एक पूराना गाना
है कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, किसी को जमीं तो किसी को आसमां नहीं मिलता परन्तु
२९ जून की रात को जब तारो से भरे आसमां ने धरती को चूम लिया तो ऐसा लगा हर किसी को
आज मुकम्मल जहां मिल गया। मेरे शहर के कोटगेट पर तिरंगा हाथ में लिये दौडते और शोर
मचाते बच्चे जब झूम रहे थे तो ऐसा लगा वाकई इन्होने वो पा लिया है जो सभी स्वार्थो
से परे है जो परमानंद है। हार्दिक पांडया की अंतिम गेंद पर ज्योही रबाडा ने सिंगल
रन लिया त्यों ही दूर कहीं आसमां धरती को चूम रहा था। आसूंओ की शीतल धाराऐ रोहित शर्मा
और विराट कोहली के गालो पर बहने लगी। इन धाराओ की शीतलता बयां कर रही थी कि एक मुकम्मल
जहां के सपने को इन बंदो ने हासिल कर लिया है। युवाओ का शोर बता रहा था कि ऐसी जीत
ऐसा जहां कभी किसी को नहीं मिलता जहां उम्मीद हो वहां नहीं मिलता।
इस जीत ने हर किसी को जहां मुकम्मल दिया। किसी को जमीं तो किसी को आसमां दिया। इस बार जहां उम्मीद थी वहां मुकम्मल जहां मिला। किसी एक को नहीं हर एक मिला। विराट कोहली मुकम्मल जहां की तलाश में थे। गेंद उनके बल्ले से मुंह मोड रही थी परन्तु फाईनल में उसने उनके बल्ले से ऐसा ईश्क किया कि टीम को विश्व कप खिताब दिलाकर ही दम लिया। इससे पहले विराट कोहली को टीम से बाहर बिठाने की बाते हो रही थी। उनके बल्ले की बेवफाई के कारण उन्हे अनगिनत गालियां पड रही थी। भारतीय टीम के पिछले बारह सालो से कभी सेमिफाईनल तो कभी फाईनल में हारने का गम भी उन्हे सता रहा था। इस बार विराट के सारे शिकवे २९ जून की रात ने पूरे कर दिये। ऐसा ही सलूक रोहित शर्मा के साथ हो रहा था। उनका जहां तो वनडे विश्वकप की हार के बाद से ही लुट रहा था। उन्हे मुंबई इंडियंस की कप्तानी से हटा दिया गया। एक मस्त मौला इंसान के साथ वो हो रहा था जो किसी घोर असफल खिलाडी के साथ हो रहा था। २९ जून की रात ने चारो और बिखरे गये जहां को समेट कर रोहित शर्मा की गोद में डाल दिया गया। नीली छत्तरी वाला इतना दयालु है कि सारा जहां आज रोहित शर्मा के हाथो मे था जो भी उनसे छिन लिया गया था। जब विराट कोहली और रोहित शर्मा ने रिटायरमेंट की घोषणा की तो पूरा क्रिकेट जगत स्तब्ध हो गया। जमीं को चूमने आया आसमां अवाक रह गया परन्तु ये बता रहा था कि विराट और रोहित का जहां मुकम्मल हो गया। ऐसा मौका बिरलो को ही मिलता है जब सब कुछ हासिल करने के बाद अलविदा कहे। पूरी दुनिया उन्हे रोकना चाहे और वे अपना थैला लेकर घर की ओर लौट चले। दोनो ने ऐसे अलविदा कहा जैसे किसी शांत नदी के ठंडे पानी पर नौको बहकर जा रही हो।
मुकम्मल जहां
विराट और रोहित को ही नहीं हार्दिक पांडया को भी मिला जिसके सिर पर बहुत बडा बोझ था।
रोहित शर्मा को हटाकर हार्दिक पांडया को मुंबई इंडियंस को कप्तान बनाने पर पांडया
पर बहुत बडा ऋण था। यह कप्तानी रोहित शर्मा के विशाल रेकार्ड और अनुभव का बोझ थी पांडया
पर। रोहित के स्थान पर कप्तानी करके वो सहज नहीं था परन्तु अब रोहित के विश्व चैम्पियन
बनने पर वह बोझ पांडया के माथे से उतर गया। उसका जहां भी मुकम्मल हो गया। जहां मुकम्मल
सूर्य कुमार यादव का भी हुआ जिसे रन बनाने के बाद भी भरोसे की पहचान नहीं मिल रही थी
परन्तु फाईनल में एक कैच ने उसे पूरी दुनिया का भरोसा पुरस्कार में दे दिया। पूरी
दुनिया का भरोसा जीतने के बाद उसका भी जहां मुकम्मल हो गया।
इसी प्रसिद्ध
गाने के आगे बोल है कि तेरे जहां में ऐसा नहीं के प्यार न हो, जहां उम्मीद हो इसकी वहां नहीं मिलता। परन्तु २९ जून की रात बहुत सारा प्यार
वहां मिला जहां उम्मीद नही थी। राहुल द्रविड की कप्तानी में २००७ में वेस्टइंडीज
में ही भारत की टीम वनडे विश्वकप से शुरूआती दौर में ही बाहर हो गयी थी। उसके बाद
द्रविड के कोच बनने के बाद भारतीय टीम सेमिफाईनल और फाईनल में हार रही थी। राहुल द्रविड
के कार्यकाल का यह अंतिम टुर्नामेंट था। इस बार भी हार की आशंकाऐ मंडरा रही थी परन्तु
२९ जून की रात ने राहुल को पकडा कर सारा जहां दे दिया। राहुल द्रविड का जहां भी उस
रात को मुकम्मल हो गया। वो भी अपना बैग लेकर सूकून से रवाना हो गया। पीछे पूरी दुनिया
उसे बुला रही थी परन्तु वो मुस्कुराते हुए बाय बाय करते हुए चला गया।
मुकम्मल जहां
जय शाह का भी हुआ। जब से वो बीसीसीआई के चैयरमैन बने है तब से सवाल उठ रहे है कि भारतीय
टीम कोई आईसीसी खिताब नहीं जीत रही है। जय शाह को भारतीय टीम के लिए अशुभ बताने वालो
को २९ जून की रात में छुपकर निकलना पडा क्योंकि नीली जर्सी वाले विश्व कप खिताब के
साथ झूम रहे थे। हालांकि मैदान के खेल में बीसीसीआई अध्यक्ष का कोई रोल नहीं होता
है परन्तु फिर भी जो बात चल रही थी वो खत्म हो गयी। एक नयी कहानी शुरू हेा गयी। जय
शाह को भी जहां मुकम्मल हुआ।
अंत में जहां
मुकम्मल देशवासियो का भी हुआ। पिछले वनडे विश्वकप मे फाईनल हार के बाद देश के प्रधानमंत्री
टीम को सात्वंना देने आये थे और वैसे ही देने आये थे जैसे पहले चंद्रयान के असफल रहने
पर उनकी टीम को दी थी। देखिऐ चंद्रयान के दूसरे अभियान ने चांद पर तिरंगा फहरा दिया
और अब रोहित शर्मा की टीम ने पूरे देश में तिरंगा लहलहा दिया। पूरे देशवासियो को मुकम्मल
जहां मिल गया। फाईनल और सेमिफाईनल में हार की कहानी खत्म हुई। हम चोकर नहीं है। हम
विश्व विजेता है। अब कोई यह गाना ऐसे नहीं गायेगा कि कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं
मिलता। इस गाने को अब ऐसे गाया जायेगा हर किसी का जहां मुकम्मल होता।
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