Sunday, May 17, 2020

नंदकिशोर आचार्य अध्यात्म के कवि है


नंदकिशोर आचार्य नाटक, निबंन्ध और कविताऐ लिखते है। मुझे उनकी कविताऐ बहुत पसंद है। मेरी नजर मे वे अध्यात्म के कवि है।  ऊन्होने एक इंटरव्यू मे कहा था कि भारत मे मृत्यु को भी आशावादी दृष्टिकोण से देखा जाता है। मृत्यु भारतीयो के लिए एक उत्सव है। यह सब उनकी कवाताओ मे मिलता है। प्रस्तुत है उनकी ऐसी ही दो कविताऐ-

(1)
 साधु ने भरथरी को
दिया वह फल—
अमर होने का

भरथरी ने रानी को
            दे दिया
रानी ने प्रेमी को अपने
प्रेमी ने गणिका को
और गणिका ने लौटा दिया
फिर भरथरी को वह
— भरथरी को वैराग्य हो
                    आया

वह नहीं समझ पाया:
हर कोई चाहता है
अमर करना
प्रेम को अपने ।
(2)
अन्धेरा घना हो कितना
देख सकता हूँ मैं
           उसको

कभी अन्धा लेकिन कर देता है
                            सूरज
कभी पाँखें जला देता है

बेहतर है मेरी अँधेरी रात
न चाहे रोशनी दे वह
दीखती रहती है

आकाश में गहरे कहीं मेरे
वह तारिका मेरी ।

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