Wednesday, July 17, 2024

भारतीयो को सोच बदलने की जरूरत मनीष कुमार जोशी

 


विम्‍बलडन २०२४ में चैक गणराज्‍य की क्राजिकोवा के रूप में नयी चैम्पियन मिली। वहीं पुरूष वर्ग में भी अपेक्षित चैम्पियन मिला। विम्‍बलडन २०२४ में दर्शक दीर्घा में दिग्‍गज भारतीय दिखाई दिये। इनमें सचिन तेंदुलकर, रोहित शर्मा, सुनील गावस्‍कर, आमीर खान, सिद्धार्थ मल्‍होत्रा और किराया आडवाणी जैसे दिग्‍गज शामिल है। ये विम्‍बलडन में भारत की शान बढा रहे है परन्‍तु ये भारत की शान दर्शक दीर्घा तक ही बढा रहे है परन्‍तु कोर्ट में भारतीयो को परचम लहराने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी। विम्‍बलडन २०२४ में एक साक्षात्‍कार में पूर्व टेनिस खिलाडी विजय अमृतराज ने यह कह कर भारत की चिंताए बढा दी कि निकट भविष्‍य में कोई भी भारतीय खिलाडी विम्‍बलडन में सफलता प्राप्‍त करता नही दिखाई दे रहा है। उन्‍होने भारतीयो की सफलता को मानसिकता से जोड दिया। इस साल भारत की ओर से सुमित ने पुरूष एकल वर्ग में क्‍वालिफाई किया था परन्‍तु पहले ही दौर में हार कर बाहर हो गये। पिछले पांच सालो में पहला भारतीय है जिसने विम्‍बलडन के मुख्‍य ड्रा के लिए क्‍वालिफाई किया था।

यूं तो भारतीयो का विम्‍बलडन में शानदार रिकार्ड है। १९९९ में लिऐंडर पेस और महेश भूपति की जोडी ने युगल का विम्‍बलडन का खिताब जीता था जिसे विम्‍बलडन को एकमात्र खिताब कहा जा सकता है जिसे भारतीयो ने सीनीयर वर्ग में जीता। इससे पहले रमेंश कृष्‍णन और लिऐंडर पेस ने बालक वर्ग में भी एकल विम्‍बलडन खिताब जीता है। लिऐंडर पेस, महेश भूपित और सानिया मिर्जा ने विभिन्‍न वर्गो में एक से ज्‍यादा विम्‍बलडन खिताब जीते है। इन्‍होने एकल वर्ग में भी कोशिश की थी परन्‍तु यह कोशिश काम्‍याब नही हो पायी परन्‍तु अब तक के सफल खिलाडियो में इनकी गिनती की जा सकती है। एकल वर्ग में विजय अमृतराज का रिकाड कोई नही तोड पाया है।विजय अमृतराज भारत के सबसे सफल एकल टेनिस खिलाडी है जिन्‍होने दो बार विम्‍बलडन के क्‍वाटर फाईनल में प्रवेश किया था। पहली बार १९७३ में और फिर १९८१ में उन्‍होने विम्‍बलडन का क्‍वार्टर फाइनल खेला था। रमेश कृष्‍णन का भी प्रदर्शन एकल मुकाबलो में संतोषजनक रहा था। लिऐंडर पेस, महेश भूपति, सानिया मिर्जा और रोहना बोपन्‍ना के बाद एकल मुकाबलो में भारत के लिए कोई खिलाडी उभर कर नही आया।

भारतीय खिलाडी दूसरे एटीपी टुर्नामेंट में एकल मुकाबलो में ग्राण्‍ड स्‍लेम से बेहतर प्रदर्शन करते है परन्‍तु ग्राण्‍ड स्‍लेम में फिसडडी साबित होते है। विम्‍बलडन का एक अपना अलग महत्‍व है। यह ग्रास कोर्ट पर खेली जाने वाली प्रतिष्ठित प्रतियोगिता है। इसमें खेलना अपने आप में एक प्रतिष्‍ठा का प्रश्‍न होता है। भारतीयो ने विम्‍बलडन में विभिन्‍न वर्गो में सफलता हासिल कर ली परन्‍तु एकल मुकाबलो से दूर रहे । कई भारतीयो ने तो पश्चिमी देशो के खिलाडियो के साथ जोडी बनाकर युगल, मिश्रित युगल और वेटर्न वर्ग में खिताबी सफलता हासिल कर ली । भारत अभी भी विम्‍बलडन में एकल सफलता से कोसो दूर है। विजय अमृतराज ने कहा कि भारतीयो के लिए निकट भविष्‍य में एकल मुकाबलो में सफलता की कोई संभावना नही है। उनका कहना है कि भारत डेविस कप में अभी टॉप १६ में भी नही है। एशिया में हम टॉप ५ टीमो में भी नही है।  ऐसे में कोई कैसे सफलता की कामना कर सकता है। उनका कहना है कि हमें एकल मुकाबलो के लिए 4-5 सर्वश्रेष्‍ठ खिलाडी चाहिए। तब हम ग्राण्‍ड स्‍लेम में सफलता की कामना कर सकते है। उनका कहना है कि पश्चिमी देशो के खिलाडियो से सीख लेनी चाहिए कि वे कैसे पहले जूनियर टुर्नामेंटस में खेलते है और साथ मे एटीपी टूर प्रतियोगिताओ में एक दो मैच जीतते रहते है और फिर टॉप 50-100 में आकर ग्राण्‍ड स्‍लेम उलटफेर कर देते है। विजय अमृतराज जो कि भारत के सर्वश्रेष्‍ठ एकल खिलाडी रहे है और दो बार इस ग्राण्‍ड स्‍लेम में क्‍वाटर्र फाईनल तक खेले है। उन्‍होने कहा कि भारतीयो को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। उन्‍हे भारत का सर्वश्रेष्‍ठ खिलाडी बनने के लिए नही बल्कि पश्चिमी देशो के खिलाडियो से आगे निकलने के लिए खेलना होगा। उनकी यही मानसिकता उन्‍हे सफलता दिलायेगी।

