Sunday, September 11, 2022

असली कबूतर

 






मेरे पापा मेरे लिए किसी हीरो से कम नहीं थे। वे बचपन में मुझे अपनी मास्‍टरी के किस्‍से सुनाया करते थे। वे किसी तरह से गांवो में पढाने जाया करते थे जहां उन्‍हे कई मील धोरो में पैदल चलना पडता था। गांव वाले किसी प्रकार उनकी सेवा करते थे। गांव में उनकी सबसे ज्‍यादा ईज्‍जत होती थी। गांव के लोग राय लेने के लिए उनके पास आते थे। एक बार गांव जाते थे तो एक सप्‍ताह बाद ही उनका आना होता था। पापा बताते थे कि वे जिस गांव में पढाने जाते थे उस गांव में पानी की बहुत कमी थी। पीने के लिए भी मुश्किल से पानी मिल पाता था। पहली बार वे उस गांव गये थे तो पीने का पानी कहीं नही मिला। एक हर एक आदमी छाछ का लौटा ले आता परन्‍तु पानी कोई नहीं लाया । फिर शाम को सरपंच ने पानी का घडा भर कर दिया। पापा काफी सालो तक गांव में पढाते रहे । फिर शहर में नौक्‍री करने लग गये। पढाने का शौक उन्‍हे फिर भी था। शाम को बच्‍चे उनके पास पढने आते थे। वे बच्‍चो से फीस नहीं लेते थे। वो अपनी सेवाऐ ऐसे ही देते थे। उनका मानना था कि विद्या खर्च करने से बढती है। एक बार शहर के एक अमीर व्‍यक्ति ने अपने बच्‍चे को अलग से पढाने के लिए बहुत सारी फीस का आफर दिया। पापा ने उसे साफ मना कर दिया और कह दिया कि पढाई में कोई अमीर और गरीब नहीं होता है। मेरे लिए सारे बच्‍चे बराबर है। उन्‍हाने अमीर व्‍यक्ति को वापिस लौटा दिया। 



पापा के पढाये बच्‍चे जब अच्‍छे नंबरो से पास होने लगे तो पढने आने वाले बच्‍चो की भीड बढ गयी। फिर पापा ने शाम का स्‍कूल खोल लिया। वहां पढाने के लिए दूसरे मास्‍टरो को भी रख लिया। मै उस समय दसवीं में पढता था। मै भी शाम की स्‍कूल में जाने लगा। वहां पढाई को रोचक किस्‍सो के साथ पढाया जाता। हमे पढने में बहुत रूचि आती। बच्‍चे कभी भी कोई क्‍लास मिस नहीं करते । मैं और राजेश दोनो शाम की स्‍कूल में पढने जाते। राजेश मेरा मित्र था। वो मेरे पापा से प्रभावित भी था। वो शुरू से ही पापा के पास पढने के लिए आता था। उसके घर में समस्‍याऐ थी परन्‍तु पापा कभी उसे उदास नहीं होने देते और उसका मन पढाई में लग जाता । शाम की स्‍कूल खुली तो वो सबसे ज्‍यादा खुश हुआ। मेरे साथ वो शाम को स्‍कूल में आने लगा। हम दोनो स्‍कूल में खूब मन लगाकर पढते और क्‍लास में बतायी गयी बात पर खूब चर्चा करते।



