Friday, January 17, 2020

हैयर सैलून


मै आज भी बाल कटवाने डेढ महीने के बाद ही जाता हु। मेरा हेयर सैलून वाला हर बार कहता है साहब आप हमारे साथ अन्याय करते है। एक दाम मे तीन बार के बाल कटवा लेते हो। मै हर बार मुस्कुरा देता हुं। मै बरसो से एक ही सैलून मे बाल कटाता हूं। कई बार चाहा कि सैलून बदल लूं लेकिन मेरे कदम मेरे रेगुलर सैलून की ओर चले जाते है। मैने कभी उसको नही कहा कि मेरे बाल इस.तरह से काटना। वो बाल काट देता है और मै बाल बनाकर वापिस घर आ जाता हूं। मुझे याद नही कि  मै कब से इस सैलून मे बाल कटवा रहा हूं। कालेज के दिनो से मै एक ही सैलून मे बाल कटवा रहा हूं।
इससे पहले हम लोग अपने पूराने घर के नजदीक राजु नाई के सैलून मे बाल कटवाते थे। सैलून क्या थी दुकान थी। वो आज के सैलून की तरह अत्याधुनिक नही थी।
राजु नाई की सैलून मेरे मामाजी के घर के ठीक नीचे थी।  उसने अपनी दुकान मे अमिताभ, धर्मेन्द्र,  जितेन्द्र और शत्रुघ्न सिन्हा के.फोटो लगा रखे थे। लोग आते और फोटो देखकर बता देते कि उन्हे कैसी कटिंग करवानी है। वो वैसी ही कटिंग बना देता। हम बच्चे लोग भी अमिताभ बच्चन जैसी कटिंग करवाना चाहते थे। मै क ई बार राजु से कहता मेरी भी अमिताभ की तरह कानो के ऊपर बाल वाली कटिंग बना दे तो वो कहते पहले तेरे पापा से पूछ लूं। ऐसा कहते ही हम चुपचाप बाल कटवा लेते। उसकी दुकान मे मायापुरी पत्रिका पड़ी रहती थी। बाल कटवाने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते लोग मायापुरी पढ़ते.रहते। मुझे मायापुरी मै मगर हम चुप रहेंगे कालम अच्छा लगता। मायापुरी का नया अंक आते ही मै राजु की सैलून मे जाकर उसे पढ़ता। 
उस जमाने महिलाओ के लिए ब्यूटी पार्लर.नही हुआ करत थे। इसलिए महिलाऐ कभी सैलून मे नही आती थी। परन्तु राधिका अपने भतिजो के बाल कटाने राजु की दुकान पर आती थी।  राजु भतिजे के बाल काटता और वो मायापुरी पढ़ने बैठ जाती। बाल काटते हुए राजु को आईने मे राधिका दिखाई देती थी। बाल पीछे बांधकर जुड़ा किये हुए वो तन्मयता से मायापुरी पढ़ती थी लेकिन बीच बीच मे नजर उठाकर भतीजे की बाल कटवाई पर भी ध्यान देती। राजु बाल ज्यादा छोटे मत कर देना, ऐसी हिदायते देती रहती थी। राजु भतीजे से मस्ती करता बाल काटता रहता था। बालकाटकर राधिका की तरफ नजर करके कहता देख बंटी हीरो की तरह तेरे बाल बना दिये है, अब बुआ को तंग मत करना । राधिका भतीजे का हाथ पकड़ कर ले जाती। राधिका का घर राजु की दुकान से कुछ दूरी पर ही था। मै तो वैसे ही ऊसकी दुकान पर चला आता था। अमिताभ का फैन था लेकिन उसकी दुकान मे हमेशा पूराने गाने ही बजते थे।  मै कहता कि राजु भैया कभी नये गाने भी बजाया करो तो वो कहता कि बुजुर्ग बिल कटवाते है तो बहुत तंग करते है। कोई कहता है नाक के बाल काटो कोई कहता है मेरी बगलो के बाल काटो,पूराने गाने चलते है तो वो गानो मे मगन हो जाते है और मै भी अपना काम आराम से कर लेता हूं। एक बार राधिका ने कह दिया राजु कुछ तो नये गाने बजाओ। तब से वो थोड़े नये गाने बजाने लगा है। राधिका आती है तो मुकद्धर का सिंकदर फिल्म के गाने बजाता। यह राधिका की पसंदीदा फिल्म थी । अब तो सुंदर भी साबुन घोलते यही गाना गुनगुनाता दिल तो है दिल, दिल का एतबार क्या कीजे।यह गाना गुनगुनाते हुए वो बाहर खड़ा होकर उस्तरा पत्थर पर रगड़ता सुबह के टाईम उसी समय राधिका वहां से निकलती। वो उस समय मोपेड पर कालेज जाती थी।  