भारतीयो का विम्‍बलडन में शानदार रेकार्ड रहा है। १९९९ में लिऐंडर पेस और महेश भूपति की जोडी ने युगल का खिताब जीता। किसी भी भारतीयो द्वारा विम्‍बलडन के सीनीयर वर्ग मे जीता गया यह एकमात्र खिताब है। वैसे लिऐंडर पेस, महेश भूपित, सानिया मिर्जा और रोहना बोपन्‍ना किसी न किसी वर्ग में विम्‍बलडन में खिताब जीतते रहे है। वे किसी विदेशी खिलाडी के साथ जोडी बनाकर युगल, मिश्रित युगल और वेटर्न वर्ग में खिताब जीतते रहे है। रमेश कृष्‍णन और लिऐंडर पेस बालक वर्ग में भी एकल खिताब जीत चुके है। रमेश कृष्‍णन एकल मुकाबलो में भारत के महत्‍वपूर्ण खिलाडी रहे है। सानिया मिर्जा ने भी शुरूआत में एकल मुकाबलो में शानदार प्रदर्शन किया था। एकल मुकाबलो में विम्‍बलडन में अब के सबसे सफल खिलाडी विजय अमृतराज रहे है। वे दो बार क्‍वार्टर फाईनल तक पहुंचे। १९७३ और १९८१ में उन्‍होने अपनी चुन्‍नौत्‍ती क्‍वार्टर फाईनल तक पेश की। इसके बाद लिऐडर पेस, भूपित और सानिया मिर्जा का दौर भारतीयो के लिए स्‍वर्णिम दौर था परन्‍तु इस दौर में भी एकल मुकाबलो में भारतीय विम्‍बलडन या अन्‍य ग्राण्‍डस्‍लेम में सफलता नही हासिल कर सके। भारतीय थोडी सी सफलता के बाद खिताब जीतने के लिए विदेशी खिलाडियो के साथ जोडी बनाकर युगल और मिश्रित युगल मुकाबलो में उतरने लगे। एकल मुकाबलो के लिए एकाग्रता और पूर्ण रूप से अपने खेल पर फोकस की जरूरत होती है। युगल मुकाबलो में उतरने के बाद एकल मुकाबलो के लिए अपने आपको तैयार करने में दिक्‍कत होती है।

वर्तमान में सुमित की सफलता एक अच्‍छा संकेत है। मुख्‍य ड्रा के लिए क्‍वालिफाई करना एक उम्‍मीद जगाता है। विजय अमतराज की बात से सहमत है कि इस समय भारत को  4-5 एकल खिलाडी चाहिए और उनकी सोच ऐसी होनी चाहिए कि वे अपने आपको पश्चिमी देशो के खिलाडियो से बेहतर बनाने के लिए मेहनत करे और ज्‍यादा से ज्‍यादा टूर प्रतियोगिताओ में भाग ले। प्रतियोगिताओ में भाग लेने से अभ्‍यास की निरंतरता बनी रहती है। उन्‍हे पूर्ण रूप से एकल मुकाबलो पर ही फोकस करना होगा। इस समय हम एशिया के टाप 5 में भी नही है। इसलिए पहली जिम्‍मेवारी फेडरेशन ही है और उसके बाद खिलाडी की होगी कि वो अपनी नयी मानसिकता के साथ कोर्ट में उतरे। उन्‍हे यह याद रखना चाहिए कि उन्‍हे देश में बेहतर नही बनना है बल्कि दुनिया में सबसे बेहतर बनना है। बडी सोच से खिताब तक पहुंचा जा सकता है। फिलहाल यह उम्‍मीद की जानी चाहिए कि सुमित जैसे खिलाडी भारतीयो के नये आयकॉन बनेंगे।

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सीताराम गेट के सामने, बीकानेर ९४१३७६९०५३

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