाने लगा था। रोज शाम को वो उसके कमरे में आकर हैल्‍थ पर भाषण देकर जाती थी। वो कभी भी एक भी शब्‍द नहीं बोलता था। रोज शाम को वो उसका इंतजार जरूर करता । उसके बाद ही वो कोई किताब पढना शुरू करता । उसे पता था वो आयेगी और डिस्‍टर्ब करेगी।

एक दिन शाम को वो नहीं आयी। उसे नयी किताब पढना शुरू करना था। उसने सोच उस लडकी के भाषण के बाद ही वो किताब शुरू करेगा। वो इंतजार करता रहा । शाम से रात हो गयी परन्‍तु वो नहीं आयी। रात से देर रात हो गयी परन्‍तु वो फिर भी नहीं आयी। वो कमरे से निकल कर बाहर गया। उसके कमरे पर ताला लटक रहा था। कमरे में वो अकेली रहती थी। कभी कोई उससे मिलने भी नहीं आता था। कमरे में ताला देखकर बालकोनी में गया और नीचे सडक पर देखा। रात को आवाजाही कम होने लगी थी। दूर से कोई आता साफ दिखाई दे जाता है। वो दूर सडक तक अपनी नजर जमा कर खडा हो गया। रात के बारह बज गये थो वो नहीं आयी। वो इतना कम बोलता था कि उसने लडकी का मोबाईल नं भी नहीं लिया था। कुछ देर और इंतजार करने के बाद वो अंदर आकर पलंग पर लेट गया। लेटकर पंखे को देखता रहा । उसकी आंख लग गयी। सुबह उठते ही वो बाहर पास वाला कमरा देखने गया। कमरे पर ताला लटक रहा था। उसने आज चाय भी नहीं पी। उस लडकी के बारे मे सोचता रहा। सुबह दस बज गये थे। वो अभी भी पलंग पर लेटा रहा । अचानक उसे बाहर दरवाजा खुलने की आवाज आयी। उसे लगा कि लडकी आ गयी। उठने लगा और फिर सो गया। उसके मन में था वो लडकी मेरी कौन है मै क्‍यों चिंता करूं। कुछ देर लेटा रहा। फिर उसे रहा नहीं गया। बाहर देखने के लिए खडा हुआ। दो कदम दरवाजे की और बढाये ही थे कि कमरे में हसंते हुए वो लडकी आयी। अभी तक नहीं नहाने के लिए उसने डांट लगायी। वो उससे पूछना चाहता था कि रात भर वो कहां थी। वो कुछ बोलता उससे पहले ही वो बो बोल पडी कि – कल रात मै अपने पापा के साथ थी। दो दिन बाद मेरी शादी है इसी शहर में।

कोग्रेच्‍यूलेशन। इसी शहर में। उसने चौकते हुए कहा।

हां इसी शहर में । मेरे साथ वो रिसर्च कर रह है। उसीसे। तेरे को जरूर आना है।उसने खुश होते हुए कहा। जल्‍दी मे होने का कहकर वो निकल गयी। वो दरवाजे को देखता रहा। कमरे में धूप की लकीर गिरी हुयी थी।

चाय ठंडी हो रही है।थडी वाले ने कहा । वो स्‍मृतियो से लौटकर चाय की थडी पर आया। चाय का कप उठाकर अपने मुंह से लगाया।

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2 comments:

  1. शानदार। धाराप्रवाह लेखन 👍👍🌹🌹

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