राजु की शादी नही हुई थी परन्तु शादी के लिए ओवर एज भी नही हुआ था।  उसने युवावस्था मे ही नहीं अपनी अलग दुकान जमा ली थी। शादी की बात पर कहता मै यहां शादी नही करूंगा। मै गुजरात मे शादी करूंगा। गुजरात मे चाचा के साथ रह़ूगा। वहां कमाई अच्छी है। चाचा सूरत मे साड़ियो के व्यापारी है। मै भी यह काम धंधा छोड़कर चाचा के साथ साड़ियो का बिजनेस करूंगा। शादी भी वहीं करूगा।   गुजरात जाने की बात क ई बार करता था। मेरे को कभी कहता कि पंडित मै सोचता हुं यही शादी कर लूं। यहां जमी जमाई दुकान है।फिर मेरे को राधिका के बारे मे पूछता था।  वो किस कालेज मे पढ़ती है,  उसके कितने भाई बहिन है। मै भोलेपन मे उसे बताता रहता।  राजु की दुकान मे राधिका के आने का एक फायदा हुआ कि राजु ने दुकान मे थोड़े नये गाने बजाना शुरू कर दिया था। मै भी अमिताभ के गानो का शौकिन था।उसकी दुकान मे मायापुरी पढ़ने जाता तो अमिताभ की फिल्मो के गाने का आनंद लेता। मै कभी गुनगुनाता इसको क्या कहते है आई लव यू। राजु सुनकर कहता पंडित अब पापा से कह देता हूं । चोखी छोरी देख लो लड़का जवान हो गया है।
मै वापिस सवाल दाग देता - पहले तुम्हारी तो कर लो। मेरी बात सुनकर बाल काटते काटते रूक जाता और आईने मे अपने बालो पर हाथ फेरते हुए अपने होठो भींच कर धीमी आवाज मे कहता अपनी भी जल्दी हो जायेगी।
रविवार के दिन राजु को नजर फेरने की फुरसत नही मिलती थी। उसके सैलून मे बैठने तक की जगह नही होती थी।  रविवार के दिन मै उसके सैलून मे नही जाता । बाकि दिनो मे दोपहर मे वो ग्राहकी न के बराबर होती थी। मै स्कूल से आने के बाद क ई बार दोपहर मे उसकी सैलून पर चला जाता। अप्रेल के शुरू के दिनो की बात है। एक दिन दोपहर यो ही उसकी सैलून गया था।   ऐसे ही बात करते  राजु ने पूछा आजकल राधिका दिखती नही है।  मैने तपपाक से कह दिया- अगले महीने उसकी शादी है। यह सुनते ही वो चुप हो गया। कुछ देर चुप बैठा रहा। फिर उठकर सैलून का सामान ठीक करने लगा। इस दिन के बाद से वो गुम शुम रहने लगा। मैने पूछा भी नही गुमशुम क्यो हो।  
आज राधिका की शादी थी। राधिका हमारे मोहल्ले की थी। इसलिए हम लोगो को भी शादी मे जाना था। सुबह से ही उत्साह था कि शादी मे जाना है।  सुबह दस बजे ही नही थे कि मै राजु की दुकान पहुंज गया।  पहुंचने पर पता चला कि दुकान तो बंद है। ऊपर देखा तो राजु हेयर सैलून का बोर्ड भी नही था। दुकान मामाजी के घर के नीचे ही थी। ऊपर खिड़की मे खड़े मामाजी के लड़के ने मुझे देख लिया तो कहा - दुकान बंद हो गयी है। मैने ईशारा करके पूछा क्यो? तो उसने कहा - वो गुजरात चला गया है, अपने चाचा केपास। मै कुछ देर वही खड़ा रहा।  सामने सड़क पर महिलाओ का झुण्ड शादी के गीत गाते हुए राधिका के घर जा रहा था।

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