एक बार क्‍लास में पापा पशु पक्षियो के बारे में बता रहे थे। पापा  बता रहे थे कि पशु प‍क्षी किसी प्रकार किसी को कोई तकलीफ नहीं देते । कोई मानव उसे प्रेम करता है तो वो भी उसी प्रेम से उसका जवाब देते है। पापा ने बताया किस प्रकार लोग कुत्‍ता पालते है तो कुत्‍ता वफादारी से घर की रखवाली करता है। उसी प्रकार कोई पशु या पक्षी जिसको पालते है तो वो भी अपने मालिक के प्रति प्रेम दर्शाता है। पापा ने बताया कि पशु पक्षियो को कभी भी बांधकर या पिंजरे में नहीं रखना चाहिए। उन्‍हे खुले घूमते रहने देना चाहिए। कुत्‍ता पालते है तो उसे बांधना नहीं चाहिए और पक्षी पालते है तो उन्‍हे पिंजरे में नहीं रखना चाहिए। राजेश ने पूछ लिया – पिंजरे में नहीं रखेगे तो पक्षी उड जायेंगे। इस पर पापा ने बताया कि यदि हम उसे वास्‍तव में प्रेम करते है तो वो हमारे प्रेम के कारण् कहीं नहीं जायेगे। पापा ने एक जीवंत उदाहरण देकर अपनी बात को समझाया। उन्‍होने सफेत कपोतो की बात बतायी। पापा ने पूछा आप सफेत कपोत के बारे मे जानते हो। तो सभी ने ना में अपनी गर्दन हिलायी। फिर पापा ने कहा जिसे आप सफेद कबूतर या असली कबूतर कहते हो वहीं सफेद कपोत होते है। हमारे यहां सफेद कपोत को असली कबूतर के नाम से जाना जाता हे। वे शहर में दिखाई नहीं देते है। उनको चिडियाघर में या जंगलो में देखा जा सकता है। पापा ने बताया कि यहीं जस्‍सूसर दरवाजे के अंदर एक व्‍यक्ति के पास दो असली कबूतर है। उसने दोनो असली कबूतर खुले में रखे हुए है। वो उसके घर में ही घूमते रहते है। शाम को वो छत्‍त पर अपने हाथो से उनको आसमान में छोडता है तो वे आसमान में उडते है और एक घंटे तक उडकर वापिस वो उसी छत्‍त पर लौट आते है। राजेश ने कहा – पक्षी उडने के बाद लौटकर नहीं आते है। पापा ने कहा कभी तुम शाम को उधर जाओ तो देखकर आना किस प्रकार वो लौटते है।



असली कबूतर की क्‍लास हम लोगो को बहुत पसंद आयी। राजेश तो जैसे पापा की बातो में खो गया। वो असली कबूतर की कई प्रकार से कल्‍पनाऐ करता। शाम को अपनी छत्‍त पर खडा हो जाता और असली कबूतरो का इंतजार करता। आसमान में कोई सफेद सा पक्षी दिखाई देता तो मूझे कहता तो देखो वो असली कबूतर जा रहे है। मै आसमान की ओर देखकर मुस्‍कुरा देता। जस्‍सूसर दरवाजा हमारे घर से दूर था इसलिए हमे वहां अकेले जाने की इजाजत नहीं थी। मै और राजेश कभी सोचते की पापा के साथ जायेगे तो पापा को समय नहीं मिलता। राजेश् के पापा रात को देर से आते। हम यह सोचते ही रहते कि किस प्रकार वो व्‍यक्ति असली कबूतरो को पालता होगा। कबूतर उडकर कैसे वापिस उसके पास लौट आते है। राजेश सोचता इंसान ही इंसान का कहना नहीं मानता तो पक्षी इंसान को इतना कैसे मानते है। राजेश की बुआ कॉलेज में पढती थी उस समय घर छोड कर गयी थी परन्‍तु अभी तक लौटकर नहीं आयी। राजेश के पापा ने उसे बहुत ढुंढा। उसके पापा दूसरे शहरो में भी गये परन्‍तु बुआ कुछ पता नहीं चला। कई दिनो तक पापा उदास रहते थे। उस समय राजेश छोटा ही था। उसके दिमाग से बुआ की बात अभी तक नहीं गयी। असली कबूतरो के जिक्र से उसके मन में फिर से बुआ की याद आ गयी । वो मुझे रोज कहता कि हम असली कबूतर देखने चले । उसकी रूचि असली कबूतर देखने से ज्‍यादा उसके लौटकर आने को देखने की थी। कैसे उडे हुए पक्षी लौटकर कैसे आते है। वापिस उसी जगह पर जहां उन्‍हे कैद में रखा गया है। हम दोनो रोज उस ओर जाने की जुगत भिडाते लेकिन जा नहीं पाते। शाम को स्‍कूल का समय हो जाता तो स्‍कूल आ जाते ।

