इन दिनो हवाऐं
चलने लगी है। फागण नही आया है परन्तु यह फागण की आहट है। छत्त पर बने कमरो के
आगे मिटटी जमा होने लगी है। हवाओ के साथ मिटटी भी उडकर आने लगती है। सर्दीया अबकी
बार कब आयी और कब गयी पता ही नहीं चला। सर्दियो में छुटटी वाले दिन छत्त पर बैठ
कर एक दो किताबे पढ लेता हुं। इस बार रक्सिन बाण्ड की आत्मकथा की ई बुक मंगवायी
थी परन्तु पढ नही पाया। उसकी रीडिंग जारी है। इन सर्दियो मे आफिस में इतना काम
रहा कि किताबे पढने के लिए समय ही नहीं निकाल पाया। शनिवार हो या रविवार मेरे को
आफिस जाना ही पडता था। धूप कमरे की देहरी पार कर मेरे पलंग तक आ जाती थी। ऐसा लगता
था कि वो मुझे ढुंढ रही है। एक दो बार धूप में बैठने का मौका मिला तो आफिस से कॉल
आने के कारण जाना पडा। कमरे की देहरी पार कर आयी हुयी धूप को देखकर लगता था कि वो
कह रही है –
ये मुलाकात तो
ईक बहाना है,
यह सिलसिला
पूराना है।
हमारे जिला
कलेक्टर श्री भगवती प्रसाद कलाल सर का ट्रान्सफर हो गया तो आज मै समय निकाल कर
यह ब्लॉग लिख रहा हूं। कलाल सर का मेरे लिए यह मैराथन कार्यकाल था। कलाल सर के
कार्यकाल में मैने काम के प्रति नये द्रष्टिकोण को देखा या यूं कहे काम के ब्रह्म को जाना। कलाल सर के लिए सरकार द्वारा निर्धारित मानदण्ड काफी पीछे छुट जाते थे।
वे काम को मानदण्ड की द्रष्टि से नही बल्कि उसके निस्तारण की दृष्टि से देखते
थे। इसके लिए चाहे कितना ही समय देना पडे वो देते थे। सुबह साढे नौ से रात को साढे
दस ग्यारह बजे तक लगातार वे आफिस चलाते थे। लक्ष्य एक ही था काम का निस्तारण और
जनता को राहत। मै भी उनके निर्देशो की पालना में दिन रात लगता रहता था। सुबह शाम, सोमवार
मंगलवार,
शनिवार रविवार या होली डे किसी चीज का ख्याल नही रहता था। इसके साथ
होने वाले तनाव को वो सहज ढंग से रिलिज कर देते थे। एक बार कोर्ट में एक महिला ने
भरे कोर्ट में मेरी ओर ईशारा कर कह दिया कि मेरी फाईल का निस्तारण नही हुआ तो मै आपके घर चली आउंगी। ऐसी तनावपूर्ण स्थिति में भी उन्होने
बिना किसी दबाव में आये न्याय किया।
मेरे ख्याल
से कलाल सर काम करने की एक किताब है जिसको
पढकर काफी कुछ सीखा जा सकता है जो आपके जीवन में भी बहुत काम आ सकती है। कलाल सर
के हार्ड बवर्क के दौरान भी मैने समय निकाल कर उनके कार्यकाल में तीन किताबे लिख
दी । दो रिलिज हो चुकी है और एक नयी किताब यह ब्लाग आपके पास आने तक आ जायेगी।
मेरी लेखन की प्रतिभा को पचानते हुए उन्होने मुझे गणतंत्र दिवस पर जिला स्तर पर
सम्मानित किया। उन्होने मुझे लिखने के लिए हमेंशा प्रोत्साहित किया। कलाल सर के
साथ अनमोल समय व्यतीत किया या यूं कहे क्वालिटी टाईम स्पेंड किया। अब नम्रता जी वृष्णि
के साथ काम करना है। देखते है –
इन दिनो
शहर मे ओलम्पिक सावे की धूम है। मेरे
ननिहाल में भी शादी थी तो तीन दिन शादी में व्यस्तता रही है। शादी में पूरा आनंद
लिया। ऐसा लगता है कि इस समय जमकर आनंद ले लूं या यूं कहे आनंद को लूट लूं। जो
संकोचवश नही कर पाया वो सब कर लूं। शादी में काफी लोगो से मिलना हुआ। कुछ और
शादिया भी अटैण्ड की और उसमें भी कई पूराने दोस्त मिले। रमक झमक के प्रहलाद ओझा
का निमंत्रण आया हुआ था परन्तु जा नही पाया। इस सावे में मित्रो के परिवारजनो की शादीयो
में शामिल हुआ। हर शादी में उत्सव की तरह आनंद लिया।
अब मेरी किताब की बात। इस साल मेरी एक ओर बच्चो की किताब आ रही है। यह राजस्थानी भाषा में है। मुझे बच्चो के लिए लिखने में मजा आता है और बच्चे पढकर खुश भी होते है। काफी बच्चे मेरी किताबो के कारण मुझे प्यार करते है। मुझे अच्छा लगता है। राजस्थानी भाषा की किताब है। बच्चो के लिए सरल सहज भाषा की किताब। एक ऐसी किताब जिससे बच्चे अपने मन की दुनिया पाते है।
अपने तरह की अनोखी किताब है। जल्द ही आपके सामने आयेगी
– खेलरां रो खेल। यही टाईटल है मेरी नयी किताब का। आज बस इतना ही । फिर कभी नयी बात।
आपके साथ।
आपकी पुस्तक का इंतजार रहता है
ReplyDeleteधन्यवाद
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