एक बार पापा किसी काम से शहर से बाहर गये हुए थे तो मै अपनी मम्‍मी से परमिशन लेकर राजेश के साथ जस्‍सूसर दरवाजे के अंदर गया। शाम को वक्‍त था। हमे नहीं मालमू था कि असली कबूतर किस घर मे है। हमने आस पास पूछा तो किसी ने ईशारा करके सामने वाला घर बताया। हम उस घर की ओर जाने लगे तो उस घर के छत्‍त पर एक व्‍यक्ति दोनो हाथे में असली कबूतर लिये खडा था। बिलकुल सफेद कबूतर थे। जैसा पापा ने बताया था वैसे ही सफेद थे। हम उन कबूतरो को देखकर रोमांचित हो रहे थे। उस व्‍यक्ति ने कबूतरो को हाथ मे लेकर अपने छत्‍त्‍ के दो चक्‍कर लगाये। फिर अपने दोनो हाथ उपर किए और दोनो असली कबूतर आसमान में छोड दिये। वो दोनो असली कबूतर आसमान में उडते गये। मै और राजेश् बहुत देर तक आसमान में उन सफेद कपोतो को देखते रहे और थोडी देर में वो सफेद कपोत आसमान में दिखने बंद हो गये। मैने राजेश को वापिस चलने के लिए कहा परन्‍तु राजेश ने कह दिया असली कबूतरो के वापिस आने तक हम यहीं है। हम वहीं एक किनारे बैठ गये। धीरे धीरे शाम गहराने लगी। सूरज छिप चुका था। चिडियाओ की चहचहाट  बढ गयी। वो व्‍यक्ति फिर से छत्‍त पर आ गया। हमने आसमान में देखा असली कबूतर फिर आसमान में नजर आने लगे। धीरे धीरे वो उडते हुए नीचे आने लगे। धीरे धीरे वो वापिस उस व्‍यक्ति की छत्‍त पर आ गये। वो दोनो नीचे आकर उस व्‍यक्ति के कंधो पर बैठ गये। हम दोनो यह दश्‍य देखकर बहुत रोमांचित हुए। राजेश बहुत ज्‍यादा रोमांचित था। फिर हम घर लौट आये। मैने अपनी मम्‍मी को बडे कौतूहल से यह किस्‍सा सुनाया।

अगले दिन शाम की स्‍कूल में यही किस्‍सा चलता रहा कि हमने किस प्रकार असली कबूतर देखे और वो किस प्रकार उडकर लौट आये। आज पापा की क्‍लास आयी तो पापा क्‍लास में आये। आज पापा ने वापिस पशु पक्षियो का किस्‍सा छेडा। पापा ने राजेश् से पूछा असली कबूतर देखकर कैसा लगा। उसने रोमांचित होकर वो किस्‍सा सुनाया। फिर उसने एक सवाल पूछ लिया। इस सवाल का जवाब पापा भी नहीं दे पाये। उसने पूछ लिया- असली कबूतर वापिस शाम को अपने मालिक के पास लौट आते है तो क्‍या इंसान वापिस लौटकर आता है क्‍या। इंसान अपना घर छोडकर जाने के बाद क्‍यो नहीं लौटता है। उसको गली गली आवाज देने के बाद भी वो नहीं लौटता है। सर इंसान घर छोडने के बाद क्‍यो नहीं लौटता है। बताइये सर जो इंसान घर छोडकर चला गया है वो क्‍यो नहीं लौटता है। यह कहते हुए राजेश के गालो पर आंसू लुढक गये। पापा कुछ देर खडे राजेश को देखते रहे । फिर क्‍लास के दरवाजे पर खडे होकर आसमान को देखने लगे। मैने राजेश के कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे बैठाया। क्‍लास में बिलकुल शांति थी